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Tuesday, June 30, 2020

पीत ज्वर या येलो फीवर महामारी की चपेट में आकर हजारों फ्रांसीसी सैनिक मारे गए। कैरिबायई क्षेत्र में इतने लोगों के मरने का यह रिकॉर्ड करीब 300 सालों का है। इस महामारी के चलते वेस्ट इंडीज को लेकर नेपोलियन की वह योजना बिखर गई जिसका केंद्र बिंदु हैती था।

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करण जौहर इसी मौज मस्ती के दौरान रानी मुखर्जी से सवाल पूछते हैं कि कोई ऐसी चीज...

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देश में कोरोनावायरस (Coronavirus) के मामले लगातार बढ़ते जा रहे हैं. हालांकि, अब...

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सुशांत सिंह राजपूत (Sushant Singh Rajput) को खुद को स्टार से ज्यादा एक्टर मानते थे. उनका...

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बॉलीवुड एक्टर सोनू सूद (Sonu Sood) इन दिनों काफी सुर्खियों में हैं. एक्टर लगातार...

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कोरोना वायरस से परेशान लोगों की मुश्किलेंं बढ़ाने के लिए अब डेंगू भी आ गया है। सबसे बड़ी परेशानी ये है कि कैसे पहचाना जाए

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टेलीविजन की इच्छाधारी नागिन और मशहूर एक्ट्रेस निया शर्मा (Nia Sharma) सोशल मीडिया...

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फटे हुए दूध के पानी में भरपूर मात्रा में प्रोटीन होता है जो हमारे शरीर के लिए बहुत लाभ दायक रहता है।

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लॉकडाउन लगे हुए तीन महीने का लंबा वक्त गुजर चुका है, और अब घर में बोरियत लगने लगी है तो चलिए आपको लेकर चलते हैं, नेशनल पार्क की जंगल सफारी पर वन्य जीवों से मिलवाने।

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कोरोनावायरस महामारी (Coronavirus Pandemic) का प्रभाव फिल्म इंडस्ट्री पर भी काफी गहरा...

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टीवी और बॉलीवुड की दुनिया में जबरदस्त पहचान बनाने वाले अली असगर (Ali Asgar) इन...

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कोई भी रिलेशनशिप को निभाने के लिए उसमें प्यार होना बहुत जरूरी होता है खासकर जब आपको किसी के साथ अपनी पूरी जिंदगी बितानी हो। लेकिन अगर दोनों के बीच प्यार ही खत्म हो जाए तो रिश्ता बोझ बनकर रह जाता है।

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दुनियाभर के मरीजों को बचाने में कोरोनावॉरियर यानी डॉक्टर्स जुटे हैं। संक्रमण के बीच वो मरीजों का इलाज भी कर रहे हैं और खुद को बचाने की जद्दोजहद में भी लगे हैं। आज नेशनल डॉक्टर्स डे है, जो देश के प्रसिद्ध चिकित्सक और पश्चिम बंगाल के दूसरे मुख्यमंत्री डॉ. बिधानचंद्र रॉय के सम्मान में मनाया जाता है। केंद्र सरकार ने देश में डॉक्टर्स डे मनाने की शुरुआत 1 जुलाई 1991 में की। 1 जुलाई उनका जन्मदिवस है। जानिए उनकी लाइफ से जुड़े 5 दिलचस्प किस्से...

डॉ. बिधान चंद्र रॉय बापू के पर्सनल डॉक्टर भी थे और एक दोस्त भी।

किस्सा 1 : जब बापू ने बिधान चंद्र से कहा, तुम मुझसे थर्ड क्लास वकील की तरह बहस कर रहे हो

1905 में जब बंगाल का विभाजन हो रहा था जब बिधान चंद्र रॉय कलकत्ता यूनिवर्सिटी में पढ़ाई कर रहे थे। उन्होंने अंग्रेजों के खिलाफ आंदोलन में हिस्सा लेने की जगह अपनी पढ़ाई को प्राथमिकता दी। पढ़ाई पूरी करने के बाद वह स्वतंत्रता आंदोलन से जुड़े और धीरे-धीरे बंगाल की राजनीति में पैर जमाए। इस दौरान वह बापू महात्मा गांधी के पर्सनल डॉक्टर रहे।

1933 में ‘आत्मशुद्धि’ उपवास के दौरान गांधी जी ने दवाएं लेने से मना कर दिया था। बिधान चंद्र बापू से मिले और दवाएं लेने की गुजारिश की। गांधी जी उनसे बोले, मैं तुम्हारी दवाएं क्यों लूं? क्या तुमने हमारे देश के 40 करोड़ लोगों का मुफ्त इलाज किया है?

इस बिधान चंद्र ने जवाब दिया, नहीं, गांधी जी, मैं सभी मरीजों का मुफ्त इलाज नहीं कर सकता। लेकिन मैं यहां मोहनदास करमचंद गांधी को ठीक करने नहीं आया हूं, मैं उन्हें ठीक करने आया हूं जो मेरे देश के 40 करोड़ लोगों के प्रतिनिधि हैं।इस पर गांधी जी ने उनसे मजाक करते हुए कहा, तुम मुझसे थर्ड क्लास वकील की तरह बहस कर रहे हो।

यह तस्वीर उस दौर की है जब डॉ. रॉय पश्चिम बंगाल में मुख्यमंत्री थे।

दूसरा किस्सा : रॉय इतने बड़े हैं कि नेहरू भी उनके हर मेडिकल ऑर्डर मानते हैं

डॉ. बिधान चंद्र रॉय की तारीफ का सबसे चर्चित किस्सा देश के पहले प्रधाानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू से जुड़ा है। बिधानचंद्र देश के उन डॉक्टर्स में से एक थे जिनकी हर सलाह का पालन पंडित जवाहर लाल पूरी सावधानी के साथ करते हैं। इसका जिक्र पंडित जवाहर लाल ने वॉशिग्टन टाइम्स को 1962 में दिए एक इंटरव्यू में किया था। उन्होंने उस दौर की बात अखबार से साझा की जब वो काफी बीमार थे और इलाज के लिए डॉक्टर्स का एक पैनल बनाया गया था, जिसमें रॉय शामिल थे। इंटरव्यू के बाद अखबार ने लिखा था, रॉय इतने बड़े हैं कि नेहरू भी उनके हर मेडिकल ऑर्डर का पालन करते हैं।

डॉ. रॉय ने बंगाल में कई संस्थानों और 5 शहरों की स्थापना की। इनमें दुर्गापुर, कल्यानी, अशोकनगर, बिधान नगर और हाबरा शामिल है।

तीसरा किस्सा : सामाजिक भेदभाव का शिकार हुए, अमेरिक रेस्तरां ने रॉय को बाहर निकल जाने को कहा

1947 में बिधानचंद्र खाने के लिए अमेरिका के रेस्तरां पहुंचे तो उन्हें देखकर सर्विस देने से मना कर दिया गया। पूरा घटनाक्रम न्यूयॉर्क टाइम्स में प्रकाशित हुआ। न्यूयॉर्क टाइम्स में प्रकाशित रिपोर्ट के मुताबिक, रॉय अपने पांच दोस्तों के साथ रेस्तरां पहुंचे। उनको देखकर रेस्तरां ऑपरेटर ने महिला वेटर से कहा, उनसे कहें, यहां उन्हें सर्विस नहीं जाएगी, वो यहां से खाना लेकर बाहर जा सकते हैं।

यह बात सुनने के बाद रॉय वहां से उठे और चले गए। घटना के बाद इस सामाजिक भेदभाव का पूरा किस्सा रिपोर्टर से साझा किया और भारत लौट आए।

डॉ. रॉय को 1961 में भारत सरकार ने भारत रत्न से सम्मानित किया था।

चौथा किस्सा : आर्थिक तंगी से जूझ रहे सत्यजीत रे को आर्थिक मदद उपलब्ध कराई

जाने माने फिल्मकार सत्यजीत रे को अपनी फिल्म पाथेर पंचाली बनाने के लिए आर्थिक संघर्ष से जूझना पड़ा था। कई दिक्कतों के बाद उनकी मां ने उन्हें अपने परिचितों से मिलवाया। रॉय उनमें से एक थे और तत्कालीन मुख्यमंत्री भी थे। रॉय सत्यजीत रे के इस प्रोजेक्ट से काफी प्रभावित हुए और उन्हें सरकारी आर्थिक मदद देने के लिए राजी हुए। इतना ही नहीं फिल्म पूरी होने के बाद रॉय ने जवाहर लाल नेहरू के लिए इस फिल्म की स्पेशल स्क्रीनिंग भी रखवाई। फिल्म में गरीबी से जूझते देश की कहानी दिखाई गई।

