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Saturday, October 3, 2020

डिप्रेशन शरीर के 7 हिस्सों पर असर छोड़ता है, पेट में ऐंठन, सिरदर्द के साथ आंखों की रोशनी भी घट सकती है; ये लक्षण दिखें तो अलर्ट हो जाएं और इन 5 योगासनों से दूर करें डिप्रेशन

कोरोनाकाल में डिप्रेशन के मामले बढ़ रहे हैं। डिप्रेशन का असर सिर्फ दिमाग तक ही सीमित नहीं रहता, यह शरीर के कई हिस्सों को अलग-अलग तरह से नुकसान पहुंचाता है। वैज्ञानिक ये बात साबित कर चुके हैं। जानिए, डिप्रेशन कैसेशरीर के 7 हिस्से में अपना असर छोड़ रहा है और कौन से लक्षण दिखने पर अलर्ट हो जाएं....

कमजोर आंखें : 2010 में हार्वर्ड मेडिकल स्कूल की रिसर्च के मुताबिक, अवसाद की बीमारी आंखों की रोशनी पर भी असर डालती है।
पेट दर्द: हार्वर्ड मेडिकल स्कूल की रिसर्च के अनुसार पेट में ऐंठन, सूजन और मितली होना मानसिक कमजोरी का भी लक्षण हो सकता है।
सिरदर्द: डिप्रेशन के कई लक्षणों में से एक सिरदर्द भी है। हालांकि मन दुखी होना, चिड़चिड़ापन और थकान महसूस होना जैसे लक्षण भी प्रमुख हैं।
शरीर में दर्द : 2018 में साइक्रियाटिक टाइम्स में प्रकाशित शोध बताता है कि अवसाद का पीठ और शारीरिक दर्द से सीधा और गहरा सम्बंध है।
थकावट: बोस्टन के मेसाच्युसेट्स जनरल हॉस्पिटल के मुताबिक, डिप्रेशन से शरीर में थकावट रह सकती है। यह इसका प्रमुख लक्षण।
आहत होना: जनरल ऑफ न्यूरोलॉजिकल सांइस की 2015 की रिपोर्ट के अनुसार, डिप्रेशन से पीड़ित व्यक्ति जल्दी आहत हो जाते हैं।
खराब पाचन : 2011 में प्रकाशित गैस्ट्रोएंट्रोलॉजी एंड हिपैटोलॉजी फ्रॉम बेड टू बेंच शोध के अनुसार अवसाद और गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल पेन का संबंध है।

हर सात में एक भारतीय मेंटल डिसऑर्डर का शिकार
द लैंसेट की एक स्टडी बताती है कि 2017 में 19.73 करोड़ भारतीय मेंटल डिसऑर्डर से जूझ रहे थे। इनमें से 4.57 करोड़ डिप्रेसिव डिसॉर्डर और 4.49 करोड़ लोग घबराहट का शिकार थे। स्टडी के अनुसार, 2017 में हर सात में से एक भारतीय मेंटल डिसऑर्डर से ग्रस्त था। 1990 के बाद से भारत के कुल रोगों के मामलों में मेंटल डिसऑर्डर का अनुपात दोगुना हो गया है।

योग से दूर कर सकते हैं डिप्रेशन

जयपुर के फिटनेस एक्सपर्ट विनोद सिंह बता रहे हैं डिप्रेशन, स्ट्रेस और एंग्जाइटी को दूर करने वाले 5 आसनों के बारे में...

अधोमुख श्वानासन (डाउनवर्ड फेसिंग डॉग पोज)

ऐसे करें

  • पेट के बल लेटें और सांस खींचते हुए पैरों और हाथों के बल शरीर को उठाएं और टेबल जैसा आकार बनाएं।
  • सांस को बाहर निकालते हुए धीरे-धीरे कूल्हों (हिप्स) को ऊपर की तरफ उठाएं। अपनी कोहनियों और घुटनों को सख्त बनाए रखें। ध्यान रखें कि शरीर उल्टे 'वी' के आकार में आ जाए।
  • कंधे और हाथ एक सीध में रखें और पैर कूल्हे की सीध में रहेंगे। टखने बाहर की तरफ रहेंगे।
  • अब हाथों को नीचे जमीन की तरफ दबाएं और गर्दन को लंबा खींचने की कोशिश करें। आपके कान आपके हाथों के भीतरी हिस्से को छूते रहें।
  • इसी स्थिति में कुछ सेकेंड्स तक रुकें और उसके बाद घुटने जमीन पर टिका दें और मेज जैसी स्थिति में​ फिर से वापस आ जाएं।

