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अमेरिका और ब्राजील के दो संस्थानों ने कोविड-19 फैलाने वाले कोरोनावायरस SARS-COV-2 की स्पष्ट तस्वीरें उतारे में सफलता पाई हैं। इन तस्वीरों को इलेक्ट्रॉनिक माइक्रोस्कोप की मदद से उतारा गया है। इसके लिए माइक्रोस्कोप में वायरस के संक्रमण की स्थिति को 20 लाख गुना बड़ा करके देखा गया जिसमें पता चला कि किस तरह से यह वायरस इंसानी कोशिका को पूरी तरह घेर लेता है और उसके अंदर घुस जाता है। इसके बार वायरसउसके ही जीवन रस औरप्रोटीन के साथ जुड़कर कोशिका कोनष्ट होने पर मजबूर करदेता है।
ये नईतस्वीरें अमेरिका के मैरीलैंड स्थित नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ एलर्जी एंड इंफेक्शियस डिसीज (एनआईएआईडी) इंटीग्रेटेड रिसर्च फैसिलिटी (आईआरएफ) फोर्ट फोर्ट्रिक, नेशनल हेल्थ इंस्टीट्यूट(एनआईएच) और ब्राजील के ओसवाल्डो क्रूजफाउंडेशन के वैज्ञानिकों ने अलग-अलग प्रयोगों के दौरान उतारी हैं। भारत में भी बीते महीनेनेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी के शोधकर्ताओं ने कोरोनावायरस की पहली तस्वीरें ली हैं।
वैज्ञानिकों नेट्रांसमिशन इलेक्ट्रॉन माइक्रोस्कोप का उपयोग करते हुए, लेंस की मदद से ऐसी तकनीक का इस्तेमाल किया जिससे सैम्पल को बीस लाख गुना बढ़ाया जा सकता है। इसके लिएटीम ने सेल कल्चर बनाया और फिर कोशिकाओं को वायरस से संक्रमित होनेकी प्रक्रिया को इलेक्ट्रॉन माइक्रोस्कोप की मदद से देखा और वायरस के संक्रमण के तरीके कोसमझा।
तस्वीरों से समझते हैं कोरोना वायरस और उसका आक्रमण
कोरोना के कहर से जब दुनिया दहल गई है, तब जान हथेली पर रखकर कुछ बेटियां मरीजों की सेवा-सुश्रुषा में जुटी हैं। घर पर भी इन्हें परिजनों से पर्याप्त दूरी बनाए रखना पड़ती है। फिर चाहे इनके मासूम बच्चे ही क्यों न हो। इस दौरान स्वाभाविक मौत होने पर भी पड़ोसी व रिश्तेदार अंत्येष्टि में शामिल होने से छिटक रहे हैं।
एक ओर ममता तो दूसरी तरफ मानवता
ड्यूटी से घर लौटने पर भी इन्हें अलग-थलग रहना पड़ता है। वे चाहकर भी अपने कलेजे के टुकड़े को गले लगाना तो दूर, ढंग से दुलार भी नहीं कर पाती हैं। दरवाजे की आड़ से ही मासूमों का बचपन देखने को मजबूर हैं। नौकरीपेशा दंपत्तियों को तो कड़ा दिल कर बच्चों को पड़ोसियों या आया के पास छोड़ना पड़ रहा है। लिहाजा ये कर्मवीर एक साथ दो मोर्चों पर जूझ रही हैं। एक ओर ममता तो दूसरी तरफ मानवता है।
पड़ोसी संभाल रहे बच्चियां
अर्सेसे मैंने अपनी बच्चियों को गले नहीं लगाया। वे देखते ही रोने लगती हैं, मेरी आंखों में भी आंसू छलक आते हैं-भावना पट्टेया
अशोका गार्डन, इंद्रप्रस्थ कॉलोनी निवासी भावना पट्टेया हमीदिया अस्पताल में नर्स हैं। वे कोरोना मरीजों की सेवा में लगी हैं। उनके परिवार में पति और दो छोटी-छोटी बेटियां हैं। पति भी नौकरी करते हैं। इसलिए बेटियाें की देखभाल पड़ोस में रहने वाले बुजुर्ग दंपती करते हैं। दोनों बच्चियां उनके ही घर में रहती हैं। ड्यूटी से लौटने पर उन्हें परिजनों से दूरी बनाकर रखना पड़ती है। मेरी तीन शिफ्ट में ड्यूटी लगती है, घर जाते ही मैं अपने रूम में आइसोलेट हो जाती हूं। मजबूरी में मैं अपनी बच्चियों को दूर से ही देखकर खुश हो लेती हूं।
दूर से निहार लेती हूं
मनीषा का कहना हैं कि सामने होते हुए भी मैं बेटी को गोद में नहीं ले सकती। मैं आंसू के घूंट पी रही हूं-मनीषा बरबेटे
सेमरा निवासी मनीषा बरबेटे सुल्तानिया अस्पताल में नर्स हैं। उनके पति दिल्ली में जॉब करते हैं और लॉकडाउन के चलते वहीं फंसे हैं। मनीषा ने बताया कि उनकी एक साल की बेटी है, जिसे घर में एक बुजुर्ग आया संभालती हैं। मनीषा तीन शिफ्ट में काम करती हैंै। उसके बाद वे घर आकर सीधे आइसोलेट हो जाती हैं। वे अपनी बेटी को दूर से ही निहारकर खुश हो जाती हैं। सुरक्षा के मद्देनजर उनकी बेटी को बॉटल से दूध पिलाया जा रहा है।
बेटी से बात नहीं कर पाती
मैं अपने घर पर अपनी बेटी और परिवार से भी नहीं मिल पाती हूं। सुरक्षा के लिए दूरी बहुत जरूरी है-बिट्टू शर्मा
बिट्टू शर्मा सीएसपी कोतवाली हैं। वे दिन-रात ड्यूटी में जुटी रहती हैं। साथ ही अपनी टीम की हौसला अफजाई भी करती हैं। उनकी तकलीफ यह है कि घर पहुंचकर भी उन्हें परिजनों और बेटी से दूर रहना पड़ता है। चेकिंग के दौरान सभी तरह के लोगों से सामना होता है। संक्रमण के चलते जब मैं अपने परिवार से दूर रह रही हूं, तो लोगों को अपने घर में रहने में क्या परेशानी है? संक्रमण से बचाव का सबसे कारगर तरीका सोशल डिस्टेंसिंग है। लॉकडाउन में कई लोग बेवजह बाहर घूमने निकल पड़ते हैं। उन्हें ऐसा नहीं करना चाहिए।
