from Latest And Breaking Hindi News Headlines, News In Hindi | अमर उजाला हिंदी न्यूज़ | - Amar Ujala https://ift.tt/2Gp8nEk
via IFTTT
केरल की रहने वाली 24 साल की अपर्णा इधर-उधर से कांच की बोतलें उठाकर लाती हैं और उससे होम डेकोरेट करने वाले बेहद खूबसूरत प्रोडक्ट बनाती हैं। बीएड कर चुकी यह छात्रा आर्ट एंड क्राफ्ट के लिए वेस्टेज बोतलें ही इस्तेमाल करती हैं।
पर्यावरण के प्रति जागरूक अपर्णा मन्रोतुरुत्तु में रहती हैं। यह स्थान कोल्लम से कुछ दूर एक टूरिस्ट प्लेस हैं। उन्होंने बताया कि यह सिलसिला 2017 में शुरू हुआ। मां को वेस्ट से बेस्ट बनाते देखकर इनकी रूचि भी इस क्षेत्र में बढ़ी।
इनका गांव टूरिस्ट प्लेस होने के कारण उन्हें क्षेत्र में कूड़ा व कांच की बोतलें पड़ीं दिखती थीं। ये पढ़ने के लिए रोजाना कोल्लम जाती थीं और लौटते वक्त सड़क पर पड़ी बोतलें घर ले जाती थीं। यह देख लोग हंसा करते थे और चिढ़ाकर उनका काम कुप्पी रख दिया था। अपर्णा इन्हीं बोतलों को साफ करके कलात्मक बनातीं और सोशल मीडिया पर पोस्ट करती थीं। कई लोगों ने इनकी तारीफ की।
अपर्णा ने सोशल मीडिया पर पोस्ट डाली और लोगों से अपने क्षेत्र की अष्टमुडी झील साफ करने के लिए मदद मांगी तो कई लोग आगे आए। इसी साल 17 से 21 मार्च तक उन्होंने सोशल मीडिया के दोस्तों के साथ मिलकर पूरी झील साफ कर दी। इसमें से निकली बोतलों से सभी लोगों ने तरह तरह की वस्तुएं बनाकर सड़क किनारें सजा दीं। अपर्णा चाहती है कि लोग कचरा न करने के लिए जागरूकता फैलाएं।
अपर्णा को चिढ़ाए जानले वाले कुप्पी शब्द को ही उन्होंने रजिस्टर्ड कराया और घर के कमरे को कुप्पी स्टूडियो में बदल दिया। उसके बाहर बोतलों से बनाई बेहतरीन कलाकृतियां रखीं। यहां से टूरिस्टों और अन्य लोगों को वर्कशॉप देती हैं।
इसके अलावा स्कूलों में जाकर बच्चों को सीखाती हैं कि वेस्ट को क्राफ्ट में कैसे बदलते हैं। लॉकडाउन में इनके ऑनलाइन सेशन कामयाब रहे और काफी लोगों ने वेस्ट से बनाई वस्तुएं पोस्ट की। जब उनसे बच्चे इसे सीखते हैं वो उन्हें खुशी होती है।
अमूमन लोग कॉफी तब पीते हैं, जब बॉडी में एनर्जी की कमी महसूस करते हैं या तनाव से जूझ रहे होते हैं। लेकिन, कॉफी के सबसे पुराने ठिकाने इथियोपिया में ऐसा नहीं है। यहां की हर दावत में आपको कॉफी मिलेगी। अफ्रीकी देश इथियोपिया को कॉफी का जन्मस्थल कहते हैं।
आज वर्ल्ड कॉफी डे है, इस मौके पर कॉफी के सबसे बड़े ठिकाने से जानिए 4 दिलचस्प किस्से...
1. जब कॉफी के बीज खाने के बाद बकरियां झूमने लगी थीं
इथियोपिया में कॉफी की खुशबू को कैसे पहचाना गया, इसका यहां एक सबसे दिलचस्प किस्सा मशहूर है। एक समय यहां कालदी नाम का चरवाहा अपनी बकरियों को काफा के जंगल से लेकर निकलता था। एक दिन उसने देखा, यहां जमीन पर पड़ी लाल चेरियां खाने के बाद बकरियां खुशी से झूम रही हैं। चरवाहे ने कुछ चेरियां तोड़ीं और खाईं। स्वाद पसंद आने पर चेरियों को अपने चाचा के पास ले गया।
चाचा बौद्ध धर्म के अनुयायी थे और मठ में रहते थे। उन्होंने मजहबी बंदिश के कारण कॉफी की चेरी को आग में डाल दिया। जैसे ही बीजों ने जलना शुरू किया उसकी खुशबू नशे की तरह चढ़ने लगी। इसके बाद कालदी के चाचा ने इन बीजों का इस्तेमाल खुशबू के लिए करना शुरू किया।
2. जले हुए कॉफी के बीजों को पानी में डाला और ऐसे हुई इसकी शुरुआत
इथियोपिया में काफा के रहने वाले मेसफिन तेकले कहते हैं, यहां कॉफी का चलन कैसे शुरू हुआ इसकी कहानी मैंने अपने दादा से सुनी थी। वह कहते थे एक बार चरवाहे कालदी की मां ने आग में जले हुए बीजों को साफ किया। फिर इसे ठंडा होने के लिए पानी में डाल दिया और तेज खुशबू आने लगी। यहीं से कॉफी पीने का चलन शुरू हुआ।
मेसफिन कहते हैं, यहां के जंगल दुनियाभर के लिए एक तोहफे की तरह हैं। दुनियाभर के लोग यहां पर उगी कॉफी की चुस्कियां लेते हैं। कॉफी यहां की मेहमान नवाजी का हिस्सा है। बचपन से लड़कियों को इसे तैयार करना सिखाया जाता है।
