from NDTV Khabar - Filmy https://ift.tt/2RKOgU8
via IFTTT
लाइफस्टाइल डेस्क. आज के समय में, आप में से हर एक के पास स्मार्टफोन है तो घर बैठे एक्स्ट्रा इनकम के लिए अपने फोन का उपयोग क्यों न करें? आप घर बैठे स्मार्टफोन एप्स से सामान रीसेल कर के पैसे कमा सकती हैं। ऐसी कई रिसेलिंग ऐप्स उपलब्ध हैं। ये ऐप्स टियर टू और टियर थ्री शहरों की महिलाओं, खासकर गृहणियों और माताओं के बीच बहुत लोकप्रिय हो गए हैं। रूमानी सैकिया फुकन आपको ऐसी ही कुछ रिसेलिंग ऐप्स के बारे में बता रही हैं जो गूगल प्ले स्टोर पर आसानी से मिल सकती हैं। इनको डाउनलोड कर के आप घर बैठे एक्स्ट्रा कमा सकती हैं।
Meesho
ये ऐप 1 करोड़ बार डाउनलोड किया जा चुका है और इसका 5 में से 4.5 का रिव्यू स्कोर है। यह भारत में शीर्ष रीसेलिंग ऐप में से एक है, जिसे एंड्रॉइड फोन पर डाउनलोड किया जा सकता है। इस ऐप की खासियत यह है कि काम शुरू करने के लिए बहुत अधिक औपचारिकताएं नहीं हैं, आप अपनी सुविधा के अनुसार काम कर सकती हैं। साथ ही इजी रिटर्न पॉलिसी और कैश ऑन डिलीवरी का विकल्प भी है। इस ऐप पर मिलने वाले सामान ज्यादा महंगे भी नहीं हैं इसलिए इन्हें रीसेल करना आसान होता है। ये ज्यादातर फैशन और घरेलू उत्पादों के लिए लोकप्रिय है।
GlowRoad
इस ऐप को भी एक करोड़ से ज्यादा बार डाउनलोड किया जा चुका है। इस ऐप के जरिए गृहिणियां, कॉलेज के छात्र, बुटीक ओनर्स आदि साड़ी, सूट, कुर्ते, शर्ट्स, टॉप्स, ब्यूटी प्रोडक्ट्स, इलेक्ट्रॉनिक्स आदि रीसेल कर के काफी अच्छे पैसे कमा रहे हैं। ग्लोरोड में होलसेल रेट पर 300 से अधिक श्रेणियों में सामान उलपब्ध है। इसमें 60 लाख से अधिक लोगों का बड़ा नेटवर्क है। इसका उपयोग करना आसान है, आसान रिटर्न पॉलिसी है और चीजें समय पर डिलीवर हो जाती हैं।
ZyMi
ये भारत की एक और सबसे बढ़िया रीसेलिंग ऐप है। आपको इस ऐप का उपयोग करके मुफ्त में अपना ऑनलाइन स्टोर बनाने का अवसर मिलता है। यहां आप आसानी से लगभग 2 मिनट में अपना ऑनलाइन स्टोर बना सकती हैं। आप यहां विभिन्न ब्रांडों के प्रोडक्ट्स बेच कर कमीशन कमा सकती हैं। इस ऐप में कैश ऑन डिलीवरी के साथ-साथ इजी पेमेंट के विकल्प भी हैं।
Shop101
इस ऐप को 50 लाख से ज्यादा बार डाउनलोड किया जा चुका है। इसके इस्तेमाल से आप भी होम बेस्ड आंत्रप्रेन्योर बन सकती हैं। यह ऑनलाइन व्हाट्सएप, फेसबुक और इंस्टाग्राम पर प्रोडक्ट बेचने के लिए देश के सर्वश्रेष्ठ ई-कॉमर्स प्लेटफार्मों में से एक है। इस ऐप में ऑनलाइन स्टोर बनाने के लिए कुछ इंवेस्टमेंट नहीं लगता है और 2 मिनट से भी कम समय में ऑनलाइन स्टोर बनाया जा सकता है। यहां महिलाओं के लिए कई तरह के प्रोडक्ट्स उपलब्ध हैं इसलिए ये ऐप महिलाओं के बीच लोकप्रिय है।
ऐप्स को ऐसे करें इस्तेमाल
लाइफस्टाइल डेस्क. खूबसूरत त्वचा की चाह सभी को होती है। फिलहाल मौसम सर्द है और अब बदलेगा, तो भी त्वचा को इसका नुक़सान झेलना पड़ेगा। इस समस्या को देखते हुए कुछ ऐसे घरेलू फेस पैक्स यहां दिए जा रहे हैं, जिन्हें चंद मिनटों में तैयार किया जा सकता है। ये हर तरह की त्वचा के लिए कारगर हैं। पुष्पलता श्रीवास्तव बता रही हैं इसे कैसे तैयार करें...
