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Friday, July 31, 2020

कोरोना वायरस के बारे में ये बात शुरू से कही जा रही है कि कमजोर इम्यूनिटी वाले लोगों पर इसके संक्रमण का ज्यादा खतरा होता है, इसलिए हमें अपनी इम्यूनिटी बनाए रखने और इसे बढ़ाने के लिए खानपान पर ध्यान देना चाहिए।

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रक्षाबंधन का पावन पर्व सोमवार, 3 अगस्त को मनाया जाएगा। अगर आप सोच रही हैं कि इस रक्षाबंधन मीठे में क्या बनाया जाए तो आप मीठे में बिहार की पारंपरिक मिठाई चंद्रकला बना सकती हैं।

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सोमवार, 3 अगस्त को रक्षाबंधन का पावन त्योहार मनाया जाएगा। त्योहार में लगभग हर घर में मिठाई बनती है या बाजार से लाई जाती है।

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इस समय बरसात का मौसम चल रहा है और बरसात के मौसम में खान-पान का विशेष ध्यान रखना पड़ता है। अगर आप ये सोच रही हैं कि इस रक्षाबंधन भाई को क्या खिलाया जाए तो आप अपने भाई को साबुदाने से बनी चीजें खिला सकती हैं।

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भारत में रविवार, 2 अगस्त को फ्रेंडशिप डे मनाया जाएगा। भारत में हर साल अगस्त महीने के पहले रविवार को फ्रेंडशिप डे मनाया जाता है। एक सच्चा दोस्त जीवन की हर परिस्थिति में साथ निभाता है। इस दिन को दोस्त को गिफ्ट भी दिया जाता है।

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रुबीना दिलाइक (Rubina Dilaik) ने इससे पहले एक वीडियो शेयर किया था, जिसमें वो पहाड़ी...

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ईद (Eid-Ul-Adha) का त्योहार देश में बड़े ही धूम-धाम से मनाया जा रहा है.  ईद-उल-अजहा...

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Gunjan Saxena Trailer: जाह्नवी कपूर (Janhvi Kapoor) की फिल्म के ट्रेलर में देखा जा सकता है कि कैसे...

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बॉलीवुड एक्टर सुशांत सिंह राजपूत (Sushant Singh Rajput) ने 34 वर्ष की उम्र में दुनिया को...

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रक्षाबंधन भाई- बहन का पवित्र त्योहार है। यह पर्व भाई- बहन के प्यार भरे रिश्ते का प्रतीक है। इस पावन दिन बहन अपने भाई की कलाई में राखी बांधती है और लंबी उम्र की कामना करती है।

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फूलों की घाटी उत्तराखंड में गढ़वाल क्षेत्र के चमोली जिले में स्थित एक राष्ट्रीय उद्यान है। यह खूबसूरत घाटी विश्व धरोहर में भी शामिल है। इस जगह की खूबसूरती देखते ही बनती है। आज हम आपको इस खूबसूरत जगह के बारे में बताएंगे।

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3 अगस्त, सोमवार को रक्षाबंधन का पावन पर्व मनाया जाएगा। इस दिन बहन अपने भाई की कलाई में राखी बांधती है और भाई को कुछ मीठा भी खिलाती है।

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इस बात की जानकरी  भाग्यश्री (Bhagyashree) ने अपने इंस्टाग्राम पोस्ट के जरिए दी है....

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बॉलीवुड के शहंशाह अमिताभ बच्चन (Amitabh Bachchan) हमेशा ही सोशल मीडिया पर एक्टिव रहते...

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यूलिया वंतूर (Iulia Vantur) इन दिनों सलमान खान (Salman Khan) के फार्म हाउस पर अपना वक्त बिता...

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बॉलीवुड एक्टर सुशांत सिंह राजपूत (Sushant Singh Rajput) ने 34 वर्ष की उम्र में दुनिया को...

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सुहाना खान (Suhana Khan) को अपने स्टाइल और ग्लैमरस अंदाज के लिए पहचाना जाता है....