3. सामाजिक रिश्तों को मजबूत करने के लिए 3 घंटे चलती है कॉफी सेरेमनी
इथियोपिया में हर खुशी के मौके पर कॉफी सेरेमनी आयोजित की जाती है। यह 2 से 3 घंटे का प्रोग्राम होता है। कॉफी को सर्व करने का काम घर की महिलाएं और बच्चे करते हैं। यह तैयार भी अलग तरह से होती है। कॉफी के दानों को रोस्ट करके उसे पीसते हैं और गर्म पानी के साथ मिलाते हैं। इसमें दूध नहीं मिलाया जाता है, लेकिन शक्कर की मात्रा अधिक रहती है। तैयार होने के बाद इसे सुराहीनुमा बर्तन में लाते हैं और मेहमानों को सर्व करते हैं।
4. यहां कॉफी के पेड़ लगाए नहीं जाते, अपने आप उग आते हैं
इथियोपिया के जंगल में कॉफी की 5 हजार से अधिक किस्में हैं। यहां की जमीन कॉफी के लिए इतनी उपजाऊ है कि पौधे लगाए नहीं जाते, अपने आप जमीन से उग आते हैं। यूनेस्को की रिपोर्ट कहती है, 40 साल पहले इथियोपिया के 40 फीसदी इलाकों में काॅफी के जंगल थे। अब ये घटकर 30 फीसदी रह गए हैं।
कैसे हुई इंटरनेशनल कॉफी डे की शुरुआत
इस दिन का मकसद कॉफी को प्रमोट करना और इसे एक ड्रिंक के तौर पर सेलिब्रेट करना है। इसकी शुरुआत 1 अक्टूबर 2015 को हुई जब इटली के मिलान में इंटरनेशनल कॉफी ऑर्गेनाइजेशन की शुरुआत हुई।
साभार : बीबीसी, होमग्राउंड्स, कम्युनिकॉफी डॉट कॉम
अमूमन लोग कॉफी तब पीते हैं, जब बॉडी में एनर्जी की कमी महसूस करते हैं या तनाव से जूझ रहे होते हैं। लेकिन, कॉफी के सबसे पुराने ठिकाने इथियोपिया में ऐसा नहीं है। यहां की हर दावत में आपको कॉफी मिलेगी। अफ्रीकी देश इथियोपिया को कॉफी का जन्मस्थल कहते हैं।
आज वर्ल्ड कॉफी डे है, इस मौके पर कॉफी के सबसे बड़े ठिकाने से जानिए 4 दिलचस्प किस्से...
1. जब कॉफी के बीज खाने के बाद बकरियां झूमने लगी थीं
इथियोपिया में कॉफी की खुशबू को कैसे पहचाना गया, इसका यहां एक सबसे दिलचस्प किस्सा मशहूर है। एक समय यहां कालदी नाम का चरवाहा अपनी बकरियों को काफा के जंगल से लेकर निकलता था। एक दिन उसने देखा, यहां जमीन पर पड़ी लाल चेरियां खाने के बाद बकरियां खुशी से झूम रही हैं। चरवाहे ने कुछ चेरियां तोड़ीं और खाईं। स्वाद पसंद आने पर चेरियों को अपने चाचा के पास ले गया।
चाचा बौद्ध धर्म के अनुयायी थे और मठ में रहते थे। उन्होंने मजहबी बंदिश के कारण कॉफी की चेरी को आग में डाल दिया। जैसे ही बीजों ने जलना शुरू किया उसकी खुशबू नशे की तरह चढ़ने लगी। इसके बाद कालदी के चाचा ने इन बीजों का इस्तेमाल खुशबू के लिए करना शुरू किया।
2. जले हुए कॉफी के बीजों को पानी में डाला और ऐसे हुई इसकी शुरुआत
इथियोपिया में काफा के रहने वाले मेसफिन तेकले कहते हैं, यहां कॉफी का चलन कैसे शुरू हुआ इसकी कहानी मैंने अपने दादा से सुनी थी। वह कहते थे एक बार चरवाहे कालदी की मां ने आग में जले हुए बीजों को साफ किया। फिर इसे ठंडा होने के लिए पानी में डाल दिया और तेज खुशबू आने लगी। यहीं से कॉफी पीने का चलन शुरू हुआ।
मेसफिन कहते हैं, यहां के जंगल दुनियाभर के लिए एक तोहफे की तरह हैं। दुनियाभर के लोग यहां पर उगी कॉफी की चुस्कियां लेते हैं। कॉफी यहां की मेहमान नवाजी का हिस्सा है। बचपन से लड़कियों को इसे तैयार करना सिखाया जाता है।
3. सामाजिक रिश्तों को मजबूत करने के लिए 3 घंटे चलती है कॉफी सेरेमनी
इथियोपिया में हर खुशी के मौके पर कॉफी सेरेमनी आयोजित की जाती है। यह 2 से 3 घंटे का प्रोग्राम होता है। कॉफी को सर्व करने का काम घर की महिलाएं और बच्चे करते हैं। यह तैयार भी अलग तरह से होती है। कॉफी के दानों को रोस्ट करके उसे पीसते हैं और गर्म पानी के साथ मिलाते हैं। इसमें दूध नहीं मिलाया जाता है, लेकिन शक्कर की मात्रा अधिक रहती है। तैयार होने के बाद इसे सुराहीनुमा बर्तन में लाते हैं और मेहमानों को सर्व करते हैं।
4. यहां कॉफी के पेड़ लगाए नहीं जाते, अपने आप उग आते हैं