लाइफस्टाइल डेस्क. वॉट्सऐप पर दो लाइनें पढ़ीं-घर की बेटियों, बहनों, ननदों को गर्मियों की छुट्टियों में ससम्मान उनके घर बुलाएं।
लाइनें पढ़कर मन में सवालों की झड़ी लग गई। ऐसा क्यूं लिखना पड़ा कि बेटियों को आदर से आमंत्रित करें? ऐसी क्या परिस्थितियां आ गईं कि घर की बेटियों को उनके ही मायके में बुलाना पड़ रहा है? इस ओर विचार करने पर कुछ ख़ास और ध्यान देने योग्य बातें सामने आईं, जिन पर विचार करना ज़रूरी है।
सुविधा की मांग
कुछ महिलाएं अपने बच्चों की कोचिंग या गर्मियों में लगने वाली समर क्लासेस के कारण नहीं जा पातीं और दूसरा कि आजकल के बच्चे बहुत ही सुविधाभोगी हो गए हैं। हर जगह उन्हें घर जैसा ही माहौल (पंखा, कूलर, एसी, वीडियो गेम, मोबाइल) चाहिए। फ़रमाइश करते ही फास्ट फूड या मनपसंद की चीजेंचाहिए। और अगर फ़रमाइश पूरी न हो, तो ये घर वापसी की ज़िद पकड़ लेते हैं। ऐसे में घरवाले भी परेशान होने लगते हैं।
साझा करना भूल गए हैं
एकल या छोटा परिवार होने की वजह से साझा करने की प्रवृत्ति नहीं होती। इस कारण परेशानी होती है। इसके साथ ही आजकल के बच्चे सबके साथ सामंजस्य बिठा पाने में असमर्थ होते हैं। उन्हें प्राइवेसी, स्पेस चाहिए होता है। मांएं भी इसमें उनका साथ देती हैं। उन्हें लगता है कि मायके में उन्हें अलग कमरा दिया जाए, जिसमें वे बच्चों के साथ ठहर सकें। इस कारण मायके वाले भी उनके इस तरह के व्यवहार से परेशान हो जाते हैं।
फ़रमाइशों की झड़ी
ये बात थोड़ी अटपटी लगेगी परंतु सच्चाई है। पता नहीं ससुराल की आदर्श बहुएं मायके जाकर नकचढ़ी बेटियां क्यों बन जाती हैं। जिस घर में (ससुराल) जीवनभर रहना है वहां के लिए, वहां के लोगों के लिए परायापन महसूस करती हैं या करवा देती हैं। जो बहू ससुराल में ख़ुशी से काम करती है वही बहू मायके जाकर कोई भी काम नहीं करना चाहती। दिनभर आराम करने के साथ ही बैठे-बैठे फ़रमाइशें करना उन्हें उनका हक़ लगता है। ये बड़ी विडंबना है।
महत्व का विचार
मायके में अगर भाभी या उस घर की बहू है तो उसका महत्व बेटी के आते ही कम हो जाता है। ननद के आते ही भाभी के ऊपर काम का बोझ भी बढ़ जाता है। हम किसी परिवार की बहू हैं तो क्या मायके जाकर थोड़ा-सा बहू जैसा बनकर नहीं रह सकते।
ख़र्चों का बोझ
अब वो समय नहीं रह गया कि छुटि्टयां होते ही मायके जाया जाए। ऐसा वातावरण हम ख़ुद ही तैयार करते हैं। हमारी आराम की आदत, अनाप-शनाप फ़रमाइशें, मायके का बजट बिगाड़ देती हैं। अपनी भाभी से हम पूरी अपेक्षा रखते हैं परंतु अपनी ननद की वही सारी बातें हमें अच्छी नहीं लगतीं। दोनों पहलुओं पर ग़ौर करने से पता चलता है कि हम सामने वाले को तो बदलना चाहते हैं लेकिन ख़ुद नहीं बदलना चाहते। बहुत-सी महिलाएं छोटी-छोटी बातों पर मुंह फुला लेती हैं, नाराज़ हो जाती हैं फिर मान-मनुहार, माहौल को सामान्य करने में ही समय बीत जाता है।
जो देंगे वही पाएंगे
लाइफस्टाइल डेस्क.अभी तक आप खीरे सलाद के रूप में खाते आए होंगे। इसे सिर्फ़ सलाद में ही नहीं बल्कि कई रूपों में खा सकते हैं। इसका नाश्ता बना सकते हैं या मुख्य भोजन में भी परोस सकते हैं। ओम प्रकाश गुप्ता बता रहे हैंइससे बनी कुछ दिलचस्प रेसिपीज़...