तत्कालीन मुख्यमंत्री बिधान चंद्र रॉय साल्ट लेक सुधार स्कीम के उद्घाटन के दौरान। यह तस्वीर 16 अप्रैल 1962 की है। काले चश्मे में डॉ. रॉय (दाएं)

पांचवा किस्सा : डीन से 30 मुलाकातों के बाद उन्हें लंदन में मिला एडमिशन

रॉय हायर स्टडी के लिए 1909 में लंदन के सेंट बार्थोलोमिव्स हॉस्पिटल पहुंचे थे। लेकिन यहां उनके लिए एडमिशन लेना आसान नहीं रहा। सेंट बार्थोलोमिव्स हॉस्पिटल के डीन ने रॉय को एडमिशन न देने के लिए काफी कोशिशें की। उन्होंने करीब डेढ़ महीने तक रॉय को रोके रखा ताकि वे वापस लौट जाएं। रॉय ने भी एडमिशन के अपनी कोशिशें जारी रखीं। डीन से एडमिशन के लिए 30 बार मुलाकात की। अंतत: डीन का दिल पिघला और एडमिशन देने के लिए राजी हुए।



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National Doctors Day 2020; Four Interesting Facts About Dr Bidhan Chandra Roy


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आज भारत में डॉक्टर्स डे मनाया जा रहा है। स्वतंत्रता सेनानी और बंगाल के सीएम रहे भारत रत्न डॉ. बिधानचंद्र रॉय की याद में मनाया जाने वाला यह दिन इस बार विशेष भी है। आज का दिन दिन-रात जुटे उन डॉक्टर्स को सलाम करने का है जिनके लिए कोरोनावायरस को हराना ही एकमात्र लक्ष्य है।

दुनिया के हर देश में पहुंचे कोरोना से लड़ने के लिए इन फ्रंटलाइन डॉक्टर्स की हजारों कहानियां है। त्याग, समर्पण और संघर्ष की इन कहानियों में ही जिंदगी की उम्मीदे जगमगा रही हैं क्योंकि इस 2020 के डॉक्टर्स डे पर ऐसा लगता है कि हमारा हर दिन डॉक्टर्स की मेहरबानी पर है।

आज इस दिन के मौके परफोटो में देखते हैं फिलीपींस के दो डॉक्टर की कहानी जो बताती है कि हालात कितने मुश्किल हैं और डॉक्टर कितनी हिम्मत के साथ डटे हैं। (सभी फोटो रायटर्सएजेंसी के सौजन्य से)

सबसे पहले फिलीपींस के मनीला में काम कर रही डॉ जेन क्लेरी डोराडो की कहानी। यहां की राजधानी मनीला के ईस्ट एवेन्यू मेडिकल सेंटर हॉस्पिटल में कोविड-19 के इमरजेंसी रूम में काम की जिम्मेदारी लेने वाली इस डॉक्टर की जिंदगी पूरी तरह बदल गई है। जब उन्होंने काम शुरू किया तो सबसे पहले मन में आया कि अब घर नहीं जाना है ताकि परिवारजनों को इंफेक्शन से बचा सकूं, लेकिन वह ऐसा कर नहीं पाईं।

बीते दो महीने से डॉ. जेन हर रोज बड़े हौसले के साथ कोविड-19 इमरजेंसी रूम में अपनी सेवाएं दे रही हैं। हर रोज वे करीब 12 घंटे की शिफ्ट करने के बाद घर लौटती हैं तो उनके मन में हमेशा यही डर होता है कि मैं कहीं इंफेक्शन का कारण न बन जाऊं।
30 साल की डॉ. जेन के पैरेंट्स ने अपनी डॉक्टर बेटी पर बहुत दबाव बनाया कि वह उनके साथ घर में रहें, लेकिन बेटी उनसे दूर रहना चाहती थी। ऐसे में उनके पिता ने अपने स्टोरेज रूम में ही एक प्लास्टिक शीट और फॉइल लगाकर आइसोलेशन एरिया बना दिया। अब हर रोज डॉ. जेन हॉस्पिटल से घर पहुंचकर बाहर शूज उतारती हैं और उसी आइसोलेशन एरिया में रात बिताती हैं।
उनके पैंरेट्स की चिंता है कि वे बेटी के लिए कुछ कर सकें। इसीलिए वे उसके लिए खाना पहले ही एक स्टूल पर रख देते हैं और खुद प्लास्टिक शीट में बनी खिड़की से उसे देखते रहते हैं। डॉ. जेन भी उनका वहीं से हालचाल पूछती हैं। वे अपनी प्यारी बिल्ली को दुलार भी उसी खिड़की से कर लेती हैं।
डॉ. जेन डोराडो कहती हैं कि, ये सबसे मुश्किल घड़ी होती है क्योंकि मैं अपनों के पास होकर भी उनसे दूर हूं। लेकिन, ये करना ही पड़ेगा क्योंकि और कोई विकल्प भी नहीं है। मेरी मां की इच्छा मुझे को गले लगाने की होती है, लेकिन मैं उन्हें ऐसा न करने देने के लिए मजबूर हैं।
हॉस्पिटल में डॉ. जेन और उनके साथियों का अधिकतर समय आईसीयू में भर्ती गंभीर मरीजों की देखभाल में बीतता है। उनके देश में कोरोना के कारण सैकड़ों मेडिकल वर्कर्स संक्रमित हुए हैं और 30 से ज्यादा डॉक्टरों की भी मौत हो चुकी है। बावजूद इसके वे पूरे हौसले से जुटी हुई हैं।
यह दूसरी कहानी मनीला की ही एक अन्य डॉक्टर की है जो बच्चों को बचाने में जुटी हैं। 38 साल की पेडियाट्रिशियन डॉ. मीका बास्टिलो मनीला के एक दूसरे हिस्से में बच्चों के हॉस्पिटल में काम करती है जो कि अब एक कोविड रेफरल फेसिलिटी बना दिया गया है। डॉ. मीका कहती हैं कि, मेरी फैमिली चाहती हैं कि मैं अपना काम छोड़ दूं, लेकिन मुझे लगता है कि ऐसा करना सही नहीं, क्योंकि मैं जहां जाऊंगा कोरोना को तो फेस करना ही पड़ेगा।
डॉ. मीका के पिता और उनकी बहन भी काफी बीमार हैं और उन्हें भी मेडिकल सपोर्ट पर रखा गया है, बावजूद इसके उनके परिवार ने अपने घर के बाहर अस्थायी जगह बना दी है जिसमें जरूरत भर का सामान है। डॉ. मीका रोज यहीं रहती है और इसे अपना "क्वारैंटाइन होम" कहती हैं।बारिश से बचने के लिए इस तंबू नुमा जगह को प्लास्टिक शीट से ढंक दिया गया है और इसी के जरिये उनका परिवार आपस में सुरक्षित सोशल डिस्टेंसिंग रखता है।
डॉ. मीका कहती हैं, "मेरी मां ने इसमें परदे और टेबल क्लॉथ लगा दिए हैं जिससे कि ये घर जैसा नजर आए.... और मेरे भाई ने प्लास्टिक शीट से सेपरेशन बना दिया है।कोरोना के कारण बिगड़ते हालात के बीच डॉ. मीका हर रात N95 लगाकर परिवार के साथ प्रार्थना करती है कि ईश्वर हमें इस विपदा से उबार ले और इसी के साथ अगले दिन की तैयारियों में जुट जाती है क्योंकि उन्हें हॉस्पिटल में अपना कर्त्तव्य निभाना होता है।

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National Doctors Day 2020; How doctors shield families from COVID-19 with 'quarantent', safe spaces


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महामारी के छह महीने बीत चुके हैं लेकिन न तो वैक्सीन तैयार हो पाई है न ही मामले थमते नजर आ रहे हैं। दुनियाभर में कोरोना का आंकड़ा एक करोड़ पार कर चुका है। इन छह महीनों में डॉक्टर्स और अस्पतालों ने कोरोना पीड़ितों के इलाज के दौरान कई नई बातें सीखी और समझी हैं। कोविड-19 के मामले सर्दी, सूखी खांसी और सांस की तकलीफ के साथ शुरू हुए थे लेकिन अब इसके लक्षणों में भी बढ़ोतरी हुई है। ब्रेन स्ट्रोक, पेट में तकलीफ, शरीर में खून के थक्के समेत कई नए लक्षण नजर आ चुके हैं। आज नेशनल डॉक्टर्स डे है। इस मौके परजानिए कोरोना के जरिए विशेषज्ञों को मिली ऐसी पांच सीख जो इलाज में काम आईं...