इथियोपिया के जंगल में कॉफी की 5 हजार से अधिक किस्में हैं। यहां की जमीन कॉफी के लिए इतनी उपजाऊ है कि पौधे लगाए नहीं जाते, अपने आप जमीन से उग आते हैं। यूनेस्को की रिपोर्ट कहती है, 40 साल पहले इथियोपिया के 40 फीसदी इलाकों में काॅफी के जंगल थे। अब ये घटकर 30 फीसदी रह गए हैं।
कैसे हुई इंटरनेशनल कॉफी डे की शुरुआत
इस दिन का मकसद कॉफी को प्रमोट करना और इसे एक ड्रिंक के तौर पर सेलिब्रेट करना है। इसकी शुरुआत 1 अक्टूबर 2015 को हुई जब इटली के मिलान में इंटरनेशनल कॉफी ऑर्गेनाइजेशन की शुरुआत हुई।
साभार : बीबीसी, होमग्राउंड्स, कम्युनिकॉफी डॉट कॉम
वायरस के संक्रमण से बचना है तो वेजिटेरियन डाइट ही सेफ विकल्प है। स्वाइन फ्लू से लेकर कोरोना का संक्रमण फैलाने तक में जानवर एक बड़ी कड़ी साबित हुए हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन कहता है, पिछले 50 सालों में 70 फीसदी वैश्विक बीमारियां जानवरों के जरिए फैली हैं।
कई रिसर्च में यह साबित हो चुका है कि हृदय रोग, कैंसर जैसी बीमारियों का खतरा कम करना चाहते हैं तो वेजिटेरियन डाइट लें। खाने में फल-सब्जियों की मात्रा को बढ़ाएं। आज वर्ल्ड वेजिटेरियन डे है, इस मौके पर जानिए शाकाहारी खाना आपकी जिंदगी में कितना बदलाव जाता है....
4 वजह: वेजिटेरियन खाना क्यों बेहतर है
1. वायरल डिसीज का खतरा कम हो जाता है
2013 में आई यूनाइटेड नेशंस की संस्था फूड एंड एग्रीकल्चर ऑर्गनाइजेशन की रिपोर्ट कहती है, दुनियाभर में 90% से ज्यादा मांस फैक्ट्री फार्म से आता है। इन फार्म्स में जानवरों को ठूंस-ठूंसकर रखा जाता है और यहां साफ-सफाई का भी ध्यान नहीं रखा जाता। इस वजह से वायरल डिसीज फैलने का खतरा बढ़ जाता है। हाल ही में गुजरात में फैली वायरल डिसीज कांगो फीवर में भी संक्रमित जानवरों से इंसान को खतरा बताया गया है।
2. दिल ज्यादा खुश रहता है और बीमार कम होता है
नॉनवेज के मुकाबले वेजिटेरियन डाइट आपको ज्यादा स्वस्थ रखती है, इस पर रिसर्च की मुहर भी लग चुकी है। अमेरिकन जर्नल ऑफ क्लीनिकल न्यूट्रीशन में प्रकाशित रिसर्च कहती है, हृदय रोगों का खतरा घटाना है तो शाकाहारी खाना खाइए।
इंग्लैंड और स्कॉटलैंड में 44,561 लोगों पर हुई रिसर्च हुई। इसमें सामने आया कि नॉन-वेजिटेरियन के मुकाबले जो लोग वेजिटेरियन डाइट ले रहे थे उनमें हृदय रोगों के कारण हॉस्पिटल में भर्ती करने की आशंका 32 फीसदी तक कम है। इनमें कोलेस्ट्रॉल का लेवल और ब्लड प्रेशर दोनों ही कम था।
3. फल-सब्जियों की मात्रा बढ़ाते हैं तो कैंसर का खतरा घटता है
अब तक सैकड़ों ऐसी रिसर्च सामने आ चुकी हैं जो कहती हैं, खाने में अगर फल और सब्जियों की मात्रा बढ़ाते हैं तो कैंसर का खतरा कम हो जाता है। ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी में हुई रिसर्च के मुताबिक, अगर डाइट से रेड मीट को हटा देते हैं तो कोलोन कैंसर होने का खतरा काफी हद तक घट जाता है।
4. डायबिटीज कंट्रोल करना है तो 50% तक फल-सब्जियां खाएं
वियतनाम के मेडिकल न्यूट्रिशनिस्ट डॉ. बिस्वरूप चौधरी कहते हैं, अगर ब्लड शुगर कंट्रोल करना चाहते हैं तो दिनभर की डाइट में 50 फीसदी से ज्यादा फल और सब्जियां लें। इसके बाद ही अनाज शामिल करें। नॉनवेज, अंडा, मछली, मक्खन और रिफाइंड फूड लेने से बचें। ऐसा करते हैं तो ब्लड शुगर काफी हद तक कम किया जा सकता है।
अब बात उस पहल की जिसके कारण यह दिन शुरू हुआ
दुनियाभर के लोगों को शाकाहारी खाना खाने के लिए प्रेरित करने और इसके फायदे बताने के लिए वर्ल्ड वेजिटेरियन डे की शुरुआत हुई। 1 अक्टूबर 1977 को नॉर्थ अमेरिकन वेजिटेरियन सोसायटी ने यह पहल शुरू की।
इस लक्ष्य लोगों को यह भी समझाना था कि वेजिटेरियन डाइट नॉनवेज फूड से ज्यादा हेल्दी है। वेजिटेरियन डाइट बॉडी में अधिक फैट नहीं बढ़ाती और हृदय रोगों का खतरा कम करती है। इसमें मौजूद फायबर और एंटीऑक्सीडेंट्स में कैंसर से लड़ने की क्षमता है।
क्या होगा अगर सभी वेजिटेरियन बन जाएं?