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सूंघने की क्षमता प्रभावित होना भी कोरोना संक्रमण का लक्षण है। अब हार्वर्ड मेडिकल स्कूल के वैज्ञानिकों ने दावा किया है कि संक्रमण के कारण किसी मरीज की सूंघने की क्षमता हमेशा के लिए खत्म नहीं हो सकती है।

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केरल के कोल्लम में रहने वाली 105 साल की असमा बीवी 3 माह तक कोरोना से लड़ने के बाद घर लौटी हैं। असमा केरल की सबसे उम्रदराज कोरोना सर्वाइवर हैं। उन्हें 20 अप्रैल को अस्पताल में भर्ती कराया गया था। असमा बीवी को कोरोना का संक्रमण उनकी बेटी से हुआ था।

बेटी का कहना है कि पूरे इलाज के दौरान मां ने कोरोना का डटकर मुकाबला किया। उन्होंने हिम्मत नहीं हारी। उम्र अधिक होने के कारण वह पहले ही कई तरह की दिक्कतों से जूझ रही थीं, इस दौरान डॉक्टर्स में लगातार नजर बनाए रखी।

स्वास्थ्य मंत्री ने उनके जज्बे की तारीफ की
असमा बीवी ने जिस तरह कोरोना का डटकर मुकाबला किया है, उसके लिए केरल की स्वास्थ्यमंत्री केके शैलजा ने उनकी तारीफ की है। स्वास्थ्यमंत्री ने कहा, उन्होंने इस उम्र में जो जज्बा दिखाया वह काबिलेतारीफ है। स्वास्थ्यमंत्री ने डॉक्टर्स, नर्स और हेल्थ वर्कर्स का भी शुक्रिया अदा किया।

केरल में बुधवार को कोरोना के 903 मामले सामने आए। इसमें हेल्थ वर्कर भी शामिल हैं। संक्रमितों का आंकड़ा 21,797 तक पहुंच गया है।

अप्रैल में केरल के थॉमस बने थे देश के सबसे उम्रदराज कोरोना सर्वाइवर
असमा बीवी से पहले सबसे उम्रदराज कोरोना सर्वाइवर केरल के 93 साल के थॉमस अब्राहम रहे। थॉमस ने अप्रैल की शुरुआत में कोरोना को मात दी थी और देश के सबसे उम्रदराज कोरोना सर्वाइवर बने थे। इसके बाद देश के अलग-अलग हिस्सों में अधिक उम्र वाले कोरोना सर्वाइवर के मामले सामने आए।

93 साल के थॉमस अब्राहम अपनी 88 वर्षीय पत्नी मरियम्मा के साथ।

अब्राहम एक किसान हैं। उनके साथ उनकी 88 वर्षीय पत्नी मरियम्मा का इलाज कोट्‌टायम मेडिकल कॉलेज में हुआ था।



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A 105-year-old woman becomes Kerala's oldest COVID-19 survivor 105-year-old Asma Biwi, who defeated Corona


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केरल के कोल्लम में रहने वाली 105 साल की असमा बीवी 3 माह तक कोरोना से लड़ने के बाद घर लौटी हैं। असमा केरल की सबसे उम्रदराज कोरोना सर्वाइवर हैं। उन्हें 20 अप्रैल को अस्पताल में भर्ती कराया गया था। असमा बीवी को कोरोना का संक्रमण उनकी बेटी से हुआ था।

बेटी का कहना है कि पूरे इलाज के दौरान मां ने कोरोना का डटकर मुकाबला किया। उन्होंने हिम्मत नहीं हारी। उम्र अधिक होने के कारण वह पहले ही कई तरह की दिक्कतों से जूझ रही थीं, इस दौरान डॉक्टर्स में लगातार नजर बनाए रखी।

स्वास्थ्य मंत्री ने उनके जज्बे की तारीफ की
असमा बीवी ने जिस तरह कोरोना का डटकर मुकाबला किया है, उसके लिए केरल की स्वास्थ्यमंत्री केके शैलजा ने उनकी तारीफ की है। स्वास्थ्यमंत्री ने कहा, उन्होंने इस उम्र में जो जज्बा दिखाया वह काबिलेतारीफ है। स्वास्थ्यमंत्री ने डॉक्टर्स, नर्स और हेल्थ वर्कर्स का भी शुक्रिया अदा किया।