बेटी को गले न लगा पाने का मलाल
जनसेवा के साथ परिवार की सुरक्षा भी जरूरी है। इसलिए कुछ दिन की परेशानी उठा लेंगे-डॉ. पूर्वा
कोरोना से जंग लड़ने वाले योद्धा डॉ. आशीष गोहिया और उनकी पत्नी डॉ. पूर्वा हमीदिया अस्पताल में पदस्थ हैं। ड्यूटी के दौरान ये कई मरीजों के संपर्क में आते हैं। सुरक्षा के लिहाज से ये डॉक्टर दंपत्ति अपने परिवार से भी नहीं मिल पाते हैं। वे अपनी 12 वर्षीय बेटी रिद्धिमा को गले तक नहीं लगा पाते हैं। बच्ची का ज्यादातर वक्त पढ़ाई में ही बीतता है। उसे जब भी मम्मी-पापा की याद आती है तो वह दूर से उन्हें निहारती है। डॉ. पूर्वा की तकलीफ यह है कि वह चाहकर भी बेटी के करीब नहीं जा पाती हैं।
दूर रहना मुश्किल
अवधपुरी निवासी शोभा नरवरे सुल्तानिया अस्पताल में नर्स हैं। शोभा का दर्द यह है कि वह पिछले एक माह से 4 वर्ष के बेटे से मिलना तो दूर, उससे बात तक नहीं कर पाईं। मैं जब भी ड्यूटी पर जाती हूं तो वह मेरी सासू मां को छोड़कर साथ जाने की जिद करने लगता है। जब मैं घर आती हूं तो टीवी की आवाज तेज कर बेटे के हाथ में मोबाइल थमा देते हैं, ताकि उसका ध्यान मेरी तरफ न जाए। कई बार मेरी आवाज सुनते ही वह दौड़ पड़ता है। ऐसे में मुझे दूर भागना होता है। फिर भी संतोष इस बात का है कि मेरा परिवार मेरे साथ है।
लॉकडाउन के बीच ऐसे मामले भी सामने आ रहे हैं कि लोग तम्बाकू खा रहे हैं और मास्क हटाकर थूक रहे हैं। एम्स दिल्ली के विशेषज्ञ डॉ.नंद कुमार के मुताबिक, जो लोग ऐसा कर रहे हैं वो अपने साथ-साथ परिवार और मित्रों और आसपास रहने वाले लोगों को खतरे में डाल रहे हैं। अगर आप के अंदर लक्षण नहीं दिख रहे और आप संक्रमित हैं तो आप लोगों को संक्रमित करने का काम कर रहे हैं। ऐसा न करें, यह बेहद खतरनाक है। मास्क को बार-बार छूने से भी आप खुद भी संक्रमित हो सकते हैं। कोरोना से जुड़े कई सवालों के जवाब विशेषज्ञ डॉ नंद कुमार ने आकाशवाणी को दिए हैं। जानिए इनके बारे में...
#1) क्या गांव में बगीचे में घूमने जा सकते हैं?
अगर सरकारी गाइडलाइन को देखें तो सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करना है। अकेले जा सकते हैं लेकिन अगर कोई एक और आएगा तो उसे देखकर और लोग भी जाएंगे। ऐसे में संक्रमण का खतरा रहेगा। इसलिए बेवजह बाहन न निकलें, घर में ही टहल लें।
#2)क्या कोरोना केवल 50 साल के ऊपरवालों को होता है, युवाओं को नहीं?
ऐसा बिल्कुल नहीं है। असल में 50 साल आते-आते अक्सर लोगों में कई बीमारियां आ जाती हैं, जिससे रोग प्रतिरोधक क्षमता कम हो जाती है। इसलिए ऐसे लोगों में संक्रमण होने का खतरा ज्यादा रहता है। लेकिन यह लोगों में गलतफहमी है कि कोरोना का संक्रमण युवाओं को नहीं होता। हां, कुछ युवाओं में रोग प्रतिरोधक क्षमता अधिक होने पर लक्षण नहीं दिखाई देते वे संक्रमित होने के बाद अपने आप ठीक हो जाते हैं। लेकिन उनसे दूसरे लोगों को संक्रमण का खतरा रहता है।
#3)कई लोगों के मन में शक रहता है कि कहीं वे संक्रमित हो नहीं, वे क्या करें?
ऐसा देखा गया है जो लोग आवश्यक सेवाओं में लगे हैं उनके मन में शक रहता है कि कहीं संक्रमित तो नहीं हैं। जो फ्रंटलाइन के कर्मचारी हैं जैसे डॉक्टर, स्वास्थ्यकर्मी, पुलिसकर्मी, सफाईकर्मी। उन्हें पता होता है कि खुद का बचाव कैसे करना है। इसलिए अगर वे सरकार के दिशा-निर्देश का पालन करेंगे तो संक्रमण नहीं होगा। अब तक आंकड़ों के मुताबिक, हमारे देश में सावर्जजनिक सेवाओं में लगे लोगों में संक्रमण के मामले बहुत कम है, इसलिए तनाव लेने की जरूरत नहीं है।
#4)सफाई कर्मचारी क्या सावधानी बरतें?
कोई भी इंसान हो, बाहर जाने के लिए सामान्य दिशा-निर्देश दिए गए हैं। सफाई कर्मचारी जब काम करें तो दस्ताने हाथ में जरूर पहनें। मास्क पहने और सैनेटाइजर साथ में रखें। साफ-सफाई के बाद घर आएं तो पहले बाहर की कपड़े बदल लें। या तुरंत बाथरूम में जाकर नहाएं। साथ ही स्थानीय प्रशासन से सम्पर्क में रहें।
#5)कोरोना संक्रमण की रिपोर्ट आने में कितना समय लगता है?
जांच रिपोर्ट आना इस बात पर निर्भर करता है कि आप टेस्टिंग लैब से कितनी दूरी पर हैं। जैसे किसी गांव से जांच के लिए नमूना जा रहा है और लैब दूर है तो 2-3 दिन तक लग जाते हैं। लेकिन अगर उसी शहर में या लैब के पास अस्पताल हो उसी तो दिन रिपोर्ट आ जाती है। देश में कई जांच लैब सेंटर बनाए गए हैं। देशभर में 201 सरकारी लैब, 86 प्राइवेट लैब और 300 कलेक्शन सेंटर हैं। इन कलेक्शन सेंटर में टेस्ट के लिए सभी नमूने रखे जाते हैं। यहीं से निर्धारित लैब में जांच के लिए भेजे जाते हैं।
#6)आरोग्य सेतु ऐप के फायदे क्या हैं?