पहली सीख : कोविड के मरीजों में खून के थक्के जमने पर थिनिंग एजेंट देने से घटे

कोरोना से जूझ रहे मरीजों में खून के थक्के जमने के मामले बेहद आम हो रहे हैं। जो ब्रेन स्ट्रोक की वजह बन सकते हैं। इसका असर दिमाग से लेकर पैर के अंगूठों तक हो रहा है। अमेरिका की ब्रॉउन यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं का कहना है कि पिछले दो महीने से कोरोना संक्रमितों में त्वचा फटने, स्ट्रोक और रक्तधमनियों के डैमेज होने के मामले भी दिख रहे हैं।

खून को पतला करने वालों की दवाओं (थिनिंग एजेंट) से कोरोना पीड़ितों की हालत को 50 फीसदी तक सुधारा जा सकता है। अमेरिकी शोधकर्ताओं के मुताबिक, वेंटिलेटर पर मौजूद मरीजों को अगर ऐसी दवाएं दी जाएं तो उनके बचने की दर 130 फीसदी तक बढ़ जाती है। दवा से गाढ़े खून को पतला करने के इलाज को एंटी-कोएगुलेंट ट्रीटमेंट कहते हैं। शोध करने वाली न्यूयॉर्क के माउंट सिनाई हेल्थ सिस्टम की टीम का कहना है कि यह नई जानकारी कोरोना के मरीजों को बचाने में मदद करेगी।

दूसरी सीख : फेफड़े के अलावा वायरस हार्ट, ब्रेन, किडनी और लिवर पर अटैक कर सकता है

कोरोना वायरस अब सिर्फ फेफड़े ही नहीं हार्ट, ब्रेन, किडनी और लिवर पर भी अटैक कर सकता है। अमेरिकी शोधकर्ताओं ने ब्रेन थैरेपी को कोरोना के गंभीर मरीजों के लिए मददगार बताया है। केस वेस्टर्न रिजर्व यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं के मुताबिक, मस्तिष्क के कुछ जरूरी हिस्से ऐसे होते हैं जो सांसों और रक्तसंचार को कंट्रोल करते हैं।

अगर ऐसे हिस्सों को टार्गेट करने वाली थैरेपी का इस्तेमाल कोरोना मरीजों पर किया जाए तो उन्हें वेंटिलेटर से दूर किया जा सकता है। अब मरीजों में कोरोना शरीर के दूसरे अंगों को कितना नुकसान पहुंचा रहा है, डॉक्टर्स इसे भी मॉनिटर कर रहे हैं।


तीसरी सीख : एंटीवायरल रेमेडेसिवीर, स्टीरॉयड डेक्सामेथासोन और प्लाज्मा से बेहतर नतीजे मिल रहे

रिसर्च में अब तक एंटीवायरल रेमेडेसिवीर, स्टीरॉयड डेक्सामेथासोन ही दो ऐसी दवाएं हैं जिनका असर कोरोना के मरीजों पर बेहतर असर दिखा है। कई देशों में इसका इस्तेमाल मरीजों पर करने की अनुमति भी मिल चुकी है।

अमेरिकी फार्मा कंपनी गिलीड साइंसेज के पास रेमडेसिवीर का पेटेंट हैं। ग्लेन फार्मा और हेटरो लैब्स के बाद अब सिप्ला ने कोरोना मरीजों के लिए रेमडेसिवीर की जेनरिक मेडिसिन पेश की है। इसका नाम सिप्‍रिमी रखा गया है। हाल ही में भारत में सेंट्रल ड्रग्स स्टैंडर्ड कंट्रोल ऑर्गनाइजेशन ने हेटरो लैब्‍स को रेमेडेसिवीर के जेनरिक वर्जन के मैन्युफैक्चर और सप्लाई की अनुमति दी थी। हेटरो यह दवा भारत में कोविफॉर नाम से बेचेगी जो गेम चेंजर साबित हो सकती है।

कोरोना के मरीजों में कौन सी दवा सटीक काम कर रही है, इस सर गंगाराम हॉस्पिटल की विशेषज्ञ डॉ. माला श्रीवास्तव का कहना है कि कुछ मरीजों में एंटीवायरल, स्टीरॉयड दवाएं बेहतर काम कर रही हैं कुछ में प्लाज्मा थैरेपी। कोरोना के मरीजों के लिए कौन सी एक दवा बेहतर है, यह कहना मुश्किल है।

चौथी सीख : जितनी ज्यादा टेस्टिंग करेंगे उतनी तेजी से हॉस्पिटल में मरीजों का दबाव घटेगा

विशेषज्ञों का कहना मरीजों की संख्या बढ़ने की बड़ी वजह यह नहीं है कि वायरस का संक्रमण तेजी से बढ़ रहा है बल्कि जांच में तेजी आने से मरीज सामने आ रहे हैं। अधिक से अधिक जांच बेहद जरूरी है। मरीज जितनी जल्दी सामने आएंगे मामले कम होंगे और हॉस्पिटल में बढ़ रहे मरीजों की संख्या घटेगी। उन पर इलाज करने का दबाव कम होगा।

हाल ही में आईसीएमआर ने भी अपनी जांच करने की रणनीति का दायरा बढ़ाया है। एसिम्प्टोमैटिक, सिम्प्टोमैटिक की जांच के अलावा इनसे मिलने वालों का भी आरटी-पीसीआर टेस्ट करने की गाइडलाइन जारी की है।


पांचवी सीख : दुनियाभर में कोरोना से जुड़ी हर नई जानकारी डॉक्टर्स तक पहुंचना जरूरी

विशेषज्ञों के मुताबिक, कोरोना के मरीजों में दिख रहे नए लक्षण, रिसर्च और वैक्सीन से जुड़े हर अपडेट की जानकारी दुनियाभर के विशेषज्ञों तक पहुंचना जरूरी है। जैसे खाने का स्वाद न मिलना और खुश्बू को न पहचान पाना जैसे लक्षण अमेरिका और ब्रिटेन के कोरोना पीड़ितों में देखे गए, बाद में ये हर देशों के मरीजों में दिखे। ऐसे मामले आम होने के बाद इसके लक्षण अमेरिकी स्वास्थ्य संस्था सीडीसी ने अपनी गाइडलाइन में शामिल किया। देश में भी इसे कोरोना का लक्षण माना गया। ऐसे मामलों की जानकारी विशेषज्ञों को कोरोना के मामले समझने में मददगार साबित होती है।



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National Doctors Day 2020; what covid teached to doctors and hospitals 5 learning of corona pandemic


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जो लोग पुरुषों और महिलाओं दोनों से यौन आकर्षण महसूस करते हैं उन्हें बाइसेक्शुअल कहा जाता है। जब हम एलजीबीटीक्यूआई समुदाय की बात करते हैं तो इसमें शामिल ‘बी’ का मतलब बाइसेक्शुअल होता है।

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जब दुनिया भर के विशेषज्ञ कोरोना वायरस को खत्म करने की कोशिशों में लगे हुए हैं। तब भी शीर्ष रोग विशेषज्ञ इंफ्लूएंजा के नए और बुरे स्ट्रेन को लेकर सचेत बने हुए हैं।

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आमिर खान (Aamir Khan) ने अपनी पोस्ट में लिखा, "आप सभी की जानकारी के लिए, मेरे कुछ स्टाफ...

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एक्टर सुशांत सिंह राजपूत (Sushant Singh Rajput) के निधन के बाद फिल्म इंडस्ट्री में...

