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Tuesday, October 29, 2019

निमोनिया के बढ़ते खतरे पर अंकुश लगाने की तरफ फिलिप्स की एक पहल

गंभीर और खतरनाक के बीच हवा की गुणवत्ता में लगातार उतार-चढ़ाव देखने को मिल रहा है इसलिए इस दौरान सावधानी बरतनी आवश्यक है, खासकर यदि आपके घर में छोटे बच्चे या बुजुर्ग हैं। आउटडोर और इनडोर वायु प्रदूषण से निमोनिया और अन्य सांस से जुड़ी कई संक्रामक बीमारियों से सीधे जुड़ी हुई हैं। वायु प्रदूषण पांच साल से कम उम्र के बच्चों की 10 मौतों में से एक में जोखिम कारक है, जिससे वायु प्रदूषण बच्चों के स्वास्थ्य के लिए एक प्रमुख खतरा बन चुका है।

ऐसे में 5 वर्ष तक की आयु के बच्चों के लिए सबसे खतरनाक और संक्रमित बीमारी निमोनिया है जो एक तीव्र श्वसन संक्रमण का रूप है। निमोनिया एक सिंड्रोम है जिसमें वायरल, बैक्टीरियल और फंगल रोग जनकों सहित कई कारण होते हैं। निमोनिया होने पर साँस लेने में मुश्किल होती है और खासकर छोटे बच्चों को ज्यादा परेशानी होती है। गंभीर स्थिति में शिशु खाने या पीने में असमर्थ हो जाते हैं जिस वजह से ये बीमारी जानलेवा भी साबित हो जाती है।


बच्चों में न्यूमोनिया की स्थिति

दुनिया में सबसे अधिक भारत के नवजात बच्चे निमोनिया की बीमारी से ग्रसित होते हैं खासकर 5 साल से कम उम्र के बच्चों में ये बीमारी अधिकतर पाई जाती है जो उनकी मौत का भी एक प्रमुख कारण बनती है। वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गनाइजेशन (WHO) की एक ताज़ा रिपोर्ट के अनुसार, निमोनिया दुनिया भर में बच्चों की मृत्यु का सबसे बड़ा संक्रामक कारण है। 2017 में 5 साल से कम उम्र के 808 694 बच्चों की मौत निमोनिया के कारण हो गई, जिसमें 15% मृत्यु की घटनाओं में पांच साल से कम उम्र के बच्चे शामिल हैं ।

ऐसे में बच्चों को निमोनिया से बचाने के लिए उनकी देखभाल करने के साथ कुछ जरूरी बातों पर भी ध्यान देना बहुत जरूरी होता है। इसके लिए बच्चों के माता- पिता व परिजनों निमोनिया के संकेतों को पहचानना बहुत जरूरी है इसके साथ ही बच्चों के सांस लेने के पैटर्न को भी समझना बेहद आवश्यक है। अगर बच्चों के सांस लेने के पैटर्न में किसी भी प्रकार का परिवर्तन देखने को मिले तो तुरंत ही डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए।

• निमोनिया की रोकथाम के लिए नियमित टीकाकरण पालन करें
• पहले 6 महीनों के लिए विशेष स्तनपान
• सुरक्षित पेयजल, अच्छी स्वच्छता और साबुन से बार-बार हाथ धोना
• अच्छा पोषण, विशेष रूप से 6 महीने से अधिक उम्र के बच्चों के लिए
• इनडोर वायु गुणवत्ता में सुधार और स्वच्छता बनाए रखें
• जल्द से जल्द एक डॉक्टर से परामर्श करें।

ऐसे में फिलिप्स इंडिया एक जिम्मेदार ब्रांड होने के नाते भारत के बच्चों में होने वाली निमोनिया बीमारी के बारे में जागरूकता फैलाने के लिए एक सीएसआर अभियान 'हर सांस में जिंदगी ’की शुरुआत की है। जिसके द्वारा लोगों के स्वास्थ्य में सुधार और स्वस्थ रहने और रोकथाम, निदान और उपचार से स्वास्थ्य निरंतरता में बेहतर परिणामों को सक्षम करने के लिए काम किया जा रहा है।

क्यों फिलिप्स बचपन निमोनिया की रोकथाम का समर्थन कर रहा है?

• बच्चों में निमोनिया बीमारी और उससे होने वाली मृत्यु दर के मामले में भारत टॉप 10 देशों में शुमार है।

• यह एक संक्रमित रोग है जिसका आसानी से उपचार व रोकथाम किया जा सकता है।

• निमोनिया की बीमारी से जुड़े रिसर्च प्रोग्राम, जागरूकता फैलाने के लिए ग्लोबल हेल्थ कम्यूनिटी द्वारा इस जरूरत के मुताबिक आर्थिक रूप से मदद नहीं मिल पाती।



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An initiative by Phillips to curb the growing risk of pneumonia


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