खीरा बास्केट
क्या चाहिए-खीरा- 1, उबला आलू- 1, अनार के दाने- 2 बड़े चम्मच, नींबू का रस- 1 बड़ा चम्मच, नमक- स्वादानुसार, काली मिर्च- छोटा चम्मच।
ऐसे बनाएं-खीरा छीलकर तीन गोल टुकड़ों में काट लें। गूदा निकालकर खोखला कर लें। आलू छीलकर छोटे-छोटे टुकड़ों में काटें। उनमें खीरे का गूदा, अनार के दाने, नमक, काली मिर्च और नींबू का रस अच्छी तरह से मिलाएं। तैयार सामग्री खीरे के खोलों में भरें।
खीरा अप्पे
क्या चाहिए-खीरा- 2 कप छीलकर कद्दूकस किया हुआ, सूजी- 1 कप, दही- कप, हरा धनिया- 2 बड़े चम्मच बारीक कटा हुआ, टमाटर- 1 बड़ा चम्मच बारीक कटा हुआ, हरी मिर्च- 1 छोटा चम्मच बारीक कटी हुई, अदरक- 1 छोटा चम्मच बारीक कटा हुआ, चाट मसाला- छोटा चम्मच, लाल मिर्च पाउडर- छोटा चम्मच, बेकिंग सोडा- छोटा चम्मच, नमक- स्वादानुसार, तेल- 1 बड़ा चम्मच।
ऐसे बनाएं-कद्दूकस किए हुए खीरे का पानी निथारें। एक बोल में कद्दूकस खीरा, सूजी और दही मिलाएं। तेल और बेकिंग सोडा छोड़कर बाकी सारी सामग्री इसमें डालकर अच्छी तरह से मिलाएं। मिश्रण 15 मिनट के लिए ढककर रख दें। अब अप्पे पैन गर्म करके इसके सभी खानो में 2-2 बूंद तेल डालें। खीरे के मिश्रण में बेकिंग सोडा मिलाकर इसका 1-1 बड़ा चम्मच खानों में डालें। इसे ढककर 3-4 मिनट तक धीमी आंच पर पकाएं। प्रत्येक अप्पे पर 2-2 बूंद तेल टपकाकर पलटें। 2-3 मिनट तक और पकाएं। दोनों तरफ़ से सुनहरा होने पर निकाल लें और नारियल चटनी के साथ गरमा-गरम परोसें।
खीरा करी
क्या चाहिए-खीरा- 1 (बड़े आकार का), प्याज़ का पेस्ट- 1 बड़ा चम्मच, टमाटर प्यूरी- 2 बड़े चम्मच, हरी मिर्च- 1 छोटा चम्मच बारीक कटी हुई, हरा धनिया- 1 छोटा चम्मच बारीक कटा हुआ, अदरक- 1 छोटा चम्मच बारीक कटा हुआ, अजवायन- छोटा चम्मच, हल्दी पाउडर- छोटा चम्मच, जीरा- छोटा चम्मच, हींग-चुटकी भर, धनिया पाउडर- 1 छोटा चम्मच, गरम मसाला- छोटा चम्मच, लाल मिर्च पाउडर- छोटा चम्मच, नमक- स्वादानुसार, तेल- 2 बड़े चम्मच।
ऐसे बनाएं-खीरा छीलें और लंबाई में चार फांकें करके टुकड़ों में काट लें। कड़ाही में तेल गर्म करके जीरा, हींग और अजवायन डालकर भूनें। कटी हरी मिर्च, कटा अदरक, प्याज़ का पेस्ट और टमाटर प्यूरी मिलाकर भूनें। जब मसाला तेल छोड़ दे तो खीरे के टुकड़े और एक गिलास पानी डालकर अच्छी तरह से मिलाएं। इसे ढककर 4-5 मिनट या खीरा मुलायम होने तक पकने दें। हल्दी पाउडर, धनिया पाउडर, लाल मिर्च पाउडर और नमक मिलाकर दो मिनट और पकाएं। फिर गैस बंद कर दें। गरम मसाला मिलाएं और कटा हुआ हरा धनिया ऊपर से डालकर परोसें।
हेल्थ डेस्क. शोधकर्ताओं ने ऐसा ब्लड टेस्ट विकसित किया है जो टीबी होने के 3-6 महीने पहले ही इंसान को अलर्ट कर देगा। इससे इलाज आसान होगा और जिंदगियां बचाई जा सकेंगी। लेंसेट रेस्पिरेट्री मेडिसिन जर्नल में प्रकाशित शोध के मुताबिक, टेस्ट के जरिए रक्त में मौजूद जीन में खास तरह के बदलाव को समझ कर बीमारी के लक्षण दिखने से पहले ही भविष्यवाणी की जा सकेगी। रिसर्च टीम के प्रमुख भारतीय मूल के ऋषि गुप्ता ने यह टेस्ट विकसित किया है। शोध ब्रिटेन के यूनिवर्सिटी कॉलेज लंदन में किया गया है।
ऐसे समझें कैसे समय से पहले पता चलेगा रोग
मुख्य शोधकर्ता ऋषि गुप्ता के मुताबिक, हमने टीबी होने की शुरुआत में दिखने वाले बदलाव को पहनाया गया है। जो समय से पहले बीमारी का पता लगाने में मदद करते हैं। जीन एक्सप्रेशन सिग्नेचर का इस्तेमाल दूसरी बीमारी को समझने में भी कर रहे हैं ताकि इलाज आसानी से हो सके। कोशिकाओं में जीन के एक या अनेक समूह होते हैं जो खास तरह के होते हैं। इन्हें जीन एक्सप्रेशन सिग्नेचर कहते हैं। जब इनमें कोई बदलाव आता है तो ये बीमारी की ओर इशारा करते हैं।