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टिक टॉक पर15 सेकेंड वीडियो बनाकर टिक टॉक स्टार कहलाना गर्ल्स के बीच पिछले कुछ सालों में खूबपाॅपुलर हुआ।अपनी क्रिएटिविटी को दर्शाने वाली इन स्टार्सके टिक टॉक परलाखों फॉलोअर्स हैं। टिक टॉक के अलावा ये इंस्टाग्राम और यू ट्यूबपर भी काफी एक्टिव रहती हैं।

जन्नत जुबैर रहमानी
टिकटॉक पर जितनी फेमसजन्नत जुबैर रहमानी हैं, उतने ही उनके भाई अयान भी हैं। अयान सिर्फ11 साल की उम्र में अपनी बहन के साथ टिक टॉक पर छाए रहते हैं।इतनी सी उम्र में ही उनके इंस्टाग्राम पर 7 लाख से भी ज्यादा फॉलोअर्स हैं। जन्नत टीवी सीरियल फुलवा में लीड रोल निभा चुकी हैं।इंस्टाग्राम पर उनके 1.2 करोड़से ज्यादा फॉलोअर्स हैं।

फैन फॉलोइंग : 13 लाख
इनकी कमाई : 20 लाख रुपए प्रति माह

गरिमा चौरसिया
गरिमा ने जब से टिक टॉक पर अपना डांस वीडियो 'बहुत हार्ड'पोस्ट किया है, तब से उन्हें 'बहुत हार्डगर्ल' के नाम से जाना जाता है। इंस्टाग्राम पर उनके 10 लाख से ज्यादा फॉलोअर्स हैं।गरिमा ने पंजाबी गानों में भी काम किया है। इसके अलावा वेमॉडलिंग भी करती हैं। इंस्टाग्राम पर उन्हें गीमा_आशी के नाम से पहचाना जाता है। वे पंचामृत और ग्लेमिशा के विज्ञापन में मॉडलिंग करती नजर आ चुकी हैं।
फैन फॉलोइंग : 1.58 करोड़
इनकी कमाई : 6 लाख रुपए प्रति माह

अर्शिफा खान
इन्होंने अपने कॅरियर की शुरुआत 2012 में चाइल्ड एक्ट्रेस के तौर पर की थी। धीरे-धीरे अर्शिफाने एक्टिंग में महारत हासिल कर ली। शायरी वीडियो के अलावा यह अपनी आईडी पर लिप सिंक और डांस वीडियो भी अपलोड करती रहती हैं जोदर्शकों को बहुत पसंद आते हैं। इन्होंने कई म्युजिक वीडियो में भी काम किया है।
फैन फॉलोइंग : 2.2 करोड़

इनकी कमाई : 50लाख रुपए सालाना

अवनीत कौर
टीवी एक्ट्रेस अवनीत को रियलिटी शो डांस इंडिया डांस लिटिल मास्टर और अलादीन-नाम तो सुना होगा जैसे टीवी सीरियल से शोहरत मिली। अवनीत फैशन आइकन के तौर पर भी गर्ल्स के बीच खास पहचान रखती हैं। इस एक्ट्रेस ने 2010 में एक डांस रीयलिटी शाेसे अपने कॅरिअर की शुरुआत की थी। फिर कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा।

फैन फॉलोइंग : 2.14करोड़
इनकी कमाई : 16 लाख प्रति माह

समीक्षा सूद
प्रोफेशनल मॉडल और टीवी एक्ट्रेस समीक्षा टिक टॉक पर बेहतरीन वीडियो क्लिप और कॉमेडी के जरिए अपनी खास पहचान रखती हैं। उन्होंनेटीवी सीरियल बाल वीर में अपने एक्टिंग के जौहर दिखाए हैं।इंस्टाग्राम पर उनके फॉलोअर्स की संख्या 0.2 करोड़है।
फैन फॉलोइंग : 2.28कराेड़
इनकी कमाई : 8-10 लाख रुपए प्रति माह



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Jannat Zubair earns 20 lakhs every month by becoming a Tick Talk star, from dignity to Avneet Kaur is also ahead in terms of earning


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बारिश के मौसम ने दस्तक दे दी है। वैसे तो यह मौसम बहुत सुहाना होता है, जो सबको पसंद आता है। लेकिन मौसम में बदलाव होने के कारण सर्दी, खांसी, जुकाम और बुखार यानी वायरल फीवर जैसी समस्याएं भी लोगों को बहुत परेशान करती हैं।

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मैं तिब्बत में सिर्फ 100 घंटे रहने के बाद वापस चला जाऊंगा ताकि ल्हासा में मेरा रहना मेरे दिमाग में हमेशा स्पष्ट रहे।

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कपिल शर्मा (Kapil Sharma) की ऑनस्क्रीन पत्नी का किरदार निभा चुकीं सुमोना चक्रवर्ती...

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निया शर्मा (Nia Sharma) ने अपने ट्वीट में टिकटॉक (TikTok) के बैन होने पर प्रतिक्रिया देते...

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सीरियल 'कसौटी जिंदगी के 2 (Kasautii Zindagii Kay 2)' में अनुराग का किरदार निभाने वाले एक्टर...

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Monday, June 29, 2020

तमाम रिसर्च से पता चला है कि हम अक्सर ये सोचते हैं कि युवा ज्यादा सेक्स करते हैं। हमारी ये सोच हकीकत से परे है। यही हाल महिलाओं की सेक्स लाइफ को लेकर मर्दों की सोच का है।

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बॉलीवुड एक्टर सुशांत सिंह राजपूत (Sushant Singh Rajput) के निधन के बाद से ही फिल्मी दुनिया...

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चीन के साथ जारी सीमा विवाद के बीच सरकार ने TikTok और UC Browser समेत चीन से संबंध‍ित 59...

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देशमें कोरोना की पहली वैक्सीन ‘कोवैक्सीन’ को हैदराबाद की फार्मा कम्पनी भारत बायोटेक तैयार किया है। इसे इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (आईसीएमआर) और नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी, पुणे के साथ मिलकर बनाया गया है। ‘कोवैक्सीन’ का ट्रायल इंसानों पर करने के लिए ड्रग कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया की तरफ से अनुमति मिल गई है। प्री-क्लीनिकल ट्रायल सफल होने के बाद वैक्सीन को अप्रूवल मिला है। देश में इंसानों पर इसका का ट्रायल अगले माहसे शुरू होगा।



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विद्युत जामवाल (Vidyut Jamwal) ने खुद को इस इवेंट में न बुलाए जाने पर लिखा था, 'जाहिर है...

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Marsha P Johnson Google Doodle: 24 अगस्त, 1945 को अमेरिका के एलिजाबेथ शहर में जन्में मार्शा पी. जॉनसन...

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इस समय हमने देखा कि बहुत से लोगों ने लॅाकडाउन में ही शादी कर ली, परंतु बहुत से लोग ऐसे भी हैं जिन्होंने  लॅाकडाउन में शादी करना का फैसल नहीं किया।

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छोटो बच्चों को खांसी होना बहुत तकलीफदेह होता है। और माता-पिता के लिए भी ये परेशानी का सबब बन जाता है।

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अक्षय कुमार (Akshay Kumar) की आने वाली हॉरर-कॉमेडी 'लक्ष्मी बम (Laxmmi Bomb)' साल की...

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बॉलीवुड एक्ट्रेस आलिया भट्ट (Alia Bhatt), आदित्य रॉय कपूर (Aditya Roy Kapur), संजय दत्त (Sanjay Dutt) और...

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बॉलीवुड एक्टर कार्तिक आर्यन (Kartik Aaryan) इन दिनों सोशल मीडिया पर काफी एक्टिव हैं....

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सुशांत सिंह राजपूत (Sushant Singh Rajput) के निधन से हर कोई दुखी है. बीते कई दिनों से...

