कोरोना कैसे फैला अब तक कोई भी मॉडल इसकी सटीक भविष्यवाणी नहीं कर पाया है। देश को सिर्फ महामारी से बचाव के तरीकों पर फोकस करने की जरूरत है। यह कहना है आईसीएमआर के डायरेक्टर जनरल डॉ. बलराम भार्गव का। डॉ. बलराम के मुताबिक, जांच, वायरस की ट्रैकिंग और इलाज ही महामारी को रोकने का बेसिक बचाव है।
गणितिय मॉडल सिर्फ अलर्ट करते हैं
डॉ. बलराम ने एक इंटरव्यू में कहा, कोई भी गणितिय मॉडल यह नहीं बता सकता कि कोरोना के फैलने के लिए कौन-कौन से फैक्टर जिम्मेदार हैं। ऐसे मॉडल से सिर्फ ये आइडिया दिया जा सकता है कि देश के लिए सबसे अच्छी और बुरी स्थिति क्या हो सकती है ताकि हेल्थ इंफ्रास्ट्रक्चर को बेहतर बनाने की तैयारी रखी जा सके।
क्या होता है गणितिय मॉडल
गणितिय मॉडल का प्रयोग रिसर्च में किया जाता है। इसकी मदद से शोधकर्ता बताते हैं कि किसी चीज का कितना प्रभाव भविष्य में पड़ सकता है। उसके व्यवहार में कितना बदलाव आ सकता है। ये अनुमान पर आधारित होते हैं। कोरोना के मामले में भी शोधकर्ताओं ने अपनी रिसर्च में अलग-अलग गणितीय मॉडल का प्रयोग किया, लेकिन अब तक कोई भी मॉडल सटीक जानकारी नहीं दे पाया है।
इतने मॉडल फेल हुए
देश में 28 जून को 2000 से अधिक कोविड-19 के नए मामले सामने आए और आंकड़ा 546,771 तक पहुंच गया। रोजाना संक्रमण केबढ़ते मामलों ने कोरोना की भविष्यवाणी करने वाले गणितीय मॉडल को गलत साबित किया है। कई मॉडल ने भविष्यवाणी की थी कि जुलाई कोरोना का पीक सीजन होगा। वहीं, कुछ मॉडल्स के मुताबिक, देश में मई-जून तक मामले थम जाएंगे। इसके अलावा कुछ में यह भी कहा गया था कि भारत में कोरोना का ग्राफ घटेगा। ये सारी भविष्यवाणी फेल साबित हुई हैं।
वायरस कब कैसे बदलेगा, समझना मुश्किल
नेशनल हेल्थ अथॉरिटी और आयुष्मान भारत-प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना के चीफ एग्जीक्यूटिव इंदु भूषण के मुताबिक, गणितीय मॉडल हमेशा मौजूद डाटा के आधार पर अनुमान लगाते हैं। महामारी से जुड़े कई ऐसे फैक्टर हैं जो अज्ञात हैं। कोरोनावायरस किसी खास परिस्थिति में कैसे व्यवहार करके, यह पूरी तरह से नहीं समझा जा सकता।
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