पहली बार संक्रमित बीमारी पर हुआ प्रयोग
शोधकर्ता के अनुसार, वर्तमान में जीन एक्सप्रेशन का इस्तेमाल कैंसर को नियंत्रित करने में भी किया जा रहा है लेकिन कभी टीबी जैसी संक्रमण से फैलने वाली बीमारियों में नहीं किया गया है। इसके लिए टीबी के मरीजों के रक्त में मौजूद जीन सिग्नेचर का विश्लेषण किया गया। 1100 ब्लड सेंपल लिए गए जिसमें 17 मरीजों में टीबी के जीन एक्सप्रेशन सिग्नेचर देखे गए। इसमें साउथ अफ्रीका, इथियोपिया, द गैंबिया और ब्रिटेन के मरीज शामिल थे।
शोधकर्ताओं ने स्वस्थ इंसान और टीबी के मरीजों के ब्लड का कई महीनों विश्लेषण किया। शोधकर्ताओं ने पाया जीन में आठ तरह के बदलाव भविष्य में टीबी की बीमारी होने की ओर इशारा करता है। इसकी भविष्यवाणी 3-6 महीने पहले ही की जा सकती है।
2018 में टीबी से 15 लाख मौत
टीबी की वजह मायकोबैक्टीरियम ट्यूबरकुलोसिस नाम का की बैक्टीरिया का संक्रमण है। जिसका ज्यादातर असर फेफड़ों पर होता है। टीबी से होने वाला संक्रमण एक इंसान से दूसरे में हवा के जरिए भी फैलता है। जब टीबी का मरीज छींकता है या थूकता है और किटाणु हवा के जरिए स्वस्थ मरीज में पहुंचकर उसे भी संक्रमित करते हैं। दुनियाभर में हो रही हैं मौतों की 10 वजहों में टीबी शामिल है। 2018 में इससे 15 लाख लोगों की मौत हुई थी। शोधकर्ता मेहडेड नॉर्सडेघी के मुताबिक, दुनिया की एक चौथाई आबादी टीबी के बैक्टीरिया से संक्रमित है।
जयपुर (सुरेन्द्र स्वामी).घबराहट, बैचेनी, जंक फूड का सेवन, बदलती जीवन शैली, मानसिक तनाव, तंबाकू का सेवन और खानपान के चलते हाइपरटेंशन और डायबिटीज के शिकार लोगों का ग्राफ बढ़ता जा रहा है। प्रदेश में पिछले 9 माह में डायबिटीज और हाइपरटेंशन के 10 लाख मरीज सामने आए हैं। इनमें साढ़े 5 लाख तो अकेले हाइपरटेंशन या हाई ब्लड प्रेशर के हैं। डायबिटीज में टॉप-10 जिले देखें तो अजमेर पहले नंबर पर है। सिरोही दूसरे व सीकर तीसरे नंबर पर है। इसी तरह से हाइपरटेंशन में राजसमंद पहले, बीकानेर दूसरे व डूंगरपुर तीसरे नंबर पर है।
सबसे चौंकाने वाली जानकारी ये है कि दोनों में ही पढ़ाई का दवाब और डिप्रेशन के चलते युवा सबसे ज्यादा शिकार हो रहे हैं। प्रदेश में 80 हजार एेसे मरीज भी मिले, जिन्हें हाई ब्लड प्रेशर व डायबिटीज दोनों बीमारी थी। यह खुलासा भास्कर की ओर जयपुर समेत प्रदेश के 33 जिलों में सीएचसी से लेकर जिला अस्पतालों में आने वाले मरीजों की संख्या के आधार पर हुआ है।
यह खतरे की घंटी इसलिए
हाइपरटेंशन से रक्त वाहिकाएं सख्त, मोटी और संकरी होने से हृदय में खून का संचार नहीं होता। एंजाइना (छाती में दर्द) व गंभीर बीमारी के साथ हार्ट अटैक की आशंका रहती है। गुर्दों की रक्त कोशिकाएं कमजोर व संकुचित होने से कार्यक्षमता घट जाती है। मेटाबॉलिक सिंड्रोम का खतरा बढ़ता है। डायबिटीज अौर दिल से जुड़ी बीमारी हो सकती है।
15-20 फीसदी लोगों को नहीं पता होता उनका बीपी असामान्य है
डॉक्टरों के अनुसार एंजाइटी व अन्य कारणों से हाइपरटेंशन से युवाओं के ज्यादा शिकार के मामले आ रहे हैं। आजकल 20 से 25 साल तक की उम्र वाले भी ब्लड प्रेशर की गिरफ्त में आ रहे हैं। 60 साल की उम्र से पहले पुरुषों में उच्च रक्तचाप का खतरा ज्यादा रहता है, लेकिन बाद में महिला-पुरुष दोनों में ही खतरे की आशंका बराबर होती है। लंबे समय तक रक्तचाप का स्तर ज्यादा रहना हाइपरटेंशन या हाई बीपी कहलाता है। इसे साइलेंट किलर के नाम से भी जाना जाता है। सबसे बड़ी बात ये है कि 15-20% लोगों को यह जानकारी नहीं होती कि उन्हें यह समस्या है। कुछ में लक्षण नहीं दिखाई देते। सिर-दर्द, बैचेनी और सीने में दर्द जैसे लक्षणों में अनदेखी होती है। इससे शरीर के अन्य अंगों का भी खतरा बना रहता है। हालांकि अभी सरकार निरोगी राजस्थान अभियान के तहत जयपुर समेत प्रदेश के सभी जिलों में स्क्रीनिंग प्रारंभ करने जा रही है।