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कोरोना से मौत का खतरा डॉक्टरों से दोगुना फैक्ट्री के मजदूरों और सिक्योरिटी गार्ड की नौकरी कर रहे लोगों को है। यह आंकड़ा ब्रिटेन के विशेषज्ञों ने अलग-अलग क्षेत्र में काम कर रहे 4700 कोविड-19 के मरीजों के डेटाका एनालिसिस करने के बाद जारी किया हैं। रिपोर्ट में 9 मार्च से 25 मई के बीच 20 से 64 साल के कोरोना पीड़ितों को शामिल किया था।

सिक्योरिटी गार्ड बनाम स्वास्थ्यकर्मी
रिसर्च में सामने आया कि एक लाख लोगों पर 74 पुरुष सिक्योरिटी गार्ड और 73 फैक्ट्री वर्कर की कोरोना से मौत हुई। वहीं स्वास्थ्य कर्मियों में यही आंकड़ा अलग रहा है। इनमें 1 लाख लोगों पर 30 स्वास्थ्यकर्मियों की मौत हुई। विशेषज्ञों के मुताबिक, एम्बुलेंस स्टाफ में संक्रमण का खतरा 82.4 फीसदी रहा, जो सबसे ज्यादा था। विशेषज्ञों के मुताबिक, हमारा मकसद यह बताना नहीं है कि डॉक्टरी पेशे के मुकाबले ये नौकरियांखतरनाक हैं बल्कि, लोगों कोअलर्ट रखना है।

गार्ड और मजदूर सबसे ज्यादा सम्पर्क में आए
विशेषज्ञों के मुताबिक, लॉकडाउन के दौरान भी फैक्ट्री वर्करों ने लगातार काम किया। जब कोरोना के मामले तेजी से फैल रहे थे तो वो लोगों के सम्पर्क में भी आए। वहीं, सुपर मार्केट में तैनात सिक्योरिटी गार्ड्स लाइन में लगे कस्टमर को सोशल डिस्टेंसिंग से बचाते हुए सैकड़ों लोगों सम्पर्क में आए।

सबसे अधिक खतरा अश्वेत-एशियाई लोगों को

विशेषज्ञों के मुताबिक, पुरुषों के लिए 17 अलग-अलग क्षेत्रों में मौत का खतरा अधिक रहा। इनमें टैक्सी ड्राइवर (65.3), शेफ (56.8), बस एंड कोच ड्राइवर्स (44.2), सेल्स-रिटेलअसिस्टेंट (34.2) शामिल हैं। जबकि ब्रिटेन में कोविड-19 मौत की दर 19.1 रही है। कोविड-19 से मौत के आंकड़े 1 लाख आबादी के आधार पर है।इनमें भी सबसे अधिक खतरा अश्वेत और एशियाई मूल के लोगों को है।

महिलाओंमें मौत का सर्वाधिक खतरा ग्रूमिंग इंडस्ट्री से
विशेषज्ञों के मुताबिक, महिलाओं में मौत का सबसे अधिक खतरा ग्रूमिंग इंडस्ट्री में काम करने वालीमहिलाओं को है। इनमें एक लाख में 31 महिलाओं की मौत हुई। हेल्थ एनालिस्ट बेन हम्बरस्टोन के मुताबिक, सिर्फ किसी क्षेत्र में मौत का खतरा अंतिम नतीजा नहीं है, इसके लिए यह भी निर्भर करता है कि आप किसउम्र औरकिस मूल के हैं।



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Coronavirus Death/Factory Worker and Security Guards Latest Updates By National Statistics (ONS) Experts


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कम विकसित देशों में रहने वाली वे महिलाएं जो मोबाइल चलाना जानती हैं, अपने फैसले खुद लेने में अन्य महिलाओं से आगेहैं। हाल ही में हुई स्टडी के अनुसार महिलाओं को आगे बढ़ाने में मोबाइल की पर्याप्त जानकारीकारगर हो रही है।

सोशल डेवलपमेंट की ओर इशारा

मेक गिल यूनिवर्सिटी, यूनिवर्सिटी ऑफ ऑक्सफोर्ड और बोकोना यूनिवर्सिटी की रिसर्च के अनुसार कम विकासशील देशों में रहने वाली महिलाएं मोबाइल फोन कोअपने विकास के लिए इस्तेमाल करती हैं। नेशनल एकेडमी ऑफ साइंस में प्रकाशित अध्ययन के अनुसार 1993 और 2017 में 209 देशों में की गई रिसर्च के अनुसार महिलाओं के पास मोबाइल होना ग्लोबल सोशल डेवलपमेंट की ओर इशारा करता है।

विकास बढ़ाया जा सकता है

इसी के सहारे बेहतर स्वास्थ्य, लैंगिक समानाता और गरीबी कम करने जैसे महत्वूपर्ण कामों के विकास को बढ़ाया जा सकता है। महिलाओं के पास मोबाइल होने से वे किस तरह सशक्त बन सकतीहैं, ये जानने के लिए लेखक ने 100,000 यूथोपिया, एंग्लो, बरूंडी, मालावी, तंजानिया, यूगांडा और जिम्बाब्वे की महिलाओं पर अध्ययन किया।

हालांकि ये सभी ऐसे स्थान हैं जहां फर्टिलिटी की दर कम है। यहां गर्भवती महिलाओं और शिशु की मृत्यु दर अधिक रहती है। इन देशों में महिलाओं के पास मोबाइल फोन की संख्या तेजी से बढ़ी है।

बीमारी के प्रति जागरूक करती हैं

इन देशों में 1% मोबाइल का नॉलेज रखने वाली महिलाएं गर्भनिरोधक तरीकों से जुड़े फैसले खुद करती हैं। 2% वे महिलाएं हैं जो गर्भनिरोधनके आधुनिक तरीके इस्तेमाल करना पसंद करती हैं। 3% महिलाएं एचआईवी से जुड़ी जानकारी से खुद को अपडेट रखती हैं। वे उन महिलाओं को भी इस तरह की बीमारी के प्रति जागरूक करती हैं जिनके पास मोबाइल नहीं है।

पुरुषों की अपेक्षा पीछे हैं
रिसर्चर्स कहते हैं कि सबसे ज्यादा ये इफेक्ट आइसोलेटेड एरिया और गरीब बस्तियों में रहने वाली महिलाओं के बीच देखा गया।इस रिसर्च से इस बात का खुलासा भी हुआ कि विकासशील देशों में रहने वाली महिलाएं मोबाइल होने के बाद भी इंफोर्मेशन एंड कम्युनिकेशन टेक्नोलॉजी के मामले में पुरुषों की अपेक्षा पीछे हैं।



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Smartphones in Least Developed Countries Becomes Ahead of Developed Countries in terms of Women's Strength, Contraception and Information related to HIV


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क्या वायरल : जले हुए हांथ की एक वीभत्स फोटो। दावा किया जा रहा है कि हथेली का ये हाल सैनेटाइजर का अधिक उपयोग करने से हुआ है।

सोशल मीडिया पर इस दावे से जुड़े मैसेज

https://twitter.com/SnehaYogbharti/status/1276732457149059072

फैक्ट चेक पड़ताल

  • फोटो को गूगल और यैंडेक्स पर रिवर्स इमेज सर्च करने पर भी हमें इससे मिलती जुलती या यह फोटो इंटरनेट पर नहीं मिली। इसके बाद हमने उस दावे की पड़ताल शुरू की, जिसके साथ फोटो वायरल हो रही है।
  • भारत सरकार के स्वास्थ्य मंत्रालय, आयुष मंत्रालय या देश की शीर्ष रिसर्च संस्था आईसीएमआर ने ऐसी कोई गाइडलाइन जारी नहीं की है। जिसमें सैनेटाइजर के अधिक उपयोग से हाथ जलने का खतरा बताया गया हो।
  • विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) की वेबसाइट पर हमने हैंड सैनेटाइजर के नुकसानों से जुड़ी जानकारी खोजना शुरू की। WHO की वेबसाइट पर सवाल-जवाब का एक सेक्शन है। यहां उन कॉमन सवालों के जवाब एक्सपर्ट टीम द्वारा दिए गए हैं, जो कोरोना काल में पूछे जा रहे हैं। हैंड सैनेटाइजर उपयोग करने के नुकसान से जुड़े सवाल और उनके जवाब भी हैं। इन जवाबों से ही वायरल हो रहे दावे की सच्चाई पता चलती है।

सैनिटाइजर से हाथ को होने वाले नुकसान से जुड़े 3 सवाल और WHO के जवाब

पहला सवाल : क्या अल्कोहल युक्त हैंड सैनेटाइजर के अधिक उपयोग का हाथों पर कोई विपरीत असर होगा ?