केरल में बुधवार को कोरोना के 903 मामले सामने आए। इसमें हेल्थ वर्कर भी शामिल हैं। संक्रमितों का आंकड़ा 21,797 तक पहुंच गया है।

अप्रैल में केरल के थॉमस बने थे देश के सबसे उम्रदराज कोरोना सर्वाइवर
असमा बीवी से पहले सबसे उम्रदराज कोरोना सर्वाइवर केरल के 93 साल के थॉमस अब्राहम रहे। थॉमस ने अप्रैल की शुरुआत में कोरोना को मात दी थी और देश के सबसे उम्रदराज कोरोना सर्वाइवर बने थे। इसके बाद देश के अलग-अलग हिस्सों में अधिक उम्र वाले कोरोना सर्वाइवर के मामले सामने आए।

93 साल के थॉमस अब्राहम अपनी 88 वर्षीय पत्नी मरियम्मा के साथ।

अब्राहम एक किसान हैं। उनके साथ उनकी 88 वर्षीय पत्नी मरियम्मा का इलाज कोट्‌टायम मेडिकल कॉलेज में हुआ था।



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कियारा आडवाणी (Kiara Advani) को 'कबीर सिंह' के उनके को-एक्टर शाहिद कपूर ने भी जन्मदिन...

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स्लीप एपनिया यानी नींद से जुड़ी एक गंभीर बीमारी। स्लीप एपनिया की स्थिति में हमारी नींद कई बार टूटती है। कई स्थितियों में तो सांस रुक भी सकती है। स्लीप एपनिया की स्थिति में हम कई बार करवटें बदलते रहते हैं। आप जानकर हैरान होंगे- देश की 13 फीसदी आबादी ऑब्स्ट्रक्टिव स्लीप एपनिया से पीड़ित है। पुरुषों में 19.7%, वहीं महिलाओं में यह आंकड़ा 7.4% है। स्लीप एपनिया की स्थिति में एक घंटे में तीस या इससे ज्यादा बार भी सांस का रुकना या करवटें बदलने जैसी स्थिति पैदा हो सकती है। यह एक ऐसा विकार है, जिससे नींद से जुड़ी और समस्याएं भी खड़ी हो सकती हैं।

उदाहरण के तौर पर- शोध बताते हैं, यदि आपकी रात की नींद एक घंटे भी कम हो जाए तो अगले दिन आपकी अलर्टनेस 32 फीसदी तक कम हो जाएगी। स्लीप एपनिया को समझने से पहले हमें, नींद को समझना जरूरी है। दरअसल, हमारी नींद तीन से चार चक्रों में पूरी होती है। हर चक्र लगभग पांच चरणों से गुजरता है। चौथा चरण सबसे गहरी नींद का होता है। पांचवां चरण REM या रैपिड आई मूवमेंट का चरण होता है। यह वो चरण होता है, जिसमें हम सपने भी देखते हैं। नींद के वक्त ही, हमारे शरीर में ग्रोथ हार्मोन प्रवाहित होते रहते हैं। जिनसे शरीर की दैनिक क्रियाएं होती हैं। नींद के दौरान शरीर का तापमान कम होता है। हृदयगति एवं ब्लड प्रेशर में कमी आती है जिससे दिल को आराम मिलता है।

स्लीप एपनिया में कई बार नींद टूटती है। जिससे इन सभी प्रक्रियाओं में खलल पड़ता है। अमेरिका की नेशनल लाइब्रेरी ऑफ मेडिसिन के एक शोध के अनुसार, कोविड-19 के इस दौर में स्लीप एपनिया की शिकायत और बढ़ सकती है। शिरीष जौहरी, ईएनटी विशेषज्ञ, नेशनल हेल्थ केयर ग्रुप, सिंगापुर बता रहे हैं स्लीप एपनिया है क्या और यह किस तरह से हमारे शरीर पर प्रभाव डालता है।