ज़ाहिदा हिना
किसी को शायद यक़ीन ना आए कि एक ऐसे वक़्त में जब पाकिस्तानी और हिंदुस्तानी सरहदों पर इतना तनाव है, दोनों तरफ़ की तोपें एक दूसरे की तरफ रुख़ किए हुए हैं, लाहौर में हिंदुस्तानी ज़ायक़े और नामों वाली मिठाइयां धड़ल्ले से खुलेआम बिक रही हैं। ऐसा पहली बार नहीं हुआ है। इससे पहले भी तनातनी के दिनों में अमृतसरी हरीसा, जालंधरी मोतीचूर और मुंबई बिरयानी पाकिस्तानी बड़े शौक़ से खाते रहे हैं।
जालंधर से लाहौर पहुंची मिठाई की तरकीबें
एक अंग्रेज़ी अख़बार से जुड़े आसिफ महमूद इस बारे में बहुत मालूमात रखते हैं। कुछ दिनों पहले उन्होंने मिठाई की कुछ दुकानों का सर्वे किया और बताया कि अनारकली में एक दुकान है, जो 1922 में हाजी अब्दुल करीम ने खोली थी। वो जालंधर से लाहौर आए थे और अपने साथ जालंधरी मिठाइयों को बनाने की तरकीबें लाए थे। अब उनकी चौथी नस्लें उन सौ साल पुरानी मिठाइयों को तैयार करके लोगों को खिला रही हैं और लोग दूर-दूर से जालंधरी मोतीचूर के लड्डू खाने और ख़रीदने आते हैं।
लाहौरवालों को पसंद अमृतसरी हरीसा
हाजी अब्दुल करीम के पड़पोतों ने बताया कि जब सिख हज़रात लाहौर आते हैं तो वो ख़ासतौर से उनकी दुकान से मिठाइयां तोहफे में देने के लिए ख़रीदते हैं। उनकी तैयार की हुई मिठाइयां लाहौर के मशहूर भोलू पहलवान और झारा पहलवान बहुत शौक़ से खाते थे। पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री शहबाज़ शरीफ और कई मंत्री भी उनकी दुकान पर आ चुके हैं। इसी तरह निसबत रोड पर अमृतसरी हरीसा बनाने वाली दुकान 70 साल पुरानी है। इसके मालिक मुहम्मद सिराज अमृतसर से 1947 में लाहौर आए थे, तभी उन्होंने हरीसे की दुकान खोली थी। यह दुकान आज भी तरक़्क़ी कर रही है।
लाहौर वाले अपने मेहमानों को लेकर उनकी दुकान पर आते हैं और अमृतसरी हरीसा खाकर जाते हैं। जंग के ज़माने में भी ये दुकानें बंद नहीं हुईं और ना ही किसी ने उनके नाम पर ऐतराज़ किया। इसी तरह लोअर मॉल रोड पर मुंबई बिरयानी खाने वालों और घर ले जाने वालों की क़तारें लगी रहती हैं। कराची में भी मेरठ कबाब और दिल्ली नहारी हाउस रोज़ाना लाखों का कारोबार करते हैं।
हिंदुस्तान में भीपाकिस्तानी जायके का खाना
कराची हो या लाहौर या पाकिस्तान के दूसरे शहर, इन दुकानों को चलाने वाले देसी घी और शुद्ध मसालों का इस्तेमाल करते हैं और खाने के स्तर से समझौता नहीं करते। हिंदुस्तान में भी ऐसी कई दुकानें हैं, जिनके नाम पाकिस्तानी शहरों के नाम पर रखे हुए हैं और वहां पाकिस्तानी ज़ायक़े का खाना बिकता है। अगर दोनों मुल्कों के हुक्मरान पाकिस्तानी और हिंदुस्तानी कारोबारियों से दिल जीतने का हुनर सीख लें तो दोनों मुल्कों का बहुत भला हो सकता है। यूं भी कहा जाता है कि किसी का दिल जीतने का रास्ता उसके पेट से होकर जाता है।
जकार्ता (इंडोनेशिया). दुनिया के सबसे मोटे लड़के आरिया परमाना ने अपना वजन चार साल में 110 किग्रा कम कर लिया है। अब उनका वजन 83 किलोग्राम है। 2016 में 193 किग्रा था। सोशल मीडिया पर उनके ट्रेनर अदे रॉय ने रविवार कोआरिया की फोटो शेयर कर यह जानकारी दी। आरिया की एक बैरिएट्रिक सर्जरी हो चुकी है। कम-से-कम 2 और सर्जरी होंगी।