लॉकडाउन के दौरान अगर आप जरूरी काम से बाहर या कार्यालय जाते हैं तो आपको पता नहीं होता कि वहां संक्रमण का खतरा कितना है। ऐसे में जहां आसपास लोग संक्रमित होते हैं यह ऐप आपको अलर्ट करता है। ऐसी स्थिति में क्या करें और क्या न करें, आरोग्य सेतु ऐप यह भी समझाता है। जिन इलाकों में संक्रमण के मामले अधिक हैं उसकी भी जानकारी ऐप देता है। खास बात है कि ब्लूटूथ के माध्यम से कॉन्टेक्ट ट्रेसिंग में मदद करता है।
#7)कई लोगों में लक्षण दिखाई नहीं दे रहे क्या यह तनाव की बात है?
इसे दो तरह से समझ सकते हैं। पॉजिटिव ढंग से सोचें तो जिनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता अच्छी है, उनमें कोविड-19 का ज्यादा प्रभाव नहीं हो रहा है। माइल्ड इंफेक्शन के बाद वे ठीक हो जाते हैं। ऐसे 80 फीसदी लोग हैं। 20 फीसदी ऐसे हैं जिनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता कम होने की वजह से बीमार हो रहे हैं। अगर निगेटिव रूप से देखों तो हम यही सोचते हैं कि हमारे अंदर लक्षण या नहीं, पता नहीं हमे कोविड है या नहीं और तनाव में आ जाएंगे।
दुनिया की अग्रणी संस्थाओं में से एक इंटरनेशनल रेस्क्यू कमेटी (आईआरसी) ने मंगलवार को एक नई रिपोर्ट प्रकाशित करते हुए कोरोना पर जनहानि की बड़ी चेतावनी दी है। ब्रिटेन के पूर्व विदेश सचिव डेविड मिलिबैंड की अध्यक्षता वाली इस एजेंसी के मुताबिक दुनिया के 34 सर्वाधिक गरीब देशों में कोविड-19 वायरस का विनाशकारी प्रभाव होगा। इसके कारण करीब एक अरब लोगों में संक्रमण और 30 लाख लोगों की मौत हो सकती है। इन देशों में अफगानिस्तान, सीरिया और यमन जैसे देश शामिल हैं जहां इंटरनेशनल रेस्क्यू कमेटी सेवाएं दे रही हैं।
ब्रिटेन की स्कॉय न्यूज से बातचीत में डेविड मिलिबैंड ने कहा कि, कोरोना को लेकर अब तक बड़े कमतर अनुमान लगाए गए हैं, लेकिन वास्तविक जनहानि इससे कहीं अधिक होगी। इस महामारी से मुकाबले के लिए गरीब देशों को बहुत ही कम समय मिला है और इसी वजह से वहां बहुत व्यापक स्तर पर विनाश हो सकता है।
इस रिपोर्ट की बड़ी बातें:
कोरोनावायरस से बचाव के लिए शैम्पू या डिटर्जेंट से हाथ धो सकते हैं, खाने में क्या सावधानी बरतें और मास्क लगाने पर सिरदर्द होता है क्या करें... ऐसे कई सवालों के जवाबपद्मश्री डॉ. मोहसिन वली, वरिष्ठ सलाहकार, राम मनोहर लोहिया अस्प्ताल, नई दिल्ली ने आकाशवाणी को दिए। जानिए कोरोनावायरस से जुड़े कई अहम सवालों केजवाब...
#1 ) क्या शैम्पू या डिटर्जेंट से हाथ धो सकते हैं?
हाथ धोने के लिए झाग होना जरूरी है चाहें वॉशिंग पाउडर हो या शैम्पू। जो चिकनाई दूर करे, उससे हाथ धो सकते हैं क्योंकि झाग के सहारे ही वायरस की जो चिकनाई होती है, पानी से धुलने पर निकल जाती है।
#2 ) खाने में क्या-क्या सावधानी बरतें?
खाने में सादा भोजन लें। पानी खूब पीएं। पेट को खाली न रखें। जो भी खाएं अच्छी तरह पकाकर खाएं। कच्ची सब्जी या सलाद का सेवन कम करें। प्याज, लहसुन, हल्दी वाला दूध लें, इससे इम्यून पावर यानी रोगों से लड़ने की क्षमता बढ़ती है।
#3 ) खेतों में काम करते समय क्या सावधानी बरतें?
गांव में अभी वायरस का संक्रमण कम है। वैसे गांव के लोग पहले से ही अनुशासित रहते हैं। लेकिन हां, खेत में कटाई के वक्त दूर-दूर रहें। मास्क जरूर लगाएं। मास्क नहीं है तो दुपट्टा या गमछा लपेट लें। महिलाएं दुपट्टा का इस्तेमाल कर सकती हैं। काम करते वक्त सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करें।
#4 ) संक्रमित व्यक्ति किसी वस्तु को छूता है और बाद में दूसरा कोई छूता है तो क्या संक्रमण का खतरा है?
जी हां, संक्रमित व्यक्ति अगर कहीं भी, कुछ भी छूता है तो वायरस वहां जमा हो जाता है। इसलिए सभी को हमेशा हाथ धोने या सैनेटाइज करने को कहा जाता है। क्योंकि संक्रमित खांसता या छींकता है तो कई बार वायरस उसके ऊपर या हाथ या कहीं भी रह सकता है। अनजाने में अगर कोई दूसरा सम्पर्क में आया तो वायरस के संक्रमण का खतरा है।
#5 ) कई मास्क लगाने पर सिरदर्द या अजीब से महसूस होता है, ऐसे में क्या करें?
अगर मास्क मोटा है या बहुत कस के बांधा है तो खुली हवा नहीं मिलती। इसलिए बहुत मोटा मास्क न लगाएं। हां, एन95 मास्क कोई आम आदमी लगा लेगा तो उसे बर्दाश्त नहीं होगा। उसकी परत मोटी होती है और यह डॉक्टरों के लिए होता है। इसलिए कपड़े का बना मास्क पहनें। मास्क कॉटन के कपड़े का बनाएं उसे 6-7 घंटे में बदल दें। बहुत देर तक इसे लगाने से मास्क पर भी वायरस या जीवाणु बैठ जाते हैं।
#6 ) 14 दिन में देश में लगभग 80 जिलों में एक भी संक्रमण का मामला नहीं आया, इसके क्या कारण हैं?
