एजुकेशन डेस्क. नवरात्र में करोड़ों लोग उपवास (व्रत) रख रहे हैं। किंतु उपवास का महत्व केवल धर्म तक ही सीमित नहीं है। उपवास का आधार वैज्ञानिक भी है। अनेक शोधों से यह साबित हो चुका है कि उपवास के कई लाभ होते हैं। हाल ही में अमेरिका के संस्थान नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ एजिंग और जर्मनी के रिसर्च संस्थान डीजेडएनई ने भी अपने शोध और अध्ययनों में उपवास के फायदों की पुष्टि की है।
क्या होते हैं फायदे?
- नियमित उपवास करने से शरीर के फैट में 10 फीसदी तक की कमी होती है। यानी इससे मोटापा घटता है।
- खराब कोलेस्ट्रॉल की मात्रा नियंत्रित होती है। दिल की बीमारियों से बचाव होता है।
- रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है। यानी इससे तमाम तरह के वायरस और बैक्टीरिया के हमलों को निष्प्रभावी कर सकते हैं।
- इससे शरीर में इन्सुलिन का स्राव नियंत्रण में रहता है, जिससे डायबिटीज होने की आशंका घटती है।
- फैट बर्न होने से फैट में उपस्थित टॉक्सिन्स यानी विषाक्त पदार्थ निकल जाते हैं।
- नियमित उपवास करने से बुढ़ापे की प्रकिया धीमी होती है। मांसपेशियों म में टूट-फूट की दर भी घटती है।
उपवास यानी भारी फलाहार नहीं
उपवास-व्रत का मतलब यथासंभव भूखा रहना या कम मात्रा में पौष्टिक फलाहार लेना है। उपवास में फलाहार के नाम पर भरपेट साबूदाने की खिचड़ी, सिंघाड़े की पकौड़ी-कचौड़ी जैसी चीजें नहीं खानी चाहिए। इससे उपवास के फायदे नहीं मिलेंगे।
व्रत खत्म करते समय क्या खाएं?
यदि आपने उपवास या व्रत काफी भूखा रहकर किया है यानी इस दौरान फलाहार भी नहीं लिया है तो बेहतर होगा कि पहले बहुत हल्का भोजन ही लें जैसे फलों/ सब्जियों के जूस से शुरुआत कर सकते हैं। फिर दाल, चावल, सब्ज़ी इत्यादि ले सकते हैं। किंतु यदि आप उपवास के दौरान फलाहार समुचित मात्रा में लेते रहे हैं, तब तो सामान्य भोजन से भी उपवास तोड़ सकते हैं।
किन्हें उपवास नहीं करना चाहिए?
- अठारह साल से कम उम्र वालों को।
- टाइप 1 डायबिटीज के मरीज।
- जच्चा और गर्भवती महिलाएं। इन्हें हर वक्त पोषण की जरूरत होती है।
- माइग्रेन के रोगी, जिन्हें भूखा रहने से तीव्र सिरदर्द हो सकता है।
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