पिता ने बताया कि आरिया ने वजन कम करने के लिए काफी मेहनत की। बैरिएट्रिक सर्जरी के साथ डाइट और नियमित व्यायाम का ध्यान रखा। 49 साल के ट्रेनर अदे ने आरिया से पहली मुलाकात का वीडियो भी शेयर किया है। यह मुलाकात 2016 में हुई थी। तब उसका वजन 193 किलोग्राम था और उम्र 10 साल थी। अदे ने बताया, जब मेरे पास आरिया आया था, तब मैंने उसके माता-पिता से बच्चे की दिनचर्या और आहार को संतुलित करने को कहा था। इसके साथ ही आरिया को लगातार प्रोत्साहित किया गया। शुरुआत में उसे छोटे-छोटे टास्क दिए। इनमें उठक-बैठक और पंचिंग बैग का इस्तेमाल भी था। फिर वह धीरे-धीरे वेटलिफ्टिंग भी करने लगा। उन्होंने बताया कि मैंने उसे सिर्फ दिशा दी। बाकी मेहनत आरिया ने की।
दो साल में 88 किग्रा वजन बढ़ा था
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, एक सर्जरी के बाद आरिया का वजन तेजी से घटा और 150 से 87 किलोग्राम पर आ गया था। फिलहाल उसका वजन कम होकर 83 किलोग्राम है। वह इसे भी कम करना चाहता है। माता-पिता ने बताया, "जन्म के वक्त आरिया का वजन साढ़े 3 किग्रा था, लेकिन 2016 में यह स्थिति नियंत्रण से बाहर से हो गई थी। जब वह 8 साल का था, तबउसकी भूख अचानक बढ़ गई। वह दिन में ज्यादा से ज्यादा खाने लगा। दो साल में 88 किलोग्राम वजन बढ़ने से ही वह दुनिया का सबसे मोटा लड़का हो गया था। 10 साल का होने तक उसका वजन 193 किलोग्राम तक पहुंच गया।
लाइफस्टाइल डेस्क. वर्ल्ड ट्रैवल एंड टूरिज्म काउंसिल (डब्ल्यूटीटीसी) के अनुसार अगले एक दशक में भारत दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ने वाली पर्यटन अर्थव्यवस्था में से एक बन जाएगा। इससे 10 मिलियन नई जॉब्स पैदा होंगी। वहीं दुनिया की बात करें तो 2028 तक ट्रैवल एंड टूरिज्म सेक्टर में 400 मिलियन से भी अधिक नौकरियों के नए अवसर उपलब्ध होंगे। जो आने वाली ग्लोबल नेट जॉब्स का 25% होगा।
जाहिर सी बात है आने वाले समय में न सिर्फ भारत में बल्कि पूरी दुनिया में इस सेक्टर में कॅरिअर के सुनहरे अवसर रहेंगे। लेकिन टेक्नोलॉजी की अधिक लोगों तक पहुंच की वजह से ट्रैवल और टूरिज्म सेक्टर में ट्रेडिशनल जॉब्स (टूर ऑपरेटर्स, ट्रैवल एजेंसीज, टूर गाइडिंग) की जगह बिग डेटा एनालिसिस, ट्रैवल इंफ्ल्यूएंसर, आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस जैसी तकनीक के जानकार लोगों के लिए अधिक अवसर होंगे।
ऐसे में इस इंडस्ट्री में कॅरिअर बनाने के इच्छुक स्टूडेंट्स को यह जानना बेहद जरूरी है कि अगले दशक में किस तरह की जाॅब्स आने वाली हैं। इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ टूरिज्म एंड ट्रैवल मैनेजमेंट (आईआईटीटीएम) के असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. जीत डोगरा बता रहें हैं इस सेक्टर में आने वाली टॉप जॉब्स के बारे में जो आपके लिए मददगार साबित होंगी।
जोधपुर.जाेधपुर के मुस्टैश हॉस्टल काे देश का सर्वश्रेष्ठ हॉस्टल का पुरस्कार दिया गया है। यह पुरस्कार अंतरराष्ट्रीय पर्यटकों के बीच लोकप्रिय पोर्टल हॉस्टल वर्ल्ड डॉट काॅम ने दिया है। अमेरिका में आयोजित 18वें हॉस्टल पुरस्कार समारोह में करीब 12 अलग-अलग कैटेगरी में पुरस्कार बांटे गए। इनमें कंट्री कैटेगरी में जोधपुर की मुस्टैश हॉस्टल चेन काे भारत का बेस्ट हॉस्टल चुना गया।
