हेल्थ डेस्क. स्विटजरलैंड की 95 साल की गेट्रूड फेटल कोरोनावायरस को हराने के बाद शुक्रवार को घर वापस लौटीं। वह पिछले एक हफ्ते से आइसोलेशन में थीं। इलाज के दौरान एक समय पर उन्होंने कृत्रिम ऑक्सीजन लेने से भी मना कर दिया था। डॉक्टरों से उन्होंने कहा, इस उम्र में मुझे कृत्रिम ऑक्सीजन मत दो। मैंने अपना जीवन जी लिया अब मुझे शांतिपूर्वक जाने दो।
पूरी कहानी महिला की जुबानी….
शुक्रवार को घर वापस लौटने पर उन्होंने कहा, इलाज के दौरान मैं डरी नहीं, अब घर आकर खुश हूं। मेरे 10 नाती-पोते हैं, मैं वापस आकर उन्हें देखना चाहती थी। इलाज के दौरान मैंने आईपैड से बच्चों से बातचीत करना जारी रखा।
करीब आठ दिन पहले मुझे सांस लेने में तकलीफ हुई। एम्बुलेंस से मुझे हॉस्पिटल ले जाया गया। डॉक्टरों ने शरीर से ब्लड सैम्पल लिया और ब्लड प्रेशर चेक किया। मुझे नली की मदद से एंटीबायोटिक्स दी गईं। ऐसा एक दिन में तीन बार किया जाता था। यह थोड़ा परेशान करने वाला था लेकिन ठीक है, होता है।
मुझे मौत से डर नहीं लगता, 95 साल की उम्र में तो कतई नहीं। यह जाने का समय है लेकिन मैंने इस बारे में कभी नहीं सोचा। मैं चलने के लिए वॉकर का इस्तेमाल करती हूं और पूरी उम्र भर स्वस्थ रही हूं।मैं सिर्फ ब्लड प्रेशर की दवाएं और कभी-कभी ब्रॉन्काइटिस से बचाव के लिए कफ सीरप लेती हूं।
ब्लड में ऑक्सीजन का स्तर गिर रहा था
गेट्रूड की बेटी जैक्लीन कहती हैं कि जब डॉक्टर ने मुझे बताया कि मां के ब्लड में ऑक्सीजन का स्तर गिर रहा है। और अगले 24 घंटे में सब कुछ रुक जाएगा, तो मैं डर गई। मुझे लगा उस रात मैं मां को खो दूंगी। मां ने भी ऑक्सीजन लेने से मना कर दिया था। अगले दिन डॉक्टर्स ने दवाओं की मदद से इलाज जारी रखा ऑक्सीजन का स्तर वापस सामान्य हुआ। उनकी हालत में सुधार हुआ। मैंने देखा वीडियो कॉलिंग के दौरान वह बिना खांसे मुझसे बात कर रही थीं।
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