हेल्थ डेस्क. शोधकर्ताओं ने ऐसा ब्लड टेस्ट विकसित किया है जो टीबी होने के 3-6 महीने पहले ही इंसान को अलर्ट कर देगा। इससे इलाज आसान होगा और जिंदगियां बचाई जा सकेंगी। लेंसेट रेस्पिरेट्री मेडिसिन जर्नल में प्रकाशित शोध के मुताबिक, टेस्ट के जरिए रक्त में मौजूद जीन में खास तरह के बदलाव को समझ कर बीमारी के लक्षण दिखने से पहले ही भविष्यवाणी की जा सकेगी। रिसर्च टीम के प्रमुख भारतीय मूल के ऋषि गुप्ता ने यह टेस्ट विकसित किया है। शोध ब्रिटेन के यूनिवर्सिटी कॉलेज लंदन में किया गया है।
ऐसे समझें कैसे समय से पहले पता चलेगा रोग
मुख्य शोधकर्ता ऋषि गुप्ता के मुताबिक, हमने टीबी होने की शुरुआत में दिखने वाले बदलाव को पहनाया गया है। जो समय से पहले बीमारी का पता लगाने में मदद करते हैं। जीन एक्सप्रेशन सिग्नेचर का इस्तेमाल दूसरी बीमारी को समझने में भी कर रहे हैं ताकि इलाज आसानी से हो सके। कोशिकाओं में जीन के एक या अनेक समूह होते हैं जो खास तरह के होते हैं। इन्हें जीन एक्सप्रेशन सिग्नेचर कहते हैं। जब इनमें कोई बदलाव आता है तो ये बीमारी की ओर इशारा करते हैं।
पहली बार संक्रमित बीमारी पर हुआ प्रयोग
शोधकर्ता के अनुसार, वर्तमान में जीन एक्सप्रेशन का इस्तेमाल कैंसर को नियंत्रित करने में भी किया जा रहा है लेकिन कभी टीबी जैसी संक्रमण से फैलने वाली बीमारियों में नहीं किया गया है। इसके लिए टीबी के मरीजों के रक्त में मौजूद जीन सिग्नेचर का विश्लेषण किया गया। 1100 ब्लड सेंपल लिए गए जिसमें 17 मरीजों में टीबी के जीन एक्सप्रेशन सिग्नेचर देखे गए। इसमें साउथ अफ्रीका, इथियोपिया, द गैंबिया और ब्रिटेन के मरीज शामिल थे।
शोधकर्ताओं ने स्वस्थ इंसान और टीबी के मरीजों के ब्लड का कई महीनों विश्लेषण किया। शोधकर्ताओं ने पाया जीन में आठ तरह के बदलाव भविष्य में टीबी की बीमारी होने की ओर इशारा करता है। इसकी भविष्यवाणी 3-6 महीने पहले ही की जा सकती है।
2018 में टीबी से 15 लाख मौत
टीबी की वजह मायकोबैक्टीरियम ट्यूबरकुलोसिस नाम का की बैक्टीरिया का संक्रमण है। जिसका ज्यादातर असर फेफड़ों पर होता है। टीबी से होने वाला संक्रमण एक इंसान से दूसरे में हवा के जरिए भी फैलता है। जब टीबी का मरीज छींकता है या थूकता है और किटाणु हवा के जरिए स्वस्थ मरीज में पहुंचकर उसे भी संक्रमित करते हैं। दुनियाभर में हो रही हैं मौतों की 10 वजहों में टीबी शामिल है। 2018 में इससे 15 लाख लोगों की मौत हुई थी। शोधकर्ता मेहडेड नॉर्सडेघी के मुताबिक, दुनिया की एक चौथाई आबादी टीबी के बैक्टीरिया से संक्रमित है।
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