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Saturday, December 26, 2020

असम में लिक्वर बेचने वाली 30 महिलाओं ने शुरू किया कपड़े की बुनाई का काम, इज्जत की जिंदगी मिली और खूब हो रहा मुनाफा

असम के नालबाड़ी राज्य से 20 किमी दूर छत्र गांव की वे महिलाएं जो कभी शराब बनाने और बेचने के लिए जानी जाती थी, अब धागा बुनने का काम कर इज्जत की जिंदगी जी रही हैं। वे धागा बुनकर इसे भूटान में बेचती हैं और अच्छी खासी कमाई करती हैं। 2009 तक छत्र को 'लिक्वर डेन' के नाम से जाना जाता था। लेकिन फिर बोडो समुदाय की इन महिलाओं ने धागे की बुनाई का काम शुरू किया। अब इस काम में गांव की कई लड़कियां और महिलाएं दक्ष हैं।

इन महिलाओं को ग्राम्य विकास मंच नामक एक एनजीओ धागा बुनने और कपड़े सीने की ट्रेनिंग देता है। सबसे पहले छत्र से ये ट्रेनिंग पद्मा बोरो नामक एक महिला ने ली। उसने अन्य 30 महिलाओं को भी ये काम करने के लिए प्रोत्साहित किया। यहां रहने वाली अधिकांश महिलाएं विधवा हैं या फिर कई अविवाहित लड़कियां भी ये काम करके आत्मनिर्भर बनी हैं।

नॉर्थ इस्टर्न डेवलपमेंट फायनेंस लिमिटेड ने इन महिलाओं को कोकराझार ले जाकर उन बुनकरों से मिलवाया जो सालों से बुनाई का काम कर रहे हैं। यहां आकर इन महिलाओं को ये भी समझाया गया कि मार्केट की डिमांड क्या है। वहां से आने के बाद फायनेंस लिमिटेड ने इन्हें आठ लूम उपलब्ध कराए। एनजीओ ने इनके लिए शेड बनवाया जहां ये आराम से अपना काम करती हैं। यहां मेखला चादर, टॉवेल, बोडो महिलाओं द्वारा पहनी जाने वाली पारंपरिक पोशाक और भूटान में पहने जाने वाले ट्रेडिशनल कपड़ों की बुनाई की जाती है। इस काम को करते हुए पिछले साल इन महिलाओं को 80,000 का फायदा हुआ था।



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30 women selling liquor in Assam started weaving clothes, got a life of dignity and earning huge profits


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