पहले ही दिन से सरकार कोरोनावायरस का संक्रमण कम करने में जुटी हुई है। प्रधानमंत्री ने लॉकडाउन के दौरान लोगों से सोशल डिस्टेंसिंग का आग्रह किया। कई देशों में वायरस की स्थिति पर चर्चा की। देश की तमाम जरूरी सेवाओं में लगे लोगों की मेहनत और त्याग का परिणाम है आज देश में कोरोना संक्रमण में दूसरे देशों में बेहतर है।
#7 ) कोविड-19 की वैक्सीन कब तक बन जाएगी?
चीन ने सबसे पहले इस पर काम करना शुरू किया। उसके बाद अमेरिका की हार्वर्ड यूनिवर्सिटी ने वैक्सीन बनाने का काम शुरू किया। इंग्लैंड में ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी भी वैक्सीन पर काम कर रही है। ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी की वैज्ञानिक साराह गिलबर्ड ने जो टीका बनाया है उसका इंसानों पर परीक्षण भी शुरू कर दिया है। अगर ये कारगर होता है तो सितम्बर तक बाजार में आ जाएगा। अमेरिका ने कहा है, किसी भी देश में वैक्सीन तैयार होती है तो भी 5-6 महीने लगेंगे ही लोगों तक पहुंचने में।
#8 )प्लाज्मा थैरेपी क्या है?
प्लाज्मा खून का एक पारदर्शी भाग होता है। जैसे चाय में दूध और पानी दोनों होता है। चाय से अगर ब्लैक वाला हिस्सा निकाल दें तो केवल दूध बचेगा। इसे ही प्लाज्मा समझ लीजिए। जब कोई इंसान कोरोना से संक्रमित होता है तो शरीर में एंटीबॉडीज बनाता है जो इम्युनिटी से विकसित होती है। धीरे-धीरे शरीर में एंटीबॉडीज बढ़ती जाती हैं और संक्रमित इंसान ठीक हो जाता है। ऐसे व्यक्ति का प्लाज्मा निकालकर गंभीर रूप से संक्रमित इंसान या जिनकी जानको खतरा है उनके शरीर में डाल दें तो यह मदद करता है। इस प्रक्रिया को प्लाज्मा थैरेपी कहते हैं।
#9 ) क्या बच्चों को सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करना है?
जी हां, बच्चों को सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करना है। बच्चों को घर में ही रखें उनके हाथ धुलवाते या सैनेटाइज करवाते रहें। अगर घर में बुजुर्ग हैं तो बच्चों को उनसे दूर रखें क्योंकि बुजुर्गों में संक्रमण का खतरा ज्यादा रहता है। इस वक्त बुजुर्गों को भी बाहर न जाने दें और न ही बाहर से आने वाले व्यक्ति से मिलने-जुलने दें।
आजकल ज्यादातर परिवार में पति-पत्नी वर्किंग हैं। इन दिनों दोनों ही घर से अपने ऑफिशियल काम निपटा रहे हैं। हालांकि वर्क फ्रॉम होम में वर्किंग कपल्स को कई तरह की मुश्किलें भी झेलनी पड़ रही हैं। इसकी वजह से आपसी मन मुटाव भी हो रहा है। ऐसे में कुछ टिप्स अपनाकर रिश्ते की मजबूती को कायम रखा जा सकता है।
तय करें प्राथमिकता
घर से काम करते वक्त अपनी प्राथमिकता तय करें। दोनों को इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि जब काम कर रहे हैं तो सिर्फ अपने काम पर ही ध्यान दें, जिससे उनकी प्रोफेशनल और पर्सनल लाइफ मिक्स न हो। यही नहीं, दोनों इस बात का समय भी तय कर लें कि कब उन्हें थोड़ा-सा ब्रेक लेकर एक-दूसरे को समय देना है।
घर का काम बांट लें
वर्क फ्रॉम होम में कंपनी की तरफ से हर एम्प्लॉयी से ज्यादा से ज्यादा काम लिया जा रहा है। ऐसे में किसी एक का घर के काम को संभालना नामुमकिन है। ऐसी स्थिति में दोनों को आपस में बातचीत करके घर के काम का एक शेड्यूल तय कर लेना चाहिए कि किस वक्त कौन घर का काम करेगा। ऐसा करने से किसी एक पर काम को बोझ नहीं आएगा।
हालातों पर भी ध्यान दें
हो सकता है कि आपके पार्टनर के ऊपर काम का प्रेशर बढ़ जाए। इसके कारण वो अनजाने में आप पर गुस्सा तक कर जाए। ऐसे हालातों में अपने पार्टनर को बुरा-भला कहने की बजाय प्यार से हैंडल करें। उसे इस बात का एहसास दिलाएं कि ये कुछ दिनों की परेशानी है और उसके बाद चीजें फिर से सामान्य हो जाएंगी।
एक- दूसरे को न दें दोष
तालाबंदी के दौरान लोग न चाहते हुए भी मेंटली डिस्टर्ब हो रहे हैं, जिसकी भड़ास वो अपने पार्टनर पर निकाल रहे हैं। अगर दोनों में से किसी से कुछ गलती हो गई हो या सामने वाले ने कोई काम नहीं भी किया तो ऐसी छोटी-छोटी बातों पर एक दूसरे को दोष न दें। ऐसे में कोशिश यही करें कि दोनों ही अपने-अपने गुस्से को शांत करें।
कोराेना को लेकर आए दिन आ रही खबरों से न सिर्फ आप परेशान हो रहे हैं, बल्कि आपका पूरा परिवार कहीं न कहीं इससे तनाव में है। इसे दूर करने के लिए इन टिप्स को अपनाएं और परिवार में खुशियां बांटने का प्रयास करें।
1. हंसें और हंसाएं
घर में तनाव को कम करके खुशहाल माहौल बनाने के लिए कुछ ऐसे अवसर चुनें, जब आप सभी सदस्य खुलकर हंस सकें। इसके लिए कई तरीके अपनाए जा सकते हैं। जैसे आप एक ऐसा गेम खेलें, जिसमें आपको अपनी ही कोई फनी एक्टिविटी या किसी बेहद फनी घटना के बारे में बताना है। इस तरह घर का हर व्यक्ति एन्जॉय करेगा। इसी तरह, घर में जोक्स सेक्शन रखें या फिर पुरानी यादों को ताजा करने के लिए पुरानी तस्वीरें देखें। इस तरह की एक्टिविटी से मन काफी हल्का होता है और घर में भी तनाव कम होता है।