जवाब - एंटीसेप्टिक और एंटीबायोटिक्स में ऐसा संभव हो सकता है। लेकिन, हैंड सैनेटाइजर से जुड़ी न तो ऐसी कोई रिपोर्ट आई है। न ही ऐसा संभव है। बल्कि जितना ज्यादा इसका इस्तेमाल किया जाएगा, वायरस और बैक्टीरिया का खतरा उतना कम होगा।

दूसरा सवाल : क्या अल्काहल हाथों को सुखाता या जलन पैदा करता है ?

जवाब - इस दौर में बन रहे अल्कोहल युक्त सैनेटाइजर में स्किन को सॉफ्ट करने वाले तत्व होते हैं। ये तत्व स्किन को रूखा होने से बचाते हैं। यहां तक की कई रिपोर्ट्स में ये बात सामने आई है कि जो नर्स अल्कोहल युक्त सैनेटाइजर का नियमित उपयोग करती हैं, उनकी त्वचा का रूखापन पहले की तुलना में कम हुआ है। हैंड सैनेटाइजर उस सूरत में ही जलन पैदा करेगा, अगर आपका हांथ जख्मी हो। ऐसे में जख्मी हिस्से को पट्‌टी से कवर करना चाहिए। सैनेटाइजर से होने वाली एनर्जी के मामले भी दुनिया में बहुत कम (रेयर) हैं।

तीसरा सवाल : अल्कोहल युक्त हैंड सैनेटाइजर का अधिकतर कितनी बार उपयोग किया जा सकता है ?

ऐसी कोई सीमा नहीं है। यह सिर्फ एक भ्रांति है कि सैनेटाइजर के अधिक उपयोग के बाद हर 4 घंटे में हाथ धोने चाहिए। इसका कोई लॉजिकल कारण नहीं है।

WHO की वेबसाइट पर दिए गए यह सवाल और इनके जवाब यहां पढ़ें


निष्कर्ष : अल्कोहल युक्त सैनेटाइजर के अधिक उपयोग से हाथ जलने वाली बात भ्रामक है। दुनिया की शीर्ष स्वास्थ्य संस्था WHO ने ही इसका खंडन किया है।



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False claims of burning hands due to excessive use of sanitizer on social media


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पेशाब का रंग आमतौर पर पीला होता है। क्योंकि इसमें यूरोक्रोम होता है। यूरोक्रोम का निर्माण शरीर में हीमोग्लोबिन के टूटने के कारण होता है। पेशाब का रंग हमारे सेहत में होने वाले बदलाव की जानकारी देने में बहुत अहम भूमिका निभाता है।

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अक्षय कुमार (Akshay Kumar) और कैटरीना कैफ (Katrina Kaif) की इस फोटो में दोनों का अंदाज देखने...

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बॉलीवुड एक्ट्रेस जैकलीन फर्नांडीस (Jacqueline Fernandez) अपने अंदाज के लिए खूब जानी जाती...

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ब्रिटेन की 12 सप्ताह की गर्भवती महिला के शरीर में दो गर्भाशय का पता चला है। दोनों गर्भाशय में दो-दो बच्चे हैं। 28 वर्षीय केली फेयरहर्स्ट को यह तब पता चला, जब वह सोनोग्राफी के लिए डॉक्टर के पास गई थी। डॉक्टरों के मुताबिक, 5 करोड़ में से 1 महिला के हर गर्भाशय में जुड़वा बच्चे होते हैं। ये ट्विन्स एक जैसे हो सकते हैं। महिला को दो बार प्रसव पीड़ा से भी गुजरना पड़ सकता है। केली की पहले से दो बेटियां हैं, एक की उम्र तीन और दूसरी चार साल की है।

शायद विरासत में मिला जीन
केली कहती हैं कि डॉक्टर्स का कहना है कि बच्चे की प्री-मैच्योर डिलीवरी हो सकती है। इससे पहले मेरी एक बेटी 8 हफ्ते और दूसरी की 6 हफ्ते पहले ही प्री-मैच्योर डिलीवरी हुई थी। अब हमारे परिवार में दो जुड़वा बच्चे होंगे। मेरे नाना भी ट्रिपलेट थे यानी उनके जीन जुड़ावा भाई-बहन थे। मैंने कभी नहीं सोचा था मेरे पास दो कोख होंगी।

कब बनती हैं शरीर में दो कोख
लंदन के सेंट जॉर्ज हॉस्पिटल की स्त्री रोग विशेषज्ञ प्रो. असमा खलील के मुताबिक, दोहरी कोख की स्थिति को यूट्रस डाईडेल्फिस कहते हैं। यह एबनॉर्मेलिटी जन्मजात होती है। ऐसी महिलाओं में दो कोख होती हैं, कई बार दो वैजाइना भी हो सकती हैं। ऐसे मामले दुर्लभ होते हैं। ये कॉम्प्लिकेशन पैदा कर सकते हैं। ऐसा ही दो मामले सामने आए थे जब एक महिला ने 25वें हफ्ते में जुड़वा बच्चों को जन्म दिया, वहीं दूसरे मामले में डिलीवरी काफी लेट हुई थी।

डबल यूट्रस की स्थिति तब बनती है जब महिला में यूट्रस दो छोटी-छोटी ट्यूब में बंट जाता है। दोनों ही ट्यूब अंदर से खोखली होती हैं। कई बार ये जुड़ी हुई भी हो सकती हैं। दोनों ही ट्यूब सर्विक्स से जुड़ी रहती हैं। यूट्रस के औसत आकार के मुकाबले ये दो गर्भाशय थोड़े छोटे होते हैं। ऐसी स्थिति क्यों बनती हैं इसका अब पता नहीं चला सका है। इसका कोई स्थायी इलाज नहीं है।

अपने पति और दोनों बच्चियों के साथ केली।

गर्भपात का बड़ा खतरा
ऐसी महिलाओ में गर्भपात और प्री-मैच्योर डिलीवरी होने की आशंका अधिक रहती है। इसके अलावा प्रेग्नेंसी के दौरान अधिक ब्लीडिंग होने का भी खतरा रहता है। ऐसी स्थिति में सिजेरियन डिलीवरी कराई जाती है ताकि जान के जोखिम को कम किया जा सके।

डबल यूट्रसवाली स्थिति की पहचान
ज्यादातर महिलाओं को इस बारे में जानकारी नहीं होती है। लेकिन कुछ लक्षण अगर महसूस होते हैं तो डबल यूट्रस की आशंका रहती है। जैसे अगर महिला को बार-बार गर्भपात हो रहा है, अक्सर ब्लीडिंग होती है, पीरियड्स के दौरान बहुत अधिक दर्द रहता है तो स्त्री रोग विशेषज्ञ की सलाह जरूर लें। विशेषज्ञ कुछ जांचों जैसे पेल्विक टेस्ट, गर्भाशय का एक्स-रे, अल्ट्रासाउंड और एमआरआई की मदद से पता लगाते हैं।



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British woman has two wombs, two children born in each, utrus is formed when two small tubes are divided


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सेहतमंद जीवन जीने के लिए हमें अपने दांतों और मसूड़ों को भी स्वस्थ रखना बहुत जरूरी है। इंसान के शरीर में अक्सर बीमारियां मुंह के जरिए ही प्रवेश करती हैं। इनसे बचने के लिए हमें अपने दांतों और मसूड़ों की खास तरीके से ख्याल रखना चाहिए।

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कोविड-19 पर काबू पाने के लिए वैक्सीन बनाने के लिए मौजूदा समय में 120 मेडिकल टीम दुनिया भर के अलग-अलग हिस्सों में रिसर्च में जुटी है, लेकिन अभी तक इस दिशा में उल्लेखनीय कामयाबी नहीं मिली है।

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शिल्पा शेट्टी (Shilpa Shetty) ने अपनी पोस्ट में सुष्मिता सेन (Sushmita Sen) को लेकर लिखा, "इस...

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सुशांत सिंह राजपूत (Sushant Singh Rajput) का यह वीडियो उनके फैन पेज ने शेयर किया है और इसे...

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'सड़क 2' (Sadak 2) को लेकर मुकेश भट्ट (Mukesh Bhatt) ने पीटीआई-भाषा से भी बातचीत की. उउन्होंने...