न्यूयॉर्क टाइम्स की ओर से हाल में जोधपुर को दुनिया का 12वां टॉप डेस्टिनेशन माना गया है। यहां की ब्ल्यू सिटी, ऐतिहासिक प्रतीक, परंपरागत लाख चूड़ी, मसाला, मिठाइयां आदि पर्यटकों को खूब पसंद आती हैं। अब एक ट्रेवलर पोर्टल ने शिप हाउस किला रोड स्थित मुस्टैश हॉस्टल चेन काे सर्वश्रेष्ठ माना है, जिसने बेहद कम समय में विदेशी पर्यटकों के बीच अपनी पहचान बनाई है।
किस-किस कैटेगरी में मिलते हैं पुरस्कार
हॉस्टल वर्ल्ड डॉट कॉम की ओर से सोलो ट्रेवलर, फिमेल सोलो, मेल सोलो, बेस्ट न्यू हॉस्टल, मोस्ट पाॅपुलर, रेटिंग क्राइटेरिया, कंट्री साइज- स्मॉल, मीडियम, लार्ज, एक्स्ट्रा लार्ज, कॉन्टिनेंट, एशिया, यूरोप, अफ्रीका, नॉर्थ अमेरिका और अदर विनर्स-हॉस्टल चेन कैटेगरी।
1.1 मिलियन टूरिस्ट के कमेंट्स के आधार पर चुना
यूं तो भारत में कई देसी और विदेशी हॉस्टल की चेन चल रही है। कई युवा इस स्टार्टअप बिजनेस से जुड़े हैं, लेकिन कंट्री कैटेगरी में इंडिया से केवल मुस्टैश जोधपुर हॉस्टल को ही चुना गया। यह पोर्टल दुनियाभर के पर्यटकों की ओर से दिए जाने वाली राय, कमेंट्स को आधार बनाता है, जो पर्यटक अपने दोस्तों के साथ या अकेले घूमने जाते हैं और जिस शहर में रहते हैं, वहां की खासियतें, बुरे अनुभव, यादगार पल और सर्विस को लेकर जो राय या समीक्षा देते हैं। उसके आधार पर चयन किया जाता है। पोर्टल ने 1.1 मिलियन टूरिस्ट की समीक्षा के आधार पर पुरस्कारों की घोषणा की है।
मुस्टैश की खासियतें
मेहरानगढ़ जाने वाली मुख्य सड़क पर शिप हाउस के नजदीक यह हॉस्टल है। 48 बेड हैं, जहां टूरिस्ट रहते हैं। सामने मस्जिद और पास में मंदिर। पर्यटकों की भारत की यही विभिन्नता पसंद आती है। दिनभर यहां अजान व घंटियों की आवाज आती है। नेट से लेकर फूड, बेड से लेकर क्लीनिंग आकर्षित करती है। आईटीबीपी के रिटायर्ड डीआईजी डॉ. जीआर चौधरी और विक्रम मिलकर हॉस्टल चला रहे हैं। यह चेन जयपुर बेस्ड हॉस्टल की है।
लाइफस्टाइल डेस्क (संजय पाठक, भिंड). एक समय कन्या भ्रूण हत्या के लिए बदनाम रहे भिंड जिले में अब बेटियों के प्रति सोच बदल रही है। जिन गांवों में बेटियों को घर से निकलने की आजादी नहीं थी, आज वहां की बेटियां पुलिस और प्रशासन में पुरुषों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर कार्य कर रही हैं। यही वजह है कि वर्ष 2011 की जनगणना में भिंड जिले का लिंगानुपात जहां प्रदेश में सबसे कम 1000 बेटों पर 855 बेटियों का था, वह आज बढ़कर 1000 बेटों पर 929 बेटियों तक पहुंच गया है। राष्ट्रीय बालिका दिवस के मौके पर जानिए ऐसे गांव की कहानी जो कभी भ्रूण हत्या के लिए बदनाम थे।
बंथरी : त्रिवेणी सब इंस्पेक्टर बनीं, उन्हें देखकर आज इस गांव की 10 बेटियां पुलिस में
लिंगानुपात के लिए लंबे समय बदनाम रहे बंथरी गांव की 10 बेटियां पुलिस सेवा में कार्यरत हैं। पहले गांव के लोगों का मानना था कि बेटियां घर में ही अच्छी लगती हैं। लेकिन, गांव की बेटी त्रिवेणी राजावत ने सब इंस्पेक्टर बनकर इस सोच को बदल दिया। इसके बाद एसआई कीर्ति राजावत, सब इंस्पेक्टर शिवानी जादौन, आरक्षक रुचि राजावत, दीपा राजावत, प्रेमलता राजावत, संध्या राजावत, मनीषा राजावत, हिमानी राजावत, सोनम राजावत ने त्रिवेणी को अपनी प्रेरणा मानते हुए पुलिस ज्वाइन की।
हवलदार सिंह का पुरा : पांच में से तीन बेटियां पुलिस में
हवलदार सिंह का पुरा गांव में सुरेंद्र सिंह तोमर की पांच बेटियां और दो बेटे हैं। बड़ी बेटी रानी श्योपुर में प्रधान आरक्षक, दूसरी नीतू ग्वालियर और तीसरी सीता दतिया में आरक्षक हैं। इनकी दो छोटी बहनें भी पुलिस की तैयारी कर रही हैं। सुरेंद्र बताते हैं कि दस साल पहले परिवार के लोग ही बेटियों के मुंह में तंबाकू रखकर मार देते थे। लेकिन मेरी बेटियों की सफलता को देखते हुए लोग अपनी बेटियों को पढ़ाते हैं।