सेतुबंधासन (ब्रिज पोज)

ऐसे करें

  • योग मैट पर पीठ के बल लेट जाएं और सांसों की गति सामान्य रखते हुए हाथों को बगल में रख लें।
  • अब धीरे-धीरे अपने पैरों को घुटनों से मोड़कर कूल्हों के पास ले आएं। कूल्हों को जितना हो सके फर्श से ऊपर की तरफ उठाएं। हाथ जमीन पर ही रहने दें।
  • कुछ देर के लिए सांस को रोककर रखें। इसके बाद सांस छोड़ते हुए वापस जमीन पर आएं। पैरों को सीधा करें और विश्राम करें।
  • 10-15 सेकेंड तक ​आराम करने के बाद फिर से शुरू करें।

शवासन (कॉर्प्स पोज)

ऐसे करें

  • पीठ के बल लेटकर अपनी आंखें बंद कर लें। दोनों पैरों को अलग-अलग करें और शरीर को रिलैक्स छोड़ दें। हाथ शरीर से थोड़ी दूर रखें और हथेलियों को आसमान की ओर खुला छोड़ दें।
  • धीरे-धीरे शरीर के हर हिस्से की तरफ ध्यान देना शुरू करें। शुरुआत पैरों के अंगूठे से करें। ऐसा करते हुए सांस लेने की गति एकदम धीमी कर दें।
  • धीरे-धीरे आप गहरे मेडिटेशन में जाने लगेंगे। आलस या उबासी आने पर सांस लेने की गति तेज कर दें। शवासन करते हुए कभी भी सोना नहीं चाहिए।
  • सांस लेने की गति धीमी​ लेकिन गहरी रखें। आपका फोकस सिर्फ खुद और अपने शरीर पर ही रहेगा। 10-12 मिनट के बाद, आपका शरीर पूरी तरह से रिलैक्स हो जाएगा।

चक्रासन

ऐसे करें

  • पीठ के बल लेट जाएं और अपने दोनों हाथों और पैरों को सीधा रखें। अब पैरों को घुटने के यहां से मोड़ लें।
  • अब अपने हाथों को पीछे की ओर अपने सिर के पास ले जाकर जमीन से टिका लें।
  • सांस को अंदर की ओर लें और अपने पैरों पर वजन को डालते हुए कूल्हों को ऊपर उठाएं।
  • दोनों हाथों पर वजन को डालते हुए अपने कधों को ऊपर उठाएं और धीरे धीरे अपने हाथों को कोहनी के यहां से सीधे करते जाएं।
  • ध्यान रखें की दोनों पैरों के बीच की दूरी और दोनों हाथों की बीच की दूरी समान होनी चाहिए।
  • इसके बाद अपने दोनों हाथों को अपने दोनों पैरों के पास लाने की कोशिश करें और जितने पास ला सकते है लाएं।

उत्तानासन

ऐसे करें

  • सीधे खड़े हो जाएं और दोनों हाथ कूल्हों पर रख लें। सांस को भीतर खींचते हुए कमर को मोड़ते हुए आगे की तरफ झुकें।
  • धीरे-धीरे कूल्हों को ऊपर की ओर उठाएं और दबाव ऊपरी जांघों पर आने लगेगा। अपने हाथों से टखने को पीछे की ओर से पकड़ें।
  • आपके पैर एक-दूसरे के समानांतर रहेंगे। आपका सीना पैर के ऊपर छूता रहेगा। जांघों को भीतर की तरफ दबाएं और शरीर को एड़ी के बल स्थिर बनाए रखें।
  • सिर को नीचे की तरफ झुकाएं और टांगों के बीच से झांककर देखते रहें। इसी स्थिति में 15-30 सेकंड तक स्थिर बने रहें। जब आप इस स्थिति को छोड़ना चाहें तो पेट और नीचे के अंगों को सिकोड़ें।
  • सांस को भीतर की ओर खींचें और हाथों को कूल्हों पर रखें। धीरे-धीरे ऊपर की तरफ उठें और सामान्य होकर खड़े हो जाएं।


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