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कोरोना महामारी सेपहले भी भारत में महिलाएं रोजगार, वेतन और शिक्षा जैसे मुद्दे को लेकरलैंगिकअसनामता झेल रहीं थीं।ऐसे मेंकोविड-19 के प्रभाव ने भारत की आर्थिक स्थिति को बुरी तरह से प्रभावित किया है।

ब्यूटी सैलून में काम करना पड़ा

अगर हम बात उत्तराखंड की25 साल वर्षीयआशा शर्मा की करें तो आशापांच साल पहले उत्तराखंड से दिल्ली डांस के सहारे अपना कॅरिअर संवारने आईं थीं। उनका ये सपना उस वक्त टूटा जब बेहतरीन डांस करने के बाद भी उन्हें दिल्ली के किसी डांस ट्रूप में जगह नहीं मिली।

उत्तराखंड से यहां आने तक की गई उनकी मेहनत असफल रही। आखिर दो वक्त की रोटी के लिए उन्हें एक ब्यूटी सैलून में काम करना पड़ा। इस सैलून में आशा को 12,000 रुपए प्रतिमाह वेतन मिलता था। इसमें से कुछ पैसा वो अपनी मां के लिए भेजती थी।

अकेले घर चलाना भी मुश्किल हो गया

जब से आशा के पिता इस दुनिया से चले गए तो उनकी मां के लिए अकेले घर चलाना भी मुश्किल हो गया। आशा की मुश्किलें उस वक्त बढ़ी जब लॉकडाउन की वजह से सैलून बंद हो गए। आशा कहती हैं मेरी मां ने बचपन से हम भाई-बहनों की परवरिश के लिए कड़ी मेहनत की। लेकिन आज मैं इतनी बेबस हूं कि उनकी किसी भी तरह से मदद नहीं कर पा रही हूं।

मैंने ये महसूस किया कि एक महिला के लिए पुरुष की अपेक्षा पैसा कमाना हर हाल में मुश्किल होता है। पुरुष जहां चाहें वहां काम करके अपनी आजीविका चला सकते हैं। लेकिन ऐसा करना महिलाओं के लिए संभव नहीं है। उन्हें हर पल अपनी सुरक्षा का भी इतना ही ध्यान रखना पड़ता है।

काम का सही मेहनताना नहीं पाती हैं

गौरतलब है कि भारत में एक चौथाई से अधिक महिलाएं कड़ी मेहनत करने के बाद भी अपने काम का सही मेहनताना नहीं पाती है। उन्हें पुरुषों की अपेक्षा 35% कम सैलेरी मिलती है। भारत में 49% जनसंख्या महिलाओं की है। इनमें से सिर्फ 18% महिलाएं आर्थिक रूप से मजबूत हैं।

लॉकडाउन के बाद देश की बदतर इकोनॉमी का असर उन महिलाओं पर अधिक हुआ है जिनके पास अपनी आजीविका चलाने के लिए भी फिलहाल साधन नहीं है। उन्हें नौकरी से हटा दिया गया है या उनके छोटे-मोटे कामकाम कोरोना की वजह से बंद हो गए हैं।

वापिस लौटने को मजबूर हो गए हैं

इस महामारी से पहले अपने गांव या शहर से दूर काम कर रहे वर्कर्स बेरोजगार होने की वजह से एक बार फिर वापिस लौटने को मजबूर हो गए हैं। इनमें पुरुषों के साथ-साथ महिलाओं की तादाद भी अधिक है। वे महिलाएं जो माइग्रेंटवर्कर्स के तौर पर एजुकेशन और हेल्थ सेक्टर मेंकाम करती हैं।

इसके अलावा सेक्स वर्कर्स और एग्रीकल्चर के क्षेत्र में काम करने वाली महिलाओं के लिए न रोजगार है और न नहीं उनकीसुरक्षा की कोई वारंटी है। कोरोना की वजह से अपने घर वापिस लौटने के लिए लंबा सफर करनाभी इनके लिए खतरे से खाली नहीं है।

काम के समान अवसर नहीं मिलते हैं

द वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम के ग्लोबल जेंडर गैप इंडेक्स 2020 में विश्व के 153 देशों में भारत की रैकिंग 112 है। यहां बात उन देशों की हो रही है जहां महिलाओं को पुरुषों के बराबर काम के अवसर नहीं मिल पाते हैं। यही हालत हेल्थ केयर और एजुकेशन के क्षेत्र में काम करने वाली महिलाओं की है। यहां भीमहिलाओं को पुरुषों की तरह काम के समान अवसर नहीं मिलते हैं।

कोरोना वायरस का असर भारत की सामाजिक न्याय व्यवस्था पर भी हुआ है। भारत के कई ऐसे राज्य हैं जहां हर 15 मिनट में महिलाओं के साथ बलात्कारहोता है। इसके अलावा घर के काम काजकी जिम्मेदारी भी हर हाल में उन्हें ही उठाना पड़ती है। लॉकडाउन की वजह से अधिकांश समय घर में रह रही महिलाओं पर घरेलू हिंसा के मामले में भी तेजी से बढ़े हैं।



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Gender gap widens in employment and education, women's economic situation worsens


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Sunday, June 28, 2020

कोरोना वायरस के लगातार बढ़ते मामले को देखकर इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल एंड रिसर्च ने एक अहम कदम उठाया है। इस घातक वायरस की टेस्टिंग फास्ट करने के लिए 'रैपिड एंटीजन टेस्ट' की शुरुआत की है।

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चिलचिलाती गर्मी के बाद आने वाला बारिश का मौसम सबको अच्छा लगता है। इस मौसम में बारिश के फुहारों के बीच अगर गर्म चाय और पकौड़े मिल जाएं, तो फिर बात ही क्या है? लेकिन इन सब के अलावा ये मौसम अपने साथ कई बीमारियां भी लेकर आता है।

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सुशांत सिंह राजपूत (Sushant Singh Rajput) के निधन से न केवल उनके फैंस को बल्कि कई बॉलीवुड...

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रेणुका शहाणे (Renuka Shahane) ने अचानक से बढ़े बिजली बिल पर ट्वीट करते हुए लिखा, "प्रिय...

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फ्रिज में रखा अंडा खाना सेहत को नुकसान पहुंचा सकता है क्योंकि फ्रिज में रखे अंडे में सारे पोषक तत्व नष्ट हो जाते हैं।

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बॉलीवुड एक्टर सुशांत सिंह राजपूत (Sushant Singh Rajput) के निधन को दो हफ्ते हो चुके हैं....

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डायबिटीज में खानपान का बेहद ख्याल रखना पड़ता है। क्या खाना है और कब खाना है ये बातें मरीज को एकदम ध्यान रखनी पड़ती है। अगर आप नहीं चाहते कि आपका शुगर स्तर बढ़े और मधुमेह आपके लिए जानलेवा बने तो खानपान का विशेष ख्याल रखें।

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एसिडिटी, गैस और कब्ज जैसी समस्याएं होना आम बात हो, लेकिन इसे नजरअंदाज करना भी सही नहीं है। जीवनशैली में होने वाले अनियमित बदलाव और गलत खानपान के कारण ही पेट से जुड़ी समस्याओं का सामना करना पड़ता है।

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बॉलीवुड एक्ट्रेस तापसी पन्नू (Taapsee Pannu) सोशल मीडिया पर काफी एक्टिव रहती हैं और...

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टेलीविजन इंडस्ट्री की मशहूर एक्ट्रेस एरिका फर्नांडिस (Erica Fernandes) अपने को-स्टार...

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बॉलीवुड एक्टर सुशांत सिंह राजपूत (Sushant Singh Rajput) के निधन को दो हफ्ते हो चुके हैं....

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बॉलीवुड के किंग यानी शाहरुख खान (Shah Rukh Khan) लॉकडाउन में सोशल मीडिया पर काफी...

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अमरीकी लेखक मार्क ट्वेन का एक कथन प्रचलित है। उन्होंने कहा था, "सिगरेट छोड़ना आसान था, मैंने ऐसा सौ बार किया।" हालांकि बहुत मुमकिन है उन्होंने ऐसा कभी ना कहा हो। बाद में उनकी मौत फेफड़ों के कैंसर से हो गई थी।

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सुशांत सिंह राजपूत (Sushant Singh Rajput) के निधन से पूरा बॉलीवुड सकते में है. सुशांत के...