ग्वालियर-चंबल में लिंगानुपात के आंकड़े
जिला | 2018 | 2019 |
भिंड | 917 | 929 |
दतिया | 908 | 901 |
अशाेकनगर | 931 | 927 |
ग्वालियर | 910 | 877 |
श्योपुर | 947 | 948 |
मुरैना | 900 | 891 |
शिवपुरी | 957 | 915 |
(लिंगानुपात प्रत्येक एक हजार बेटों पर बेटियों की संख्या है।)
लाइफस्टाइल डेस्क. इस कॉलम में मुंबई के नानावटी हॉस्पिटल मेंलाइफस्टाइल विभाग की हेडडॉ. उषा किरण सिसोदियासे जानिए हेल्थ से जुड़ी समस्याओं के सवालों के जवाब।
मैं रोज सलाद खाती हूं। मुझे तरह-तरह की ड्रेसिंग के साथ सलाद खाना पसंद है। कृपया इसे खाने का सही तरीका बताइए?-ममता कुशवाहा,भोपाल
एक्सपर्ट एडवाइज- डाइट करने वाले लोग अधिक मात्रा में फल व सब्जियां खाते हैं। मगर इन्हें किस तरह से और किस रूप में खाते हैं, ये भी मायने रखता है। जैसे फ्रिज में रखी कई दिन की सब्जियों या फल से ज्यादा विटामिंस या मिनरल्स ताजे फलों में होते हैं। वहीं सलाद में यदि आप ड्रेंसिंग के लिए नमक या किसी तरह की सॉस जैसे मैयोनीज या शुगर डालते हैं तो फलों और सब्जियों के आधे से ज्यादा पोषक तत्व खत्म हो जाते हैं। इसलिए सलाद बिना ड्रेसिंग के ही खाएं।
मैं डायबिटीज का पेशेंट हूं। कई बार मेरी शुगर काफी बढ़ जाती है। इसे नियंत्रित करने के उपाय क्या हैं? -शरद अग्रवाल, ग्वालियर
एक्सपर्ट एडवाइज- आप हाई ग्लाइसेमिक इंडेक्स वाली चीजों से बचें क्योंकि ये जल्दी ग्लूकोज में बदल जाती हैं। इससे शरीर में शुगर बढ़ जाता है। ऐसे में इंसुलिन को शुगर कंट्रोल करने के लिए काफी मेहनत करनी पड़ती है। इनमें प्रमुख है मैदा, सूजी, सफेद चावल, व्हाइट ब्रेड, नूडल्स, पिज्जा, बिस्किट, तरबूज, अंगूर, सिंघाड़ा, चीकू, केला आदि। आप व्हाइट राइस के बजाय ब्राउन राइस खाएं। आप चावल को सीमित मात्रा में खा सकते हैं। हालांकि चावल का मांड निकालकर खाना सही नहीं है, क्योंकि इससे सारे विटामिंस और मिनरल्स निकल जाते हैं।
मेरा पांच साल का बेटा है। वह रोज नूडल्स खाने की जिद करता है। इससे क्या नुकसान हो सकते हैं?- अक्षिता माथुर, इंदौर
एक्सपर्ट एडवाइज- यूनिसेफ की रिपोर्ट में कहा गया है कि लगातार नूडल्स खाने से बच्चों में आयरन की कमी हो रही है। इसके कारण उन्हें नई चीजें सीखने में दिक्कतों का सामना करना पड़ सकता है। साथ ही इसे ज्यादा खाने से शरीर में आयरन की कमी हो जाती है। नूडल्स में हाई फैट और सॉल्ट कंटेंट भी ज्यादा होता है। इसमें कार्बोहाइड्रेट काफी पाया जाता है जिससे शरीर का शुगर लेवल बढ़ जाता है और कम उम्र में ही डायबिटीज जैसी गंभीर बीमारियों की आशंका अधिक रहती है। नूडल्स को मैदा से बनाया जाता है तो यह पेट में कब्ज की समस्या बढ़ाता है।
मेरी गर्दन पर झुर्रियां नजर आती हैं। अपनी डाइट में क्या बदवाल करूं कि इस समस्या से निजात मिल सके?- कशिश जैन, रायपुर
एक्सपर्ट एडवाइज- खाने में सब्जियों और फलों के साथ ही संतुलित आहार जरूरी होता है। स्वस्थ त्वचा के लिए आवश्यक खनिज, विटामिंस और एंटी- ऑक्सिडेंट्स लेना चाहिए। मछली और सोया को भी खाने में शामिल करें। दिन में 8-10 गिलास पानी पिएं। एंटीऑक्सीडेंट्स जैसे ग्रीन टी, पालक, अखरोट, बादाम, कीवी, बीन्स, टमाटर आदि खाएं। ये गर्दन की झुर्रियां कम करने में मदद करेंगे। इसके अलावा आप अपनी समस्या के लिए केले और पपीते का मास्क लगा सकते हैं।
© 2012 Conecting News | Designed by Template Trackers - Published By Gooyaabi Templates
All Rights Strictly Reserved.