कोरोना वायरस के साथ जिंदगी को सामान्य करने की कोशिश की जा रही है। इस बीच कई राज्यों में संक्रमण के मामले बढ़ रहे हैं। मैक्स हॉस्पिटल के कार्डियोलॉजिस्ट डॉ. बलबीर सिंह कहते हैं, कोरोना के कई मरीजों में अजीबोगरीब स्थिति दिख रही है। कोरोना के मरीजों में क्या-क्या बदलाव दिख रहे हैं, जानिए डॉ. बलबीर सिंह से....
कोरोना के ऐसे मामले पहेली बने
कई बार कोरोना के मरीज का ऑक्सीजन लेवल अचानक गिर जाता है। इस पर डॉ. बलबीर कहते हैं, यह वायरस इतना अजीब है कि इसको समझना बहुत मुश्किल है। कई बार हमने देखा है कि इंसान पॉजिटिव आया, और उसमें लक्षण भी नहीं आए और वो ठीक भी हो गया।
दूसरा है, जिसे लक्षणों के आधार पर वेंटीलेटर की जरूरत पड़ जाती है। तीसरा मरीज ऐसा है, जो आराम से घर पर होम आइसोलेशन में है, लेकिन अचानक ऑक्सीजन लेवल इतना नीचे चला जाता है कि एक घंटे में उसकी मौत हो जाती है। इसलिए कोमोरबिडिटी के मरीजों को अस्पताल में तुरंत भर्ती किया जाता है।
कोरोना के मरीज अलग-अलग समय में होते हैं ठीक, ऐसा क्यों?
कोरोना के दो तरह के मरीज होते हैं। पहले, जिनमें या तो लक्षण नहीं दिखते हैं, या बहुत कम लक्षण दिखते हैं, वो 10 से 20 दिन में ठीक हो जाते हैं। दूसरे प्रकार के मरीज वो हैं, जिनको सांस में तकलीफ इतनी ज्यादा होती है कि वेंटिलेटर की जरूरत पड़ जाती है। ऐसे मरीजों की स्थिति गंभीर हो जाती है। उनको ठीक होने में महीनों भी लग सकते हैं। यह मत सोचिए कि वेंटिलेटर पर मरीज ठीक हो जाएगा। कई बार मरीज ठीक नहीं भी होते हैं।
ऑक्सीमीटर का इस्तेमाल कब करें
ऑक्सीमीटर का इसका प्रयोग तभी करना चाहिए, जब आपके अंदर कोरोना के लक्षण हैं, या फिर पॉजिटिव टेस्ट आने पर करना चाहिए। यह उन लोगों के लिए जरूरी है, जिनको सांस की बीमारी रहती है।
टेस्ट न कराने से बढ़ सकता है खतरा
डॉ बलबीर कहते हैं कि हमारे देश में कई पढ़े-लिखे लोग भी टेस्ट कराने से कतरा रहे हैं। उनको लगता है कि पॉजिटिव आने पर घर के बाहर होम आईसोलेशन स्टीकर लगा दिया जाएगा, तो लोग उनसे बात नहीं करेंगे। जबकि सभी को यह समझना चाहिए कि समय पर पता चल जाने से समय पर इलाज मिल जाएगा। टेस्ट नहीं कराने से आप अपने-आप को जोखिम में डाल रहे हैं।
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