वेजिटेरियन और वेगन डाइट के फर्क को भी समझ लें
वेगन और वेजिटेरियन डाइट में एक सबसे बड़ा अंतर है। वेगन डाइट में ज्यादातर ऐसे फूड शामिल हैं जो पेड़े-पौधों से सीधे तौर पर मिलते हैं। वेगन डाइट में एक बात का खासतौर पर ध्यान दिया जाता है कि जो भी फूड ले रहे हैं वो रसायनिक पदार्थों से तैयार न हुए हों। यानी ऑर्गेनिक फार्मिंग से तैयार होने वाले फूड होने चाहिए।
कोरोना के बढ़ते मामलों के बीच इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (ICMR) ने एक और वायरस का खतरा जताया है। ICMR के मुताबिक, चीन और वियतनाम में पाया जाने वाला कैट क्यू वायरस भारत में भी संक्रमण फैला सकता है। देश में 883 लोगों के सीरम सैम्पल की जांच की गई, इसमें दो लोगों में कैट क्यू वायरस के खिलाफ काम करने वाली एंटीबॉडीज मिली हैं। एंटीबॉडीज शरीर में तभी मिलती हैं जब उससे जुड़े वायरस का संक्रमण हुआ हो।
मच्छर और सुअर से फैलता है कैट क्यू वायरस
ICMR के संस्थान नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी के मुताबिक, इस वायरस के सबसे ज्यादा मामले चीन और वियतनाम में देखे गए हैं। यह वायरस क्यूलेक्स मच्छरों और सुअरों से फैलता है। देश में 2014 से 2017 के बीच सीरम कलेक्ट किया गया था। इसकी जांच के दौरान 2 लोगों में कैट क्यू वायरस के खिलाफ एंटीबॉडीज मिलीं। इससे एक बात साफ है कि इनमें इस वायरस का संक्रमण हुआ है। हालांकि अब तक भारत में यह वायरस किसी भी इंसान या जानवरों में नहीं मिला है।
दोनों ही मामले कर्नाटक से जुड़े
जिन दो लोगों में कैट क्यू वायरस की एंटीबॉडी (Anti-CQV IgG) मिली हैं, वो कर्नाटक से हैं। ICMR के मुताबिक, इंसानों और सुअरों के सीरम सैंपल्स की जांच होनी चाहिए ताकि पता चल सके कि कहीं यह वायरस हमारे बीच पहले से ही मौजूद तो नहीं है।भारत में क्यूलेक्स मच्छर की प्रजाति का विस्तार होने से इस वायरस का संक्रमण फैलने की आशंका जताई जा रही है।
कितना खतरनाक है कैट क्यू वायरस
यह खासतौर पर चीन और वियतनाम में क्यूलेक्स मच्छरों और सुअरों में पाया जाता है। यह वायरस खतरनाक है या नहीं, अब तक स्पष्ट नहीं हो पाया है। इसका संक्रमण इंसेफेलाइटिस और मेनिनजाइटिस जैसे रोगों की वजह बन सकता है। मरीजों में बुखार, सिरदर्द जैसे लक्षण दिख सकते हैं।
चीन के सुअरों में बड़े पैमाने पर इसके खिलाफ एंटीबॉडीज मिल चुकी हैं। यह इस बात का संकेत है कि वहां वायरस फैल रहा है। इसमें मच्छरों और सुअरों के जरिए दूसरे जानवरों में फैलने की भी क्षमता है।
दिल को सेहतमंद रखने के लिए कई बातों को समझना जरूरी है। पहली बात, अगर आप हृदय रोगी हैं तो क्या करें। दूसरी बात, घर में पेरेंट्स हार्ट डिसीज से जूझ रहे हैं तो क्या करें। और तीसरी बात, अगर आप पूरी तरह स्वस्थ हैं तो कैसे इसे होने से रोकें। आज वर्ल्ड हार्ट डे पर जानिए, इन्हीं तीनों बातों के बारे में...