2. धैर्य के साथ बात सुनें
अक्सर घर में तनाव का माहौल तब उत्पन्न होता है, जब एक व्यक्ति के मन में काफी कुछ होता है और वह उसे व्यक्त नहीं कर पाता। ऐसे में उसके मन का तनाव चिड़चिड़ाहट के रूप में बाहर निकलता है और फिर पूरे घर में तनाव उत्पन्न होता है। इस स्थिति से बचने के लिए अगर आपको लगता है कि घर का कोई सदस्य परेशान है तो उससे बात करें और धैर्यपूर्वक बिना किसी जजमेंट के उसकी बात सुनें। जब आपको वास्तविक परेशानी का पता हो तो उसे हल करना भी आसान होगा। इस तरह घर में तनाव खत्म हो जाएगा।
3. करें मूवी पार्टी
घर में तनाव के माहौल को कम करने के लिए कभी-कभी घर में ही मूवी पार्टी भी की जा सकती है। इसके लिए आप ऐसी फिल्म टीवी पर लगाएं, जो सबको पसंद हो। साथ ही आप लाइट स्नैक्स भी पहले से ही तैयार कर लें। अब अपने घर पर ही मूवी हॉल का मूड बनाएं और मूवी टाइम के दौरान सभी फोन आदि बंद कर दें। यह समय सिर्फ परिवार को दें। इस तरह की मूवी पार्टी आपके घर को एक खुशनुमा माहौल दे सकती है।
4. सकारात्मक सोचें
घर में अगर टेंशन का माहौल हो तो उसका असर बच्चों पर भी पड़ता है। इसलिए हालात चाहे जाे भी हों लेकिन उनसे उबरने के लिए आप खुद सकारात्मक सोचें और इसी तरह की सोच के लिए बच्चों को भी प्रेरित करें। अगर किसी कारणवश तनाव है भी, तो बच्चों को इसका अहसास बिल्कुल भी ना होने दें। इसके अलावा घर में माहौल को थोड़ा हल्का करने के लिए तरह-तरह के फैमिली गेम्स का सहारा लिया जा सकता है।
ऑस्ट्रेलिया में लॉकडाउन का एक दिलचस्प मामला सामने आया है। कोरोना महामारी से पहले यहां एक परिवार ने यूरोप की ट्रिप प्लान की थी लेकिन लॉकडाउन के बाद हवाई यात्रा कैंसिल करनी पड़ी। उन्होंने हवाई सफर को महसूस करने के लिए पूरे घर को एयरपोर्ट और विमान में बदला। घर के एक हिस्से में लगेज काउंटर थे तो दूसरे हिस्से में विमान की सीट थी। इतना ही नहीं बोर्ड पास के साथ यात्रा के दौरान मिलने वाले एयरलाइन मील भी बकायदा ट्रे में सजाकर अपने बगल में रखी और घर में ही सिडनी से म्यूनिख तक की 15 घंटे की हवाई यात्रा लुत्फ उठाया।
5 साल से प्लान कर रहे थे ट्रिप
न्यूकैसल की रहने वाली क्रिस्टी रसेल के मुताबिक, हम लोग 5 साल से फैमिली ट्रिप प्लान कर रहे थे लेकिन लॉकडाउन लागू होने पर पूरी तैयारी पर पानी फिर गया। इसलिए हम लोगों ने घर पर ही हवाई यात्रा जैसा का माहौल बनाया। हमारे लिविंग रूम में सिक्योरिटी चेक, फ्लाइट अटेंडेंट, बोर्ड पास चेक करने की सुविधा भी थी।
यह सब मजेदार खेल में तब्दील हो गया
क्रिस्टी रसेल के मुताबिक, इसकी शुरुआत एक मजाक के साथ हुई थी लेकिन यह मजेदार खेल बन गया। इसके लिए हमने पूरी तैयारी की, सभी के अलग-अलग बैग तैयार किए गए। घर में हवाई यात्रा के दौरान क्रिस्टी का 16 साल का लड़का बैग चेक कर रहा था और पति ट्रॉली से एयरलाइन मील यानी स्नैक्स पहुंचा रहे थे।
फ्लाइट छूटने की घोषणा भी कई गई
नाटकीय यात्रा के दौरान एयरलाउंज में बैठी फैमिली को बताया गया कि गेट-1 पर पहुंचें, फ्लाइट जाने वाली है और हमारे पास एक ही विमान है। सीट पर बैठने के बाद एयरलाइन स्नैक्स में कोल्डड्रिंक्स के साथ चीज बर्गर और फ्रेंच फ्राइज भी थीं। क्रिस्टी कहती हैं मैं पति के साथ हनीमून के लिए यूरोप गए थे। हम चाहते थे उन सभी जगहों को हमारे बच्चे भी देखें इसलिए जर्मनी, फ्रांस, इटली में कुछ दिन बताने की योजना बनाई गई थी।
इस यात्रा में हमारा पालतू भी हमारे साथ
रसेल ने कहा, मेरी बेटी 10 साल की होने वाली है। उसे अपने जन्मदिन के दिन डिज्नीलैंड में एक तस्वीर लेनी थी। लेकिन यह संभव नहीं हो पाया तो पति ने हम सभी को डकटेल्स की एनिमेटेड सीरीज के एपिसोड टीवी पर दिखाए। आमतौर पर पालतू जानवरों को हवाई यात्रा की अनुमति नहीं मिलती लेकिन इस बार हम खुश थे कि हमारा कुत्ता हमारे साथ सीट पर बैठा था।
यात्रा के दौरान लाइव ट्वीट किए जा रहे थे
ट्रिप में एक पड़ाव ऐसा भी था जहां पति-पत्नी और बच्चे अलग-अलग यात्रा पर निकल जाते हैं और सिर्फ फोन और इंटरनेट से कनेक्ट रहते हैं। इस पूरे खेल की एक और खास बात रही कि यात्रा के हर पड़ाव का लाइव ट्वीट पोस्ट किया जा रहा था। रसेल रियलटाइम में हर जानकारी ट्वीट कर रही थीं।