6 सवाल-जवाब से समझिए स्लीप एपनिया और उससे जुड़े खतरों के बारे में

#1) स्लीप एपनिया आखिर है क्या?
यह एक तरह का स्लीप डिसऑर्डर है। दरअसल, कुछ लोगों में पीठ के बल लेटने से गले की मुक्त पेशियां गुरुत्व के प्रभाव से गले के पिछले हिस्से की ओर फैल जाती हैं। और नींद की शिथिलता में श्वसन मार्ग के बीचों-बीच खिंच जाती हैं। इस खिंचावट से हवा का प्रवाह आंशिक या पूर्ण रूप से बाधित हो सकता है। इससे फेफड़ों में ऑक्सीजन की कमी हो जाती है। मस्तिष्क इस कमी को दस सेकंड तक ही सह सकता है। ऐसी स्थिति में दिमाग नींद को तोड़ देता है। जैसे ही नींद टूटती है- श्वसन मार्ग फिर खुल जाता है। बार-बार नींद आने और टूटने के इस चक्र को स्लीप एपनिया कहते हैं।

#2) इससे जुड़े प्रमुख लक्षण क्या हैं?

  • खर्राटे लेना इसका एक प्रमुख लक्षण हो सकता है। सोने में कठिनाई हो सकती है। मुंह सूखता है।
  • नींद के दौरान कुछ समय के लिए सांस रुक जाना।
  • सांस में कमी के साथ अचानक नींद का खुल जाना।
  • सुबह के समय सिर में दर्द महसूस होना। दिन में ज्यादा नींद का आना।
  • चूंकि, स्लीप एपनिया आपकी पूरी स्लीप साइकल को बिगाड़ देता है। ऐसे में चिड़चिड़ाहट होने लगती है। साथ ही एकाग्रता घटने लगती है।

#3) स्लीप एपनिया के कितने प्रकार हैं?

  • सेंट्रल : यह तब होता है जब हमारा मस्तिष्क सांस लेने वाली मांसपेशियों को निर्देश नहीं दे पाता। इसके चलते सांस लेने की प्रक्रिया अवरुद्ध होने लगती है।
  • ऑब्स्ट्रक्टिव : मस्तिष्क मांसपेशियों को सांस लेने के निर्देश तो देता है, लेकिन वायुमार्ग में किसी प्रकार की रुकावट के कारण मांसपेशियां सांस लेने में असफल हो जाती हैं।
  • मिक्स्ड : जब सेंट्रल और ऑब्स्ट्रक्टिव स्लीप एपनिया दोनों एक साथ हो जाएं तो इसे मिक्स्ड स्लीप एपनिया कहा जाता है। यह एक गंभीर स्थिति है।

#4) स्लीप एपनिया का इलाज क्या है
ऑब्सट्रक्टिव स्लीप एपनिया के लिए सबसे बेहतर उपचार सीपीएपी (कांटीनुअस पॉजटिव एयरवेज प्रेशर) थेरेपी को माना जाता है। इसकी मदद से सांस लेने वाले वायुमार्गों को खुला रखने के लिए एयर प्रेशर का स्तेमाल किया जाता है। यह काफी सस्ता और प्रभावी है। हालांकि इसके स्थायी उपचार के लिए सर्जरी का उपयोग किया जाता है, लेकिन यह बहुत ही खर्चीला होता है। इसमें कुछ जोखिम भी हो सकते हैं।

#5) स्लीप एपनिया के खतरे क्या हैं?
स्लीप एपनिया एक खतरनाक स्वास्थ्य समस्या है। इससे खतरनाक ह्रदय रोग और लकवे जैसी गंभीर बीमारियां आपके शरीर पर हमला कर सकती हैं।

#6) खर्राटों का इससे क्या संबंध हैं?
खर्राटे स्लीप एपनिया का लक्षण हो सकते है लेकिन यह स्लीप एपनिया के बगैर भी हो सकते हैं। खर्राटों का होना प्राकृतिक है।