1. परिवार में हार्ट हिस्ट्री रही है तो
2. आप पूरी तरह स्वस्थ हैं तो
3. अगर खुद दिल के मरीज हैं तो
यह सुनकर आश्चर्य होगा कि दुनिया में जूस की ऐसी शॉप भी है जो जीरो वेस्ट के फॉर्मूले पर काम करती है। यहां फलों का रस उसी के शैल में पीने को मिलता है, जिस फल के जूस का आपने ऑर्डर किया है। बेंगलुरु के आनंद राय 'ईंट राजा' नाम की इस शॉप को चलाते हैं। जो कभी रेडियो जॉकी रह चुके हैं।
आनंद का एक ही मिशन है कचरा कम करना और कचरा पैदा न होने देना। इनका दावा है कि यह भारत की पहली जीरो वेस्ट शॉप है। ये कभी भी प्लास्टिक गिलास, पेपर कप, स्ट्रॉ का इस्तेमाल नहीं करते।
फिर चाहे केले का जूस हो, खीरे का, खरबूज, तरबूज, सेब, जामफल या कोई भी फल हो। ये उसी फल के शेल में जूस पिलाते हैं। मजेदार बात यह है कि इसका टेस्ट लेने वालों की इस दुकान पर भारी भीड़ रहती है।
प्लास्टिक या पेपर यूज न करना पड़े, इसलिए आनंद कभी जूस को पार्सल पैक में नहीं देते हैं। यही वजह उन्हें सबसे अलग बनाती है। 1980 से यह दुकान उनके पिता चला रहे थे, लेकिन उनकी मौत के बाद आनंद ने रेडियो जॉकी का करिअर छोड़कर यह शॉप संभाल ली थी। आनंद जब से यहां आए तभी से उन्होंने जीरो वेस्ट पॉलिसी वाले इस तरीके को अपनाया।
रोजाना एक्सरसाइज और खुश रहते हैं तो दिल की बीमारी का खतरा 50 फीसदी तक कम हो जाता है। बढ़ती उम्र के साथ एक्सरसाइज में बदलाव भी जरूरी है। हार्ट को हेल्दी रखना चाहते हैं तो अपनी उम्र के मुताबिक एक्सरसाइज चुन लें।
20 की उम्र तक : दौड़ें, खेलें, एरोबिक्स करें इससे आपका हार्ट अधिक पंप करेगा
इस उम्र में दौड़ने, साइकिल चलाने, खेलने से मजबूत दिल की नींव पड़ती है। ये एक्सरसाइज दिल को पंप करती हैं। बच्चों को हर दिन दौड़ने, कूदने और खेलने के बहुत सारे मौके मिलने चाहिए। 6 से 17 साल के बच्चों को हर दिन कम से कम 1 घंटा (60 मिनट) शारीरिक गतिविधि जरूर करनी चाहिए। फिर चाहे वो स्कूल में हो या घर के पास मैदान में। हार्ट के लिए इस उम्र में बच्चे एरोबिक गतिविधि भी कर सकते हैं।
21 से 40 साल तक : हफ्ते में 5 दिन ये व्यायाम हार्ट बीट रखेंगे नॉर्मल
20 की उम्र में शरीर मजबूत और लचीला होता है। फिटनेस की नींव रखने का यह सही समय है। दोस्तों के साथ खेल खेलें, जैसे कि टेनिस या रैकेटबॉल। खेल में हाइकिंग या बाइकिंग, स्वीमिंग शामिल करें। सप्ताह में कम से कम 5 दिन, 60 मिनट व्यायाम जरूर करें। 30 की उम्र के बाद वजन को नियंत्रित करना सबसे जरूरी है। इस उम्र के बाद हड्डियां कमजोर होने लगती हैं। हड्डियां मजबूत बनाने के लिए यह समय अच्छा है। रोज वेटलिफ्टिंग करें। इन कार्डियोवस्कुलर वर्कआउट से हृदय गति बढ़ती रहती है। रक्तचाप, कोलेस्ट्रॉल का स्तर बेहतर होता है।
41 से 60 साल तक : शरीर को धीमा होने से रोकें, जोड़ो में दर्द हो तो स्विमिंग-साइक्लिंग करें
40 साल की उम्र के बाद शरीर में स्वाभाविक रूप से गिरावट शुरू हो जाती है। हमारी मांसपेशियां लचक खोने लगती हैं। पुरुष और महिला दोनों के हार्मोन के स्तर में गिरावट आती है। हार्ट की बीमारी का खतरा भी बढ़ जाता है। इससे निपटने का सबसे अच्छा तरीका एक्सरसाइज ही है। सप्ताह में कम से कम 3 से 5 बार कार्डियो वर्कआउट जरूर करें। यदि आपके जोड़ों में दर्द रहने लगे तो आप साइक्लिंग और स्विमिंग करें। जब आप 50 की उम्र के पार हो जाते हैं तो रोजमर्रा में हाथ-पैर में दर्द की शिकायत आम हो सकती है। इस उम्र के बाद पाचन क्षमता धीमी हो जाती है। वजन आसानी से बढ़ सकता है। ये एक्सरसाइज इससे बचाती है।
60 साल के बाद : उम्र के इस पड़ाव पर स्वस्थ हैं तो भी एक्सरसाइज करना न छोड़ें