इंग्लैंड में कोरोनावायरस से जुड़े सरकारी आंकड़े नई कहानी कह रहे हैं। नेशनल हेल्थ सर्विसेज (एनएचएस) के अस्पतालों के मुताबिक, ब्रिटेन में कोरोनावायरस के संक्रमण और मौत का सबसे ज्यादा खतरा अश्वेत, एशियाई और अल्पसंख्यकों को है। संक्रमण के जो मामले सामने आए हैं उसमें ये ट्रेंड देखने को मिला है। अस्पतालों से जारी आंकड़ों के मुताबिक, गोरों के मुकाबले अश्वेतों में संक्रमण के बाद मौत का आंकड़ा दोगुना है। अश्वेत, एशियाई और अल्पसंख्यकों को यहां बेम (BAME) कहते हैं जिसका मतलब है- ब्लैक, एशियन एंड माइनॉरिटी एथनिक।
एक हजार लोगों पर 23 ब्रिटिश और 43 अश्वेत लोगों की मौत
आंकड़े सामने आने के बाद सरकार ने इस असमानता की वजह समझने के लिए जांच शुरू कर दी है। 'द टाइम्स' की एक रिपोर्ट के मुताबिक, एनएचएस के अस्पतालों ने जो आंकड़ा जारी किया है उसके मुताबिक, 1 हजार लोगों पर 23 ब्रिटिश, 27 एशियन और 43 अश्वेत लोगों की मौत हुई है। एक हजार लोगों पर 69 मौतों के साथ सबसे ज्यादा खतरा कैरेबियाई लोगों के लिए हैं,वहीं सबसे कम खतरा बांग्लोदेशियों (22) को है।
कोरोना नस्लभेद के ऐसे मामले दूसरे देशों में भी
स्थानीय मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, ब्रिटेन में रह रहे कैरेबियाई मूल के लोग लगभग हर क्षेत्र में हैं। ये ज्यादातर होम वर्कर, बस ड्राइवर, चर्च लीडर, नर्स और कलाकार हैं। बेम कम्युनिटी में बढ़ते मौत के मामले में इंग्लैंड अकेला देश नहीं है। स्वीडन की कुल आबादी का 5 फीसदी संक्रमण वहां रह रहे सोमानिया के अश्वेत लोगों को हुआ है। वहीं, शिकागो में कोरोना से अश्वेतों की होने वाली मौत का आंकड़ा 70 फीसदी है।
अश्वेत ऐसे क्षेत्र में काम कर रहे जहां संक्रमण का खतरा अधिक
ब्रिटेन के डॉ. नागपॉल के मुताबिक, जरूरी चीजों का अभाव एक सेहतमंद जीवन को प्रभावित करता है। अश्वेत अफ्रीकन और कैरेबियाई लोग गोरों से कहीं ज्यादा गरीब हैं। ये जिस तरह के प्रोफेशन में हैं वहां संक्रमण का खतरा भी अधिक है। आमतौर पर ये हेल्थ, सामाजिक मदद, ट्रांसपोर्ट, दुकानदार और पब्लिक सर्विस से जुड़े हैं। इनका काम ही ऐसा ही है अधिक सोशल डिस्टेंसिंग बनाना संभव नहीं हो पाता और संक्रमण का खतरा बढ़ जाता है।
सरकार को दी समीक्षा करने की सलाह
मानव अधिकार आयोग के पूर्व प्रमुख ट्रेवर फिलिप्स के मुताबिक, आंकड़े काफी चौंकाने वाले हैं। अगर कोई ये मान रहा है कि कोरोनावायरस भेदभाव नहीं करता तो वो इंसान या तो आंकड़ों को ध्यान से नहीं देख रहा या हकीकत को स्वीकार नहीं करना चाहता। ट्रेवर फिलिप्स ने सरकार को इस मामले की समीक्षा करने की सलाह दी है।
ऐसे समूह को पहचानकर उन्हें सुरक्षा देना जरूरी
एनएचएस के डायरेक्टर डॉ. हबीब नकवी का कहना है कि महामारी के बीच ब्लैक, एशियन एंड माइनॉरिटी एथनिक (बेम) कम्युनिटी की मौत आंकड़ा चिन्ताजनक है। इंग्लैंड चीफ मेडिकल ऑफिसर प्रो. क्रिस विट्टी के मुताबिक, यह समय ऐसे समूह को पहचानने का है जिससे सबसे ज्यादा खतरा है ताकि हम उन्हें सुरक्षित करने में मदद कर सकें। स्वास्थ्य विभाग के प्रवक्ता ने कहा, हमने इंग्लैंड से जानकारी मांगी है कि कौन सी ऐसी वजह हैं जो वायरस के संक्रमण को बढ़ा सकती हैं।
क्या सिर्फ पानी से हाथ धोने पर कोरोना से बचा जा सकता है, विटामिन-सी कोरोनावायरस से कितना बचाव करता है, संक्रमित इंसान से लिए गए सामान से कोरोना का खतरा कितना है...ऐसे कई सवालों के जवाब ऑल इंडिया रेडियोने जारी किए है। एम्स दिल्ली के विशेषज्ञ डॉ. प्रसून चटर्जी से जानिए ऐसे ही सवालों के जवाब...
#1) क्या संक्रमित व्यक्ति से सामान लेने से संक्रमण का खतरा है?
जी, बिल्कुल, अगर किसी संक्रमित इंसान से कुछ लिया है तो उससे संक्रमण का खतरा रहता है। इसलिए अगर बिना जाने ऐसे किसी इंसान से सामान जैसे सब्जी, फल आदि ले तों सामान को पानी से धो लें या सैनेटाइज करें। सब्जी या खाने-पीने की चीज को अच्छी तरह पकाकर खाएं। क्योंकि अगर वो संक्रमित है तो छींक के ड्रॉपलेट्स सामान पर पड़े होंगे। ऐसा नहीं भी हुआ होगा तो हाथों के जरिये सामान पर वायरस पहुंचा होगा। इसलिए सावधानी आपको बरतनी है। सामान के साथ अपने हाथ भी धोएं।
#2)क्या विटामिन-सी लेने से कोरोना के संक्रमण से बच सकते हैं?
विटामिन-सी रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिए बहुत अच्छा है। लेकिन ध्यान रखें आप चाहें व्यायाम करें, तुलसी लें या विटामिन-सी, रोग प्रतिरोधक क्षमता तुरंत नहीं बढ़ती। इसलिए इस रोग से बचने के लिए खान-पान का ध्यान रखने के साथ सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करें।
#3)क्या फूल-माला से भी कोरोनावायरस का खतरा है?
जी हां, अगर कोई फूलमाला लेकर आ रहा है और किसी के ड्रापलेट्स उस पर पड़े हैं तो संक्रमण हो सकता है। इसलिए काफी सावधानी बरतें। इस समय जो भी सामान बाहर से मंगा रहे हैं उसे पहले पानी से धो लें या सैनेटाइज कर लें।
#4) क्या खाली पानी से हाथ धोने से वायरस नष्ट हो जाएगा?