77 मिनट की ही गहरी नींद ले पाते हैं भारतीय

गहरी नींद के मामले में भारतीय सबसे ज्यादा पिछड़े हैं। पूरी रात में औसतन 77 मिनट की गहरी नींद ले पाते हैं। सिंगापुर, पेरू और हॉन्गकॉन्ग के लोग भी सबसे कम सोने वाले लोगों की लिस्ट में शामिल हैं। कम सोने से भारतीयों में स्लीप डिसऑर्डर आम है। ये आंकड़े फिटबिट द्वारा 1 अगस्त 2018 से 31 जुलाई 2019 के बीच किए गए अध्ययन के अनुसार।

खतरा सबसे कम नींद लेने वालों में भारतीयों का स्थान दुनिया में दूसरा

फिटबिट द्वारा 18 देशों में अध्ययन के अनुसार कम नींद के मामले में भारतीय दूसरे नंबर पर हैं। एक भारतीय औसतन 7 घंटे और 1 मिनट की नींद ले पाता है जबकि हमसे भी कम 6 घंटे 41 मिनट की नींद जापानी लेते हैं।



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Coronavirus and Sleep Apnea and symptoms | What is Sleep Apnea? Know What Are The Waning Signs Causes Of Sleep Apnea


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देश में कोरोना के मामले बढ़ रहे हैं। इसकी एक वजह यह भी है कि देश में जांच का दायरा बढ़ रहा है। कोविड-19 की जांच के लिए कई तरह के टेस्ट किए जा रहे हैं। लेकिन ज्यादातर लोग इन जांच में फर्क नहीं समझ पा रहे हैं। जैसे आरटी- पीसीआर, रैपिड एंटीजन टेस्ट और ट्रू नेट टेस्ट में क्या अंतर यह कैसे समझें। जानिए कोरोना की कौन सी जांच कब कराएं...


#1) आरटी- पीसीआर टेस्ट
क्या है :
कोरोना वायरस की जांच का तरीका है। इसमें वायरस के आरएनए की जांच की जाती है। आरएनए वायरस का जेनेटिक मटीरियल है।
तरीका क्या है : नाक एवं गले के तालू से स्वैब लिया जाता है। ये टेस्ट लैब में ही किए जाते हैं।
रिजल्ट आने में कितना समय लगता है : 12 से 16 घंटे
एक्यूरेसी कितनी है : टेस्टिंग की इस पद्धति की विश्वसनीयता लगभग 60% है। कोरोना संक्रमण के बाद भी टेस्ट निगेटिव आ सकता है। मरीज को लक्षणिक रूप से भी देखा जाना जरूरी है।

#2) रैपिड एंटीजन टेस्ट (रैट)
क्या है :
कोरोना संक्रमण के वायरस की जांच की जाती है।
तरीका क्या है : नाक से स्वैब लिया जाता है। वायरस में पाए जाने वाले एंटीजन का पता चलता है।
रिजल्ट आने में कितना समय लगता है : 20 मिनट
एक्यूरेसी कितनी है : अगर टेस्ट पॉजिटिव है तो इसकी विश्वसनीयता लगभग 100% है। मगर 30-40 % मामलों में यह निगेटिव रह सकता है। उस स्थिति में आरटी-पीसीआर टेस्ट किया जा सकता है।

#3) ट्रू नेट टेस्ट
क्या है : ट्रू नेट मशीन के द्वारा न्यूक्लिक एम्प्लीफाइड टेस्ट किया जाता है। अभी इस मशीन से टीबी व एचआईवी संक्रमण की जांच की जाती है। अब कोरोना का स्क्रीन टेस्ट किया जा रहा है।
तरीका क्या है : नाक या गले से स्वैब लिया जाता है। इसमें वायरस के न्यूक्लियिक मटीरियल को ब्रेक कर डीएनए और आरएनए जांचा जाता है।
रिजल्ट आने में कितना समय लगता है : तीन घंटे

एक्यूरेसी कितनी है : 60 से 70 % मरीजों में कोरोना के संक्रमण की संभावना को बताता है। निगेटिव होने पर आरटी-पीसीआर किया जा सकता है।