शोधकर्ताओं ने पाया है कि जो लोग उम्र बढ़ने पर शारीरिक गतिविधियां करना कम कर देते हैं, उनमें हृदय संबंधी समस्याओं का खतरा 27% बढ़ जाता है। जबकि जो लाेग शारीरिक गतिविधियां जारी रखते हैं, उनमें जोखिम 11% तक कम होता है। इस उम्र में ब्रिस्क वॉकिंग, वेट लिफ्टिंग, डांसिंग, गार्डनिंग, योगा करें। तनाव से बचें। तनाव से एड्रेनालाईन जैसे हार्मोन रिलिज होते हैं। ये धमनियों को संकीर्ण बनाते हैं। रक्तचाप बढ़ाते हैं। याेग से तनाव कम होता है।
सप्ताह में 5 दिन एक्सरसाइज से शरीर में स्फूर्ति बनी रहती है। मांसपेशियों और हड्डियां मजबूत बनती हैं।
कोरोना की वजह से सभी की फिजिकल एक्टिविटी कम हो गई है। स्वास्थ्य के लिए नए खतरे सामने आ रहे हैं। वर्क फ्रॉम होम, स्कूल-कॉलेज बंद होने से लोगों का सिटिंग टाइम बढ़ गया है। इससे हार्ट की बीमारी का खतरा डेढ़ गुना बढ़ गया है। इससे बचने के उपाय हैं रोज 30 मिनट हंसना और आधे घंटे व्यायाम करना। साथ ही दिल की हेल्दी रखने के लिए क्या खाएं और क्या न खाएं, ये भी जानना जरूरी है। आज वर्ल्ड हार्ट डे पर जानिए दिल से जुड़ी खास बातें :
क्या खाएं
सेहतमंद दिल के लिए नियमित दिनचर्या और एक्सरसाइज की हिस्सेदारी 70% है। हेल्दी हार्ट के लिए खाने में जैतून, नारियल और सरसों के तेल जैसे हेल्दी फैट्स शामिल करना चाहिए। साबुत अनाज, बींस, फलियां, फल और सब्जियों में फाइबर होता है। पालक में विटामिन के होता है। स्ट्रॉबेरी, ब्लैकबेरी में भी बैड कोलेस्ट्रॉल घटाने की क्षमता होती है। खाना बनाने में कम तेल का उपयोग करते हुए रोस्टिंग, स्टीमिंग का तरीका अपनाएं।
आपके लिए क्या है नुकसानदायक
रोज दिनभर में एक चम्मच से ज्यादा नमक न लें। जितनी शुगर शरीर को चाहिए वह भोजन में मिल जाती है। एडेड शुगर वाले ड्रिंक मोटापा, हाई कोलेस्ट्रॉल और डायबिटीज की वजह बनते हैं। दूध, पनीर और मांस में सैचुरेटेड फैट होता है, ये बहुत ज्यादा न खाएं। रेड मीट, बेकरी प्रोडक्ट, चिप्स और रेडी टू ईट फूड भी हार्ट को नुकसान पहुंचाते हैं। ये सभी चीजें आपको मोटा बनाती हैं और आपके हार्ट के लिए भी नुकसानदायक होती है।
आपके दिल को सेहतमंद रखेंगे ये 4 आसान उपाय
एरोबिक्स करें
व्यायाम की तरह संगीत की धुन पर थोड़ा थिरकना भी आपको सेहतमंद बनाता है। यह आपके दिल की धड़कनों को तेज करता है और फेफड़ों की पंपिंग बढ़ाता है। मायो क्लीनिक की एक रिपोर्ट के मुताबिक आधे घंटे हल्की बीट्स पर थिरकने से करीब 100 कैलोरी बर्न होती हैं। इससे आपका हार्ट भी एक्टिव रहता है।
हंसिए
फनी मूवी देख रहे हों या दोस्तों के साथ गपशप हो, हल्का सा मुस्कुरा कर मत रह जाइए। जोर से हंसने की आदत आपके लिए फायदेमंद रहेगी। अमेरिकन हार्ट ऐसोसिएशन के अनुसार जोर से हंसने से स्ट्रेस हार्मोन घटते हैं। धमनियों में सूजन कम होती है और लिपोप्रोटीन का स्तर बढ़ता है। जिसे हम गुड कोलेस्ट्रोल भी कहते हैं।
चॉकलेट खाएं
डार्क चॉकलेट में हार्ट हेल्दी फ्लेवोनोइड्स होत हैं। न्यूट्रिशिएंट जर्नल के अनुसार, फ्लेवोनोइड्स हार्ट डिसीज के खतरे के कम करने में मदद करते हैं। चॉकलेट या कोको ने शुगर और हाई ब्लड प्रेशर का जोखिम भी कम होता है। बादाम, अखरोट और अन्य नट वाली चॉकलेट भी आप खा सकते हैं क्योंकि ये चीजें भी दिल को मजबूत बनाती हैं।
धूप भी लें
एडिनबर्ग यूनिवर्सिटी के एक शोध के अनुसार, धूप ब्लड प्रेशर को कम करती है। साथ ही हार्ट अटैक और स्ट्रोक के खतरे को भी कम करती है। इसलिए गुनगुनी धूप में घूमा जा सकता है। इससे तनाव कम होता है और शरीर मजबूत बनेगा। पुराना तनाव, चिंता और क्रोध हार्ट प्रॉब्लम और स्ट्रोक का खतरा बढ़ा सकते हैं। इसलिए इनसे बचिए।
इनोवेशन और तकनीक ने हृदय रोगियों को बीमारी से निपटने की ताकत दी है। वैज्ञानिकों ने नई तरह हार्ट विकसित किया है और हार्ट अटैक रोकने वाला डिफ्रिबिलेटर्स भी बनाया है। आंखों को देखकर हृदय रोग बताने वाली तकनीक भी सामने आ चुकी है। आज वर्ल्ड हार्ट डे पर जानिए ऐसे ही इनोवेशन जो हार्ट डिसीज से लड़ने में हथियार की तरह काम कर रहे हैं....
