एक दौर में जब दूरदर्शन ही मनोरंजन का एकमात्र जरिया हुआ करता था. जिसमें बच्चे, बड़े, बूढ़े, महिलाओं से लेकर सुन और बोल नहीं सकने वाले दर्शकों के लिए भी खास पेशकश हुआ करती थी. खासतौर से लोगों के शनिवार और रविवार को खास बनाने का अहम जिम्मा भी दूरदर्शन ने संभाल रखा था. उस समय दूरदर्शन पर प्रसारित होने वाले सभी धारावाहिकों के पीछे कोई न कोई उद्देश्य जरुर होता था. ऐसा ही एक जासूसी पर आधारित धारावाहिक था ब्योमकेश बक्शी, जिसने 90 के दशक में लोगों का खूब मनोरंजन किया था. शरदेन्दु बन्द्योपाध्याय द्वारा रचित बांग्ला जासूसी कहानियों पर आधारित इस शो को शेरलॉक होम्स का इंडियन वर्जन माना जाता था. साल 1993 से लेकर 1996 तक प्रसारित हुए इस शो ने अपनी रोचक प्रेजेंटेशन की बदौलत खासी सुर्खियां बटोरी थीं.
ऐसी थी कहानी
इस लोकप्रिय जासूसी शो का निर्देशन बासु चटर्जी ने किया था, वहीं मुख्य भूमिका में रजित कपूर और केके रैना नजर आए थे. इसकी खास बात यह थी कि शो का मुख्य किरदार जासूस ब्योमकेश बख्शी बिना किसी फोरेंसिक सहायता और तकनीक के बड़े से बड़ा केस अपने तेज दिमाग से सुलझा देता था. शो में व्योमेश बख्शी को अपने दोस्त अजीत कुमार बनर्जी के साथ रोंगटे खडे़ कर देने वाले केसों को सॉल्व करते हुए दिखाया गया है.
पठान और एनिमल भी पीछे
आज के समय में पठान और एनिमल जैसे फिल्में जरुर कमाई और लोकप्रियता के मामले में नए-नए रिकॉर्ड बना रही हों, लेकिन व्योमेश बख्शी के मुकाबले अभी भी वो बहुत पीछे हैं. दरअसल, आईएमडीबी (IMdb) रेटिंग में व्योमेश बक्शी की रेटिंग 10 में से 9.2 है जो कि पठान और एनिमल फिल्म की रेटिंग से कही ज्यादा है. पठान को आईएमडीबी पर जहां 5.9 वहीं एनिमल को 7.0 रेटिंग दी गई है. ऐसे में कहा जा सकता है कि 90 के दशक का यह धारावाहिक अपनी कसे हुए डायरेक्शन, रोचक प्रस्तुति और शानदार अभिनय के दम पर आज की फिल्मों के कहीं ज्यादा मनोरंजक था.
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