हमारे देश के अधिकांश फैशन ब्रांड जहां मिल से बने कपड़े का उपयोग अपनी डिजाइनर ड्रेसेस को तैयार करने के लिए करते हैं, वहीं नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ फैशन टेक्नोलॉजी, हैदराबाद से ग्रेजुएट एकता जायसवाल हैंड एंब्रॉयडरी और हैंड टेक्निक द्वारा अपने ब्रांड 'हस्तकथा' के लिए ड्रेसेस डिजाइन करती हैं।
एकता डाइंग, एंब्रॉयडरी और प्रिंटिंग में भी हैंडमेड तकनीकी का सहारा लेती हैं। एकता कहती हैं ''अपने प्रोडक्शन को बढ़ाने के लिए अधिकांश डिजाइनर मशीन का इस्तेमाल करते हैं। लेकिन मैंने अपनी डिजाइनर ड्रेसेस तैयार करने में भारतीय कारीगरी और स्लो फैशन को अपनाया है। मैं अपने प्रयासों से हैंडमेड गारमेंट्स को प्रमोट करना चाहती हूं। मैं चाहती हूं मेरे प्रयासों से बुनकरों और अन्य कारीगरों को रोजगार मिले''।
एकता ने अपनी सहेली दिव्या के साथ मिलकर 2016 में अमेरिकन ई-कॉमर्स वेबसाइट 'इट्सी' पर 'हस्तकथा' की शुरुआत की थी। हस्तकथा के जरिये लोककला और पांरपरिक टेक्सटाइल्स का उपयोग लिनेन ओर कॉटन के गारमेंट्स बनाने में किया जा रहा है। इसके तहत लड़कियों के लिए मैक्सी ड्रेस, जंप सूट्स, स्कार्फ आदि डिजाइन किए जा रहे हैं।
एकता को फैशन इंडस्ट्री में काम करते हुए चार साल हो गए हैं। इन सालों में एकता ने ई कॉमर्स कंपनी, हैंडलूम रिटेल ब्रांड और इंटरनेशनल फैशन एक्सपोर्ट हाउस के जरिये नाम कमाया है। इस दौरान एकता ने भारत के अलग-अलग राज्यों का दौरा कर वहां के हैंडमेड टेक्सटाइल को समझा और उसका उपयोग अपने कलेक्शन में भी किया। उसके बाद एकता ने ईको फ्रेंडली फैब्रिक पर काम कर कॉटन वियर डिजाइन किए हैं।
एकता के अनुसार ''सिल्क और खादी के कपड़े इंडियन इकोनॉमी को बढ़ाने में मदद करते हैं। यह खेती के बाद दूसरा ऐसा क्षेत्र है जो कारीगरों की आय का साधन माना जाता है। वैसे भी हैंडमेड फैब्रिक फैशन और लाइफस्टाइल का आधार है''। भारतीय कारीगरों को मार्केट की स्ट्रेटेजी की जानकारी नहीं है। इसलिए इन लोगों का सहारा एकता जैसे लोग बनते हैं जो इनके द्वारा तैयार किए गए कपड़ों को वैश्विक स्तर पर पहचान दिलाते हैं।
एकता कहती हैं ''दिनरात मेहनत करने बाद भी इन कारीगरों को मुनाफा नहीं मिल पाता। इसलिए ये जिम्मेदारी फैशन डिजाइनर्स की होना चाहिए ताकि इन कारीगरों को अपने काम की सही कीमत मिल सके''।
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