सॉफ्ट रोबोट : दिल को धड़़कने में मदद करता है
हार्वर्ड विश्वविद्यालय और बोस्टन चिल्ड्रन्स हॉस्पिटल के शोधकर्ताओं ने एक सॉफ्ट रोबोट बनाया है, जो दिल के चारों ओर फिट हो सकता है। यह रोबोट दिल की मदद धड़कने में करता है। यह डिवाइस उन लोगों के लिए बहुत अधिक उपयोगी है, जिन्हें दिल का दौरा पड़ चुका है और इस वजह से उनका दिल कमजोर हो गया है। यह डिवाइस इन लोगों में हार्टफेल के खतरे को कम करती है। यह खून को पतला करने वाली दवाओं की आवश्यकता को खत्म कर देती है।
डिफ्रिबिलेटर्स : अचानक आने वाले हार्ट अटैक को रोकता है
चेक गणराज्य के प्राग में ना होमोलस अस्पताल के शोधकर्ताओं ने इम्प्लांटेबल डिफ्रिबिलेटर्स बनाई हैं। ये डिवाइस अचानक आने वाले हार्ट अटैक को रोक सकती है। वर्तमान डिफिब्रिलेटर के विपरीत नई डिवाइस में मेटल पल्स जनरेटर को चमड़े के पॉकेट की आवश्यकता नहीं होती है। इसमें लचीले स्ट्रिंग आकार की डिवाइस का उपयोग होता है, जिसमें दिल पर कोई लीड नहीं लगानी पड़ती। इसे लगाने में सिर्फ 20 मिनट का वक्त लगता है।
एआई एल्गोरिदम : आंखों को देखकर बताएगा हार्ट डिसीज
गूगल के रिसर्चर और उसकी हैल्थ केयर सबसीडियरी वर्ली के शोधकर्ताओं ने आर्टिफिशियल एल्गोरिदम विकसित किया है, जो आंखों के अध्ययन के आधार पर बता सकेगा कि व्यक्ति को हार्ट की बीमारी है या नहीं। इस तकनीक को विकसित करने के लिए वैज्ञानिकों ने 3 लाख रोगियों के डेटाबेस को देखा और पैटर्न को स्कैन किया। तकनीक 70% सटीकता से भविष्यवाणी कर सकती है कि मरीज को अगले 5 वर्षों में दिल की समस्या होगी या नहीं।
3 डी बायोप्रिंटेड हार्ट टिश्यू : हार्ट की मांसपेशियां बनाती है मशीन
शिकागो स्थित बायोटेक स्टार्टअप बायोलिफ 4 डी ने एक ऐसी तकनीक विकसित की है, जिससे इंसान के हार्ट की मांसपेशियों के पैच को बायोप्रिंट किया जा सकता है। इन मांसपेशियों को हार्ट की मृत मांसपेशी की जगह लगाया जा सकता है। इससे हार्ट अटैक के मरीजों को तेज रिकवरी में मदद मिलेगी। यह मांसपेशी मरीज की रक्त कोशिकाओं को स्टेम कोशिकाओं में फिर से शामिल करने में मदद कर सकती है।
ई-टैटू : धड़कन मापने के लिए छाती पर लगाए जा सकते हैं
ई टैटू बेहद स्लिम, स्ट्रेचेबल डिवाइस है, जो छाती पर अटैच हो सकती है। यह दिल की धड़कनों को मापती है। यह डिवाइस स्मार्टफोन से दूर से नियंत्रित की जा सकती है और इसे कई दिनों तक पहना जा सकता है। यह टैटू इलेक्ट्रोकार्डियोग्राफ और सिस्मोकार्डियोग्राफ पर भी नजर रखता है। दोनों मापों काे मिलाकार ई-टैटू दिल के स्वास्थ्य का अधिक सटीक मूल्यांकन करता है। इसे टेक्सास यूनिवर्सिटी ने बनाया है।
कोरोनाकाल में हार्ट अटैक और कार्डियक अरेस्ट के मामले 20 फीसदी तक बढ़े हैं। ज्यादातर मरीज हृदय रोगों से जुड़े लक्षण दिखने के बावजूद उसे नजरअंदाज कर रहे हैं। कोरोना के डर से हॉस्पिटल जाने से बच रहे हैं। नतीजा, सर्जरी की नौबत आ रही है। हृदय रोग विशेषज्ञ कहते हैं, कोरोनाकाल में कुछ बातों का ध्यान रखा जाए तो हार्ट के ऑपरेशन्स टाले जा सकते हैं।
आज वर्ल्ड हार्ट डे, इस साल की थीम है ''यूज हार्ट टू बीट कार्डियो वेस्कुलर डिसीज''। इस मौके पर इंद्रप्रस्थ अपोलो हॉस्पिटल के कार्डियो-थोरेसिक एंड वेस्कुलर सर्जरी के सीनियर कंसल्टेंट डॉ. मुकेश गोयल और नानावटी सुपर स्पेशिएलिटी हॉस्पिटल के कार्डियोलॉजिस्ट डॉ. सुशांत पाटिल बता रहे हैं कोरोनाकाल में हार्ट को कैसे हेल्दी रखें...