नहीं, बिना साबुन के वायरस नष्ट नहीं होता। सैनेटाइजर का प्रयोग करें या साबुन-पानी से हाथ धोएं। ऐसा 20 सेकंड तक करें।
#5) क्या डेंगू, मलेरिया और चिकनगुनिया के रोगियों को भी वायरस का संक्रमण हो सकता है?
अभी तक ऐसा कोई मामला सामने नहीं आया है। लेकिन अगर फेफड़े में कोई संक्रमण है या किसी भी बीमारी की वजह से रोग प्रतिरोधक क्षमता कम हो गई है तो संक्रमण का खतरा रहता है। इसमें भी जो 80 साल के बुजुर्ग हैं उनमें संक्रमण होने का खतरा ज्यादा है।
#6) कोरोनावायरस के संक्रमण में बुजुर्गों की क्या स्थिति है?
कोरोनावायरस भारत में ही नहीं बल्कि दुनियाभर में बुजुर्गों को प्रभावित कर रहा है क्योंकि उनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता कम होती है। उम्र ज्यादा होने पर बीमारियां भी कई होती हैं। कोरोना की लड़ाई हमारे इम्यून सिस्टम से होती है। ये वायरस सभी को अपनी चपेट में लेता है लेकिन दुनियाभर में 80 फीसदी मामलों में लक्षण नहीं दिखाई देते, खासकर युवाओं में। लेकिन यह बीमारी उम्रदराज लोगों के लिए खतरनाक है। इसलिए खासतौर पर उनका ध्यान रखने की जरूरत है।
#7) वायरस के फैलाव में हाथों का क्या रोल है?
कोई व्यक्ति तभी संक्रमित होता है जब वायरस मुंह, नाक या आंख के जरिये उसके शरीर में पहुंचता है। कोरोनावायरस हाथों के जरिये ही मुंह या नाक तक पहुंचता है। आप के हाथ पर एक बार में लाखों वायरस बैठ सकते हैं। ऐसे में जरा सी चूक से वायरस मुंह में पहुंच सकता है। इसलिए बार-बार हाथ धोने की आदत डालें। न केवल कोरोना महामारी तक बल्कि ताउम्र इस आदत को अपने जीवन में अपनाएं ताकि दूसरी बीमारियों से भी बच सकें।
‘अगर आपके पास कहीं जाने की जगह है, तो वो घर है। स्नेह का कोई ठिकाना है, तो वो परिवार है। आपके पास यह दोनों हैं, तो समझिए आपसे खुशकिस्मत कोई नहीं।’ लॉकडाउन में इस कथन के मायने हर परिवार को समझ में आ रहे हैं। इस समय प्यार गहरा हुआ है, लेकिन क्या आप उसे पहचान पा रहे हैं?
परिवार के बीच गहरायाप्यार
लॉकडाउन और कोरोना वायरस के जोखिम ने परिवारों को मजबूत किया है। इस दौरान पति-पत्नी या परिवार के सदस्यों के बीच प्यार और गहरा हो गया है। पहली बार में शायद आपको इस बात पर यकीन न आए। लेकिन यह सच है। इस प्यार और लगाव को अलग तरह से समझना होगा। खासतौर पर दाम्पत्य जीवन की बात करें।
यह सही है कि लंबे समय तक साथ रहने के कारण छोटी-मोटी झड़प और बहसबाजी थोड़ी बढ़ गई है। बाहर घूमने-फिरने, होटल-रेस्त्रां जाने और फिल्म वगैरह देखने के दौरान जो अपनापन होता है, उसकी गुंजाइश भी अभी नहीं बन रही है। इसके बावजूद परिवार के भीतर प्यार कई तरीकों से जताया जा रहा है।
कहा तो नहीं
पत्नी ने घर के ढेर सारे काम निबटाए। वह थककर बैठी ही थी कि पति ने एक गिलास पानी दे दिया या पंखा चला दिया। यह प्यार ही तो है, जो ‘केयर’ के रूप में जताया जा रहा है! गैरी चैपमेन ने अपनी बेस्टसेलर बुक ‘फाइव लव लैंग्वेजेस’ में बताया है कि प्यार सिर्फ बोलकर ही नहीं, कई तरीकों से अभिव्यक्त होता है। तो लॉकडाउन में, घर के भीतर इस अनबोले प्यार को पहचानिए।
साथ है, तो शिकायत नहीं
इन दिनों रसोई में चीजों की संख्या और मात्रा दोनों सीमित है। इसके बाद भी स्वाद में कोई कमी नहीं है। महिलाएं सीमित संसाधनों में ही कई प्रयोग करके स्वाद और सेहत, दोनों का खयाल रख रही हैं। घरेलू कर्मचारियों की अनुपस्थिति में वे बिना शिकायत किए कई अन्य काम भी कर रही हैं। यह प्यार ही तो है, जो आगे बढ़कर जिम्मेदारी लेने के रूप में सामने आ रहा है। इत्मीनान भी है कि जीवनसाथी, परिवार घर के भीतर सुरक्षित है।
परिजन भी बदले हैं
पुरुषों ने कई घरेलू काम संभाल लिए हैं। वे रसोई में सहयोग कर रहे हैं और घर की साफ-सफाई में भी। वर्क फ्रॉम होम के साथ वे बच्चों को भी समय दे रहे हैं। हो सकता है खाने-पीने को लेकर नखरे दिखाना भी बंद या कम कर दिया हो। बुजुर्ग भी कामों में सहयोग कर रहे हैं। इन दिनों वे पूजा-पाठ और धार्मिक कार्यों में ज्यादा समय दे रहे होंगे। इसके पीछे उनकी भावना को समझिए। वे परिवार की सलामती के लिए प्रयास कर रहे हैं।
परिवार तो ईश्वर बनाते हैं
आज इस बात का विश्वास हो गया होगा। ‘कितना कुछ कर लो, लेकिन कोई तारीफ नहीं करता’- यह शिकायत भी दूर हो गई होगी या कम जरूर हुई होगी। परिजन एक-दूसरे के योगदान को पहचान रहे हैं, उसकी कद्र कर रहे हैं। गैरी चैपमेन कहते हैं कि कृतज्ञता और सराहना भी प्यार को जताने का तरीका होती है।
सब परवाह कर रहे हैं
फल-सब्जी और किराने का सामान खरीद लेना अमूमन महिलाओं के जिम्मे हुआ करता है, लेकिन इन दिनों घर के पुरुष यह जिम्मेदारी निभा रहे हैं। सोशल मीडिया पर जोक्स चल रहे हैं कि सब्जी खरीदने के लिए बाहर निकलना युद्ध पर जाने जैसा हो गया है। पति, भाई या बेटे ने बाहरी कामों का जिम्मा उठाया है, तो इसे परिवार के प्रति प्यार ही मानिए। खुद जोखिम लेना, ताकि किसी पर कोई आंच न आए- यह प्यार की निशानी है।