#4) एंटीबॉडी टेस्ट
क्या है : यह शरीर में पूर्व में हुए कोरोना वायरस के संक्रमण की जांच के लिए किया जाने वाला टेस्ट है। संक्रमित व्यक्ति का शरीर लगभग एक सप्ताह बाद लड़ने के लिए एंटीबॉडी बनाता है। 9वें दिन से 14वें दिन तक एंटीबॉडी बन जाती है।
तरीका क्या है : खून का सैंपल लेकर किया जाता है।
रिजल्ट आने में कितना समय लगता है : एक घंटा
एक्यूरेसी कितनी है : कोरोना वायरस की मौजूदगी का सीधा पता नहीं चलता। केवल एंटीबॉडी की उपस्थिति की जानकारी मिलती है। इससे यह पता चलता है कि व्यक्ति को कभी इंफेक्शन हो चुका है। संक्रमण बहुत हल्का होने पर कभी कभी एंटीबॉडी टेस्ट में नहीं पाई जाएगी।



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Coronavirus Testing Types | Coronavirus Disease Antibody Antigen Testing; Know What are the different types of COVID Test? (Complete Guide with Details)


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बताया जा रहा है कि 21 से ज्यादा वैक्सीन क्लिनिकल ट्रायल की फेज में हैं, जिनमें से पांच वैक्सीन तीसरे यानी आखिरी चरण में हैं। ऐसे में उम्मीद की जा रही है कि जल्द ही कोरोना का टीका हमारे लिए उपलब्ध होगा। लेकिन क्या यह काफी होगा?

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अनूप जलोटा का जन्म 29 जुलाई 1953 को नैनीताल में हुआ. 'बिग बॉस 12' में अनूप जलोटा (Anup Jalota)...

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पश्चिम बंगाल सरकार द्वारा राज्य में फिल्मों की शूटिंग की मंजूरी दिए जाने के...

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बॉलीवुड एक्टर सुशांत सिंह राजपूत (Sushant Singh Rajput) और एक्ट्रेस जैकलिन फर्नांडीस...

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गुरुवार को आई एक स्टडी रिपोर्ट में दावा किया गया है कि व्यस्कों की तुलना में बच्चे अधिक संक्रमण फैला सकते हैं, खासकर पांच साल से छोटे बच्चे, जिनमें वायरस के 100 गुना अधिक होने की संभावना रहती है। 

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प्रीति जिंटा (Preity Zinta) वीडियो में कह रही हैं कि ये देखों दोस्तों हमारा अफना किचन...

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Raat Akeli Hai Review: 'रात अकेली है (Raat Akeli Hai)' की कहानी एक रसूखदार परिवार की है. जिसके मुखिया...

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Thursday, July 30, 2020

भारत में इस साल 2 अगस्त को मित्रता दिवस मनाया जाएगा। भारत में हर साल अगस्त के पहले रविवार को फेंड्रशिप डे मनाया जाता है। आपको बता दें 30 जुलाई, गुरुवार को इंटरनेशनल फ्रेंडशिप डे मनाया गया था।

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सोमवार, 3 अगस्त को रक्षाबंधन का पावन पर्व मनाया जाएगा। रक्षाबंधन भाई-बहन के प्रेम और स्नेह का पवित्र त्योहार है। इस दिन बहन अपने भाई की कलाई पर राखी बांधती है और भाई की लंबी उम्र की कामना करती है।

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बॉबी देओल (Bobby Deol) ने ये भी जानकारी दी है कि ये वेब सीरीज एमएक्स प्लेयर पर होगा...

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'दिल को करार आया' (Dil Ko Karar Aaya) में नेहा शर्मा (Neha Sharma) और सिद्धार्थ शुक्ला (Sidharth Shukla) की...

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Shakuntala Devi Review: विद्या बालन ने शकुंतला देवी के किरदार को स्क्रीन पर बहुत ही खूबी के...

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ब्रिटेन में ही एक और वैक्सीन का इंसानों पर ट्रायल किया गया है, जिसके बेहतर परिणाम सामने आ रहे हैं। यहां वॉलेंटियर्स को वैक्सीन की डोज दी गई है

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ईद मुस्लिम समाज का प्रमुख त्योहार है। ईद पर कुछ न कुछ मीठा भी बनाया जाता है। अगर आप ये सोच रही हैं कि इस बार ईद पर मीठे में क्या बनाया जाएगा तो इस बार आप ईद के मौके पर घर में केसरी फिरनी बना सकती हैं। मु

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रिया चक्रवर्ती ने सुशांत सिंह राजपूत (Sushant Singh Rajput) के परिवार द्वारा बिहार में...