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पाचन तंत्र में कोई तकलीफ या गड़बड़ी होने पर एसिडिटी या पेट में गैस की समस्या(Gastric problem) परेशान करने लगती है। कई बार गैस की वजह से सीने में दर्द होने लगता है। गैस भयंकर तरीके से सिर में चढ़ जाती है तो उल्टियां तक आने लगती है।

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कोरोना वायरस महामारी के वजह से लोग सोशल डिस्टेंसिंग फॉलो कर रहे हैं। ऐसे में ज्यादातर बाहर खाने वाले लोगों को अपने पसंदीदा रेस्टोरेंट में गए महीनों बीत गए हैं।

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सुशांत सिंह राजपूत (Sushant Singh Rajput) का यह वीडियो उनकी फिल्म 'केदारनाथ के प्रमोशन के...

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विद्युत जामवाल (Vidyut Jammwal) ने इस वीडियो को अपने ऑफिशियल इंस्टाग्राम एकाउंट पर...

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बॉलीवुड एक्टर सुशांत सिंह राजपूत (Sushant Singh Rajput) के अचानक हुए निधन से पूरी फिल्म...

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Saturday, June 27, 2020

सेहतमंद गुणों से भरपूर लहसुन हमारी रसोईघर की सबसे लोकप्रिय चीज है। बालों की बात हो या त्वचा की लहसुन हर समस्या के इलाज में मददगार है। लहसुन का सेवन आप कई तरह से कर सकते हैं।

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श्रुति हासन  (Shruti Haasan) ने दो तस्वीरें शेयर की है, जिसमें एक में वो ब्लैक एंड...

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फिल्म इंडस्ट्री में स्टारकिड्स इन दिनों काफी चर्चा में हैं. दरअसल, सुशांत...

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कोरोना वायरस महामारी से लड़ते हुए करीब 6 महीने का समय बीत गया है और लोग इस बात को एकदम अच्छे से जान गए हैं कि इस बीमारी से लड़ने के लिए मजबूत रक्षा प्रणाली बहुत जरूरी है।

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अभिषेक बच्चन (Abhishek Bachchan) ने आगे कहा: "मैं अपने निर्देशकों से भी प्रोजेक्ट्स साइन...

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सुशांत सिंह राजपूत (Sushant Singh Rajput) के निधन के बाद के बाद फिल्म इंडस्ट्री में एक बार...

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उन्होंने आरोप लगाया कि फिल्मोद्योग पर 'माफिया से संबंध रखने' वाले लोगों का...

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सुशांत सिंह राजपूत (Sushant Singh Rajput) के निधन से सभी लोग दुखी हैं. पुलिस भी इस मामले की...

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बच्चे के जन्म के बाद भी पीरियड अनियमित हो रहे हैं तो इसका कारण स्तनपान भी हो सकता है। लेकिन अपनी जानकारी के लिए एक बार चिकित्सक से सलाह जरूर लें।

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बारिश के मौसम की शुरुआत हो जाने से गर्मी से राहत मिल गई है। पूरे देश के अलग-अलग हिस्सों में इस समय कम या ज्यादा बारिश हो रही है। बारिश का मौसम जितना खुशनुमा होता है ठीक उतना ही संक्रामक बीमारियों का कारण बनता है।

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बॉलीवुड एक्ट्रेस स्वरा भास्कर (Swara Bhasker) हमेशा ही सुर्खियों में बनी रहती हैं. इस...

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बॉलीवुड की धक-धक गर्ल माधुरी दीक्षित (Madhuri Dixit) इन दिनों सोशल मीडिया पर काफी...

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अगर बांस की खासियत के बारे में बात की जाए तो बांस की पैदावार के लिए किसी फर्टिलाइजर की जरूरत नहीं होती है। बांस से बनी हर चीज केमिकल फ्री होती है। इसीलिएपर्यावरण बचाने के नजरिये से इन दिनों बैंबू प्रोडक्ट की डिमांड जोरों पर है।

बाहरी सतह बांस से बनी होती है

बांस के महत्व को जानते हुएत्रिपुरा मेंप्रधानमंत्री वन धन योजना और नेशनल बैंबू मिशन स्कीम के तहत गांव वालों कोबैंबू प्रोडक्ट बनाने की ट्रेनिंगदी जा रही है। उनकी हस्तशिल्प कला का पता बांस की फैंसी वाटर बॉटल को देखकर लगायाजा सकता है। इन फैंसी बॉटल्स की बाहरी सतह बांस से बनी होती है। इसकी अंदर की सतह पर कॉपर लाइनिंग देखी जा सकतीहै।

आजीविका चलाने का अन्य साधन नहीं

दरअसल ये प्रोडक्ट उन आदिवासी लोगों और लोकल आर्टिजन के जीवन को सुधारने का एक प्रयास है जिनके पास अपनी आजीविका चलाने का कोई अन्य साधन नहीं है। इसके अलावा इको फ्रेंडली होने की वजह से इसका खास महत्व है। इसे प्लास्टिक का इस्तेमाल किए बिना बनाया जा रहा है।बॉटल को बनाने का काम शुरू करने से पहले इस बात पर रिसर्च की गई कि इन्हेंइंटरनेशल स्टैंडर्ड देने के लिए किस तरह मोल्ड किया जाए।

झाड़ू और बॉटल बनाने की ट्रेनिंग

बांस से बनी बॉटल्स और झाड़ू के माध्यम से त्रिपुरा के शिल्पकारों को रोजगार देने का श्रेय आईएफएस ऑफिसर प्रसाद राव को जाता है। वे आदिवासी शिल्पकारों को बांस से झाड़ू और बॉटल बनाने की ट्रेनिंग देते हैं। कुछ ही समय में उन्होंने लगभग 1000 लोगों को बांस से झाड़ू बनाने का प्रशिक्षण दिया था। जब प्रसाद राव को इस काम में सफलता मिली तो उन्होंने शिल्पकारों केपूरे परिवार को बांस से बॉटल बनाना सिखाया।

बैंबू प्रोडक्ट बनाने की ट्रेनिंग दे रहे

इस प्रोजेक्ट को बैम्बू एंड केन डेवलपमेंट इंस्टीट्यूट और अगरतला के फॉरेस्ट रिसर्च सेंटर ऑफ लाइवलीहुड एक्सटेंशन का सहयोग मिला। इस काम के लिए लोगों को ट्रेनिंग देने के शुरुआत 10 मास्टर ट्रेनर से हुई थी। अब ये ट्रेनर 1000 शिल्पकारों को प्रधानमंत्री वन धन योजना और नेशनल बैंबू मिशन स्कीम के तहत बैंबू प्रोडक्ट बनाने की ट्रेनिंग दे रहे हैं।

वायरस और फंगस से बच सकें

प्रसाद राव कहते हैं कि बांस से बनी इन बॉटल की आंतरिक सतह को कॉपर से इसलिए बनाया गया ताकि इसमें रखापानी बैक्टीरिया, वायरस और फंगस से बच सके। ये बॉटल 300 मिली के अलावा 500, 750 और एक लीटर के साइज में भी उपलब्ध हैं। प्रसाद राव अपनी इस कोशिश से छोटे पैमाने पर किए जाने वाले उद्योगों को बढ़ाव देना चाहते हैं। वे ऐसे प्रोडक्ट इस्तेमाल करने की सलाह देते हैं। उनका रुझान प्लास्टिक फ्री उत्पादों को बढ़ावा देने की तरफ है।

अपने ट्विटर अकाउंट के जरिये प्रमोट किया
इन बैम्बू बॉटल को बॉलीवुड एक्ट्रेस रवीना टंडन ने अपने ट्विटर अकाउंट के जरिये प्रमोट किया है। बैम्बू से बनी ये बॉटल दुनिया भर में पसंद की जा रही हैं। सोशल मीडिया की ताकत का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि रवीना के अपने ट्विटर अकाउंट पर इस बॉटल को प्रमोट करते ही सारी दुनिया से इसे खरीदने की मांग आ रही है। रवीना ने न खुद इन बॉटल्स को खरीदा बल्कि सोशल मीडिया के माध्यम से इस तरह की बॉटल को इस्तेमाल करने के लिए अन्य लोगों को भी प्रेरित किया है।


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Improved economic condition of artisans in Tripura by making hand crafted leak proof bamboo bottoles, Raveena Tandon promoted it with her Twitter account


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