72 साल की महिला के मामले से समझें क्यों अलर्ट रहना जरूरी
इंद्रप्रस्थ अपोलो हॉस्पिटल के कार्डियो-थोरेसिक एंड वैस्कुलर सर्जरी के सीनियर कंसल्टेंट डॉ. मुकेश गोयल कहते हैं, कोरोनाकाल में इमरजेंसी यूनिट में हार्ट अटैक के मामले कम आ रहे हैं। कोरोना के कारण मरीज अस्पताल आने से डर रहे हैं। इसलिए घर पर कार्डियक अरेस्ट के कारण होने वाली मौतों की संख्या बढ़ रही है। अगर हृदय रोगों से जुड़े लक्षण दिखते हैं तो डॉक्टरी सलाह लेने में देरी न करें। एक ऐसा ही मामला हमारे पास आया, इससे खतरे को समझा जा सकता है।
हाल ही में फरीदाबाद की 72 साल की महिला हार्टअटैक के बाद अस्पताल पहुंची। वह पिछले 12 घंटे से सीने में जलन को अनदेखा कर रही थी। कोरोना के डर के कारण वह अस्पताल आने से बचती रही। कुछ घंटों बाद स्थानीय डॉक्टर ने उन्हें अपोलो हॉस्पिटल रेफर किया।
हॉस्पिटल में जांच हुई। रिपोर्ट में सामने आया कि हार्ट अटैक के कारण दोनों हार्ट चैम्बर को अलग करने वाली दीवार फट गई थी। इसका असर फेफड़ों पर भी पड़ा और यूरिन आउटपुट होने के कारण किडनी भी फेल हुई। तीन दिन तक कार्डियक सपोर्ट पर रखने के बाद 5 घंटे तक उसकी बायपास सर्जरी हुई।
डॉ. मुकेश के मुताबिक, अगर परेशानी की शुरुआत होते ही उन्हें हॉस्पिटल लाया जाता है तो सर्जरी तक नौबत नहीं पहुंचती। ऐसे मामलों में हालत अगर अधिक बिगड़ने के बाद हॉस्पिटल लाया जाता है तो मरीज़ को आर्टिफिशियल हार्ट इम्प्लान्ट भी कराना पड़ सकता है।
सर्जरी से बचने के लिए हृदय रोगी ये ध्यान रखें
सर्जरी से बचने के लिए सबसे जरूरी है, हृदय रोगी अपनी दवाएं और ट्रीटमेंट न बंद करें। घर में रहते हुए ही खुद को फिजिकली एक्टिव रखें। भीड़ वाली जगहों पर जाने से बचें। बाहर निकलने पर मास्क जरूर लगाएं। घर में कोई बाहरी शख्स आता है सीधेतौर पर उसके सम्पर्क में न आएं।
3 रिसर्च बताती हैं कि कोरोना के निशाने पर हार्ट भी है
हृदय रोगी पहले से कोरोना के रिस्क जोन में हैं लेकिन रिकवरी के बाद भी इसका असर हार्ट पर बरकरार रहता है। ऐसे समझें...
हार्ट को हेल्दी कैसे रखें, 5 बातों से समझें
खानपान : मोटा अनाज और कम मीठे फल लें
गेहूं की रोटी की जगह बाजरा, ज्वार या रागी अथवा इनका आटा मिलाकर बनाई रोटी खाएं। आम, केला, चीकू जैसे ज्यादा मीठे फल कम खाएं। इनके बजाय पपीता, कीवी, संतरा जैसे कम मीठे फल खाएं। तली और मीठी चीजें जितना कम कर दें, उतना बेहतर है। जितनी भूख से उससे 20 फीसदी कम खाएं और हर 15 दिन में वजन चेक करते रहें।
वर्कआउट : 45 मिनट की एक्सरसाइज या वॉक जरूरी
सप्ताह में पांच दिन 45 मिनट तक कसरत करें। वॉकिंग भी करते हैं तो असर दिखता है। दिल की बीमारियों की एक बड़ी वजह मोटापा है। वजन जितना बढ़ेगा और हृदय रोगों का खतरा उतना ज्यादा रहेगा। फिटनेस को इस स्तर पर लाने का प्रयास करें कि सीधे खड़े होने पर जब आप नीचे नजरें करें तो बेल्ट का बक्कल दिखे। अगर एक से डेढ़ किलोमीटर जाना है तो पैदल जाएं।
लाइफस्टाइल : जल्दी सोने-जल्दी उठने का रुटीन बनाएं, 7 घंटे की नींद जरूरी
रोजाना कम से कम 7 घंटे की नींद जरूर लें। जल्दी सोने और जल्द उठने का रूटीन बनाएं। रात 10 से सुबह 6 बजे तक सोने का आदर्श समय है। इससे शरीर नाइट साइकिल में बेहतर आराम कर सकेगा। तनाव लेने से बचें, इसका सीधा असर मस्तिष्क और हृदय पर होता है।
धूम्रपान-अल्कोहल : इससे जितना दूर रहेंगे, हार्ट उतना हेल्दी रहेगा
धूम्रपान पूरी तरह छोड़ दें। लगातार धूम्रपान करने से उसका धुआं धमनियों की लाइनिंग को कमजोर करता है। इससे धमनियों में वसा के जमा होने की आशंका और भी बढ़ जाती है। इसी तरह अल्कोहल से दूरी बना लेते हैं तो हार्ट हेल्दी रहेगा।
सोशल मीडिया : हार्ट को हेल्दी रखने के लिए अफवाहों से बचना भी जरूरी
डॉ. सुशांत पाटिल कहते हैं, सोशल मीडिया और वॉट्सऐप पर आए मैसेज में कई तरह के दावे किए जाते हैं जो आपकी सेहत को बिगाड़ सकते हैं। हार्ट को लेकर भी कई अफवाह वायरल होती हैं। जैसे- दिन की शुरुआत 4 गिलास पानी से करते हैं तो हृदय रोगों का खतरा नहीं होता। ऐसे मैसेजेस से बचें और कोई भी जानकारी लेने के लिए डॉक्टर पर ही भरोसा करें, वरना ये हालत को सुधारने की बजाय और बिगाड़ सकते हैं।
दुनिया में सबसे ज्यादा मौतें हृदय रोगों से
दुनियाभर में सबसे ज्यादा मौतें हृदय रोगों से होती हैं। वर्ल्ड हार्ट फेडरेशन के मुताबिक, दुनियाभर में हर 3 में से 1 मौत हृदय रोग से हो रही है। इसके 80 फीसदी मामले मध्य आय वर्ग वाले देशों में सामने आते हैं।
© 2012 Conecting News | Designed by Template Trackers - Published By Gooyaabi Templates
All Rights Strictly Reserved.