
चंडीगढ़.वायु प्रदूषण से निपटने के लिए चंडीगढ़ के सेक्टर-27 के दो दोस्त मनोज जेना और नितिन आहलूवालिया ने एयर पॉल्यूशन कंट्रोलर बनाया है। इसका नाम क्षल् रखा है। यह एक संस्कृत शब्द है इसका मतलब टू क्लीन होता है। इसे बनाने में तीन साल में लगे। 30 लाख रुपए लागत आई। 2017 में प्रोडक्ट बनकर तैयार हुआ।
इसे बनाने के लिए एग्जॉस्ट फैन, पाइप, सेंसर, बैटरी, बकेट आदि का इस्तेमाल किया है। 800 स्क्वायर फीट के लिए बने इस सिस्टम की लंबाई 21 फीट व चौड़ाई 2 फीट है। यह सिस्टम जगह के अनुरूप बड़ा या छोटा हो सकता है। इसका टेस्ट चंडीगढ़ पॉल्यूशन टेस्टिंग लेबोरेटरी ने लिया जो सफल रहा। अब इसका पेटेंट लेने की तैयारी है।
पॉल्यूशन से खुद बीमार हुए तब विचार आया
2001 में आए थे चंडीगढ़मनोज जेना और नितिन आहलूवालिया ने बताया, दोनों की दोस्ती 20 साल पुरानी है। हमने महाराष्ट्र के चंद्रपुर के कॉलेज से मैकेनिकल इंजीनियरिंग की। वहां पर पॉल्यूशन ज्यादा होने की वजह से हमें अस्थमा हो गया। पढ़ाई खत्म करने के बाद हम बिजनेस के लिए दिल्ली आए। फिर 2001 में चंडीगढ़। खैर इलाज करवाने के बाद अब हम ठीक हैं, लेकिन दिमाग में पॉल्यूशन को कंट्रोल करने के लिए कुछ न कुछ करने की सोच ली थी। 2018 में हुए सर्वे एन्वायरनमेंट परफॉर्मेंस इंडेक्स के 180 देशों में भारत 177वें पायदान पर था। यह बेहद ही गंभीर समस्या है।
इस तरह काम करता है पॉल्यूशन कंट्रोलर
पॉल्यूशन कंट्रोलर को जहां इंस्टॉल किया जाएगा, वहां के पॉल्यूशन को पहले ऑब्जर्व करेगा। फिर एयर फिल्ट्रेशन का काम शुरू होगा और बची डस्ट को बकेट में रखेगा। यह डस्ट क्ले के रूप में होगी। जिसे फैक्टरी में फ्यूल बनाने के लिए काम में लाया जा सकता है। इंस्टॉल करने के आधे घंटे में एयर क्लीनिंग की प्रक्रिया शुरू हो जाएगी। इससे बढ़ा हुआ तापमान भी कम भी होगा।
एन्वायरनमेंट परफॉर्मेंस इंडेक्स रैंकिंग
टाॅप पांच देश
2018 | 2016 | |
स्विट्जरलैंड | 1st | 16th |
फ्रांस | 2nd | 10th |
डेनमार्क | 3rd | 4th |
माल्टा | 4th | 9th |
स्वीडन | 5th | 3rd |
बाॅटम के पांच देश
2018 | 2016 | |
बुरुंडी | 180th | 168th |
बांग्लादेश | 179th | 173rd |
कांगो | 178th | 171st |
भारत | 177th | 141st |
नेपाल | 176th | 149th |
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