प्यार जताने में बच्चे भी पीछे नहीं हैं। वे अपनी उम्र के अनुसार स्वाभाविक रूप से जिद कर रहे होंगे, लेकिन पहले से कम। मम्मी-पापा को व्यस्त देखकर बच्चे भी समझदार हो रहे हैं। मम्मी-पापा की मदद करने की उनकी कोशिश प्यार ही तो है, जिस पर भला किसका दिल न खिल उठेगा! लॉकडाउन की इस नेमत को पहचानिए। आप खुशकिस्मत हैं कि आपको प्यार करने और आपकी परवाह करने वाले लोग आपके साथ हैं।
देश की पहली महिला फोटो जर्नलिस्ट होमी व्यारावाला हैं। होमी के लिए कहा जाता है कि उन्हें पंडित जवाहरलाल नेहरू की फोटोज खींचना पसंद था। होमी देश की आजादी से पहले और बाद के कई ऐतिहासिक क्षणों को अपने ब्लैक एंड व्हाइट कैमरे में कैद किया है।
दैनिक समाचार पत्र के लिए शुरू किया फोटो खींचना
व्यारावाला का जन्म 9 दिसंबर, 1913 को गुजरात के नवसारी में एक मध्यवर्गीय पारसी परिवार में हुआ था। उनके पिता पारसी उर्दू थियेटर के मशहूर अभिनेता थे। पढ़ाई पूरी होने के बाद शुरू में उन्होंने मुंबई के एक दैनिक समाचार पत्र के लिए फोटो खींचना शुरू किया और बाद में इस क्षेत्र को ही अपने पेशे के रूप में चुना। साल 1942 यानी दूसरे विश्व युद्ध के दौरान व्यारावाला को ब्रिटिश इन्फॉर्मेशन सर्विस ने नई दिल्ली में नौकरी दी। इसाल 1970 में होमी ने अपने पति के निधन के बाद फोटोग्राफी छोड़ दी।
अगस्त 1947 को लाल किले की तस्वीर कैद की
होमी व्यारावाला ने अगस्त 1947 को लाल किले पर पहली बार फहराए गए झंडे, भारत से लॉर्ड माउंटबेटन की वापसी, महात्मा गांधी, जवाहरलाल नेहरू और लाल बहादुर शास्त्री की अंतिम यात्रा की भी तस्वीरें भी अपने कैमरे में कैद कीं। इसके अलावा उन्होंने महात्मा गांधी, जवाहरलाल नेहरू, मोहम्मद अली जिन्ना, इंदिरा गांधी सहित कई बड़ी हस्तियों के फोटोज को अपने कैमरों में कैद किया।
2010 में मिला पद्म विभूषण
होमी अपने जीवन के करीब 40 साल तक फोटोग्राफी से जुड़ी रहीं। 2010 में भारत सरकार ने उन्हें पद्म विभूषण से सम्मानित किया। बताया जाता है कि 2012 में होमी व्यारवाला अपने घर की सीढ़ियों से गिर गई थीं, जिससे उन्हें कूल्हे में गंभीर चोट आ गई। इसके बाद पड़ोसियों ने उन्हें अस्पताल में भर्ती करवाया था। उन्हें सांस लेने में भी काफी दिक्कत हो रही थी, जिसके बाद इलाज के दौरान ही 15 जनवरी 2012 को उनका निधन हो गया।
न्यूयॉर्क की दो पालतू बिल्लियां कोरोनावायरस से संक्रमित मिली हैं। प्रशासन के मुताबिक बिल्लियों की जांच रिपोर्ट पॉजिटिव आई है और अमेरिका में संक्रमित होने वाली ये पहली पालतू जानवर हैं। सेंटर्स फॉर डिसीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन (सीडीसी) के मुताबिक, बिल्लियों को सांस लेने में तकलीफ हो रही थी। माना जा रहा है कि इन्हें घर या पड़ोस के लोगों से संक्रमण हुआ होगा। हाल ही में न्यूयॉर्क सिटी के ब्रॉन्क्स चिड़ियाघर में 4 साल की बाघिन भी कोरोना पॉजिटिव पाई गई थी।
एक बिल्ली में घर के संक्रमित इंसान से फैला कोरोना
सीडीसी के अधिकारी डॉ. केसे बार्टन का कहना है, दोनों ही मामले अलग-अलग घर की बिल्लियां के हैं। पहली बिल्ली में संक्रमण घर के ही एक सदस्य के सांस लेने में तकलीफ के बाद सामने आया। हालांकि उस शख्स में कोरोनावायरस की पुष्टि नहीं हुई है। बिल्ली कई बाहर गई थी इसलिए हो सकता है कि किसी बाहरी संक्रमित शख्स के सम्पर्क में आई हो।संक्रमण के दूसरे मामले में बिल्ली का मालिक कोरोना संक्रमित पाया गया है। जबकि उसी घर में मौजूद दूसरी बिल्ली में संक्रमण के कोई लक्षण नहीं मिले हैं।
जानवरों से इंसानों में संक्रमण फैलने के प्रमाण नहीं
सीडीसी के अधिकारी डॉ. केसे बार्टन का कहना है कि हम नहीं चाहते कि लोग पालतू जानवरों से डरें और उनकी जांच को लेकर परेशान हों। जानवरों से इंसान मेंसंक्रमण फैलने का अब तक फिलहाल कोई प्रमाण नहीं मिला है। व्हाइट हाउस के प्रमुख सलाहकार डॉ. एंथनी के मुताबिक, पालतू और दूसरे जानवर कोरोना सेसंक्रमित हो सकते हैं लेकिन इनसे इंसानों में संक्रमण का कोई मामला सामने नहीं आया है।
पालतू जानवरों को बाहर न ले जाने की गुजारिश
सीडीसी लोगों से अपने पालतू जानवरों को बाहरी लोगों से सम्पर्क न रखने की गुजारिश कर रहा है। इसके अलावा उन्हें पार्क में न घुमाने की सलाह भी दी है। दुनियाभर के वैज्ञानिक, जानवरों और इंसानों के बीच वायरस का कनेक्शन समझने के लिए रिसर्च कर रहे हैं। माना जा रहा है कि चीन के पशु बाजार से ही इंसानों के बीच संक्रमण फैला और जानवरों में कोरोनावायरस चमगादड़ के जरिये पहुंचा।
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