फिल्म किसी भी भाषा या किसी भी देश की हो, उसमें हीरो और हीरोइन की तरह ही विलेन की भी खासी अहमियत होती है. सारे ट्विस्ट एंड टर्न्स लाने की जिम्मेदारी फिल्म में विलेन ही संभालता है. यही वजह है कि विलेन के लुक्स और स्टाइल पर भी खासा ध्यान दिया जाता रहा है. लेकिन हिंदी फिल्मों का एक विलेन ऐसा भी रहा है, जिसकी आंखें और आवाज ही होरी की कंपकंपी छुटा देने के लिए काफी थे. इस विलेन के नाम का खौफ न सिर्फ पर्दे पर था बल्कि दर्शकों में भी इस कदर था कि उस दौर में उस विलेन का नाम, माता पिता ने अपने किसी बच्चे को नहीं दिया. इसके बावजूद विलेन की इतनी डिमांड रही कि वो अमिताभ बच्चन सरीखे स्टार्स से भी ज्यादा फीस लेता था.
राजेश खन्ना अमिताभ बच्चन से ज्यादा फीस
ये विलेन थे प्राण, जिनके नाम का खौफ ऐसा था कि लोगों ने बरसों बरस तक अपने बच्चों को प्राण नाम देना ही बंद कर दिया. 1940 से फिल्मी सफर शुरू करने वाले प्राण, बतौर हीरो पर्दे पर आए थे. लेकिन उन्हें जल्दी ही ये समझ में आ गया था कि उन्हें कुछ अलग करना होगा. और, वो विलेन बन कर पर्दे पर उतरे. उनकी पॉपुलेरिटी इस कदर थी कि उन्हें अपने कंटेमप्रेरी हीरो से ज्यादा फीस लेते थे. स्टारडम हासिल करने के बाद सिर्फ राजेश खन्ना ऐसे स्टार थे जिनकी फीस प्राण से ज्यादा थी. अमिताभ बच्चन के साथ उन्होंने करीब आठ फिल्मों में काम किया. हर फिल्म में उनकी फीस अमिताभ से ज्यादा थी. 80 के दशक में फीस हाइक के बाद अमिताभ बच्चन उनसे आगे बढ़ सके थे.
ठुकरा दिया था अवॉर्ड
प्राण को अपने काम के लिए बहुत से अवॉर्ड मिले. लेकिन 1973 में उन्होंने फिल्म फेयर अवॉर्ड ठुकरा दिया था. उनका कहना था कि फिल्म फेयर अवॉर्ड ने उस साल शंकर जयकिशन को बेस्ट म्यूजिशियन का अवॉर्ड दिया था. प्राण को लगा था ये अवॉर्ड गुलाम मोहम्मद को दिया जाना चाहिए था. इस साल प्राण को बेस्ट सपोर्टिंग एक्टर का अवॉर्ड मिलने वाला था.
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