फिल्मी दुनिया का दस्तूर अजब है. यहां जिसकी किस्मत का सितारा डूबता है उसे फिर रोशन होने में बरसों लग जाते हैं, और कुछ ऐसे लोग भी होते हैं जो कदम रखते हैं और उनकी तकदीर जगमगाने लगती हैं. ऐसे ही एक स्टार हुए हैं राजेश खन्ना, जिन्हें सक्सेस के लिए ज्यादा इंतजार नहीं करना पड़ा. कामयाबी और फिल्में बिन बुलाए ही उनकी झोली में आकर गिरती रहीं. एक दौर तो ऐसा भी आया जब उनकी मजबूरी को लोग लालच का नाम देने लगे. लेकिन एक ही साल ने उन्हें उस बुलंदी पर पहुंचा दिया जहां पहुंचने में सेलिब्रेटीज को बरसों लग जाते हैं.
राजेश खन्ना का एक जमाने में इस कदर क्रेज था कि लोग सिर्फ उन्हें स्क्रीन पर देखना चाहते थे. उनके पास एक के बाद एक ढेरों फिल्मों के ऑफर आ रहे थे. अपने एक इंटरव्यू में खुद राजेश खन्ना ने कहा था कि उन पर लालची होने तक के आरोप लगे थे. ये कह कर कि वो कोई फिल्म को मना नहीं करते. जबकि सच्चाई ये थी कि वो ये बता बता के थक चुके थे कि उनके पास नई फिल्म को देने के लिए डेट्स नहीं है, लेकिन मेकर्स नहीं मान रहे थे. नतीजा ये हुआ कि उनके पास दर्जनों फिल्में थीं लेकिन उनके लिए डेट्स नहीं थीं. ऊपर से फैन्स के खत भी उन्हें ज्यादा से ज्यादा काम करने के लिए मजबूर करते थे.
राजेश खन्ना के लिए साल 1971 बेहद शानदार साबित हुआ. इसी साल उन्हें आनंद फिल्म करने का मौका मिला. और, फिर लाइन से एक के बाद एक फिल्म हिट होती चली गई. दुश्मन, मर्यादा, कटी पतंग, महबूब की मेहंदी, छोटी बहू, हाथी मेरे साथी जैसी फिल्मों ने उन्हें एक ही साल में सुपर स्टार बना दिया. एक तरह से कहा जाए तो साल 1971 पूरी तरह सिर्फ राजेश खन्ना के नाम रहा.
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