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सुशांत सिंह राजपूत (Sushant Singh Rajput) के निधन से उनके फैंस और बॉलीवुड इंडस्ट्री को...

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बॉलीवुड की मशहूर एक्ट्रेस नोरा फतेही (Nora Fatehi) अपने डांस के लिए खूब जानी जाती...

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बॉलीवुड के मशहूर एक्टर इरफान खान (Irrfan Khan) के बेटे बाबिल खान (Babil Khan) इन दिनों सोशल...

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बॉलीवुड की मशहूर एक्ट्रेस रकुल प्रीत सिंह (Rakul Preet Singh) इन दिनों सोशल मीडिया पर...

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दांत में दर्द हो रहा है तो उसे नजरअंदाज न करें। यह संक्रमण हो सकता है जो बढ़कर दिमाग तक पहुंच सकता है। ब्रिटेन में एक ऐसा ही मामला सामने आया है।

35 साल की रेबेका डॉल्टन को चलने में तकलीफ हुई और धीरे-धीरे मेमोरी घटने के बाद हॉस्पिटल लाया गया। जांच करने पर मस्तिष्क में बैक्टीरिया का संक्रमण देखा गया। डॉक्टर्स ने भी उसके बचने की उम्मीद छोड़ दी थी। रेबेका को लगातार हॉस्पिटल में 5 महीने बिताने पड़े। डिस्चार्ज होने पर उन्होंने कहा, मुझे नया नजरिया मिला है, ये सीख बताती है कि आप कुछ भी हल्के में नहीं ले सकते।

दांत के इलाज के बाद चलने-फिरने में दिक्कत हुई और मेमोरी घटी
रेबेका का इलाज करने वाले डॉक्टर के मुताबिक, दिसम्बर 2019 में उसके दांतों में बैक्टीरिया का संक्रमण हुआ था। जिसे उन्होंने कई बार नजरअंदाज किया। यही बैक्टीरिया दांतों से दिमाग तक पहुंचा। मार्च में दांतों की समस्या का इलाज कर दिया गया था। लेकिन दिक्कत कुछ दिन बाद शुरू हुई जब रेबेका को चलने-फिरने में दिक्कत शुरू हुई। मेमोरी घटने लगी। वह हॉस्पिटल आईं और जांच की गईं।

संक्रमण मस्तिष्क तक पहुंचा और हार्ट और लिवर तक में उसका असर दिखा
डॉक्टर्स के मुताबिक, महिला की जांच रिपोर्ट में सामने आया कि उस बैक्टीरिया का संक्रमण दिमाग तक पहुंचा। जांच रिपोर्ट में इसका असर हार्ट और लिवर तक में दिखा। वह अपने चलने-फिरने की क्षमता खो चुकी थीं। डॉक्टर्स ने रेबेका का मामला हल रॉयल इनफरमरी के न्यूरोलॉजी डिपार्टमेंट में ट्रांसफर किया। बचने की सम्भावना बेहद कम थी, यह बात रेबेका की मां को बताई जा चुकी थी।

कोरोना की 12 रिपोर्ट निगेटिव आईं और 30 किलो तक वजन घटा
रेबेका का इलाज कोरोना के मरीजों के बीच चल रहा था लेकिन उसकी 12 जांच की गईं जो निगेटिव आईं। लगातार 5 महीनों तक चले इलाज के बाद वह रिकवर हुईं। पिछले हफ्ते इन्हें डिस्चार्ज किया गया है और वजन करीब 30 किलो तक घट चुका है।

सीख मिली कि छोटी से छोटी चीज नजरअंदाज नहीं करनी चाहिए
रेबेका चार बच्चों की मां हैं। इलाज के दौरान उनका अनुभव कैसा रहा, इस पर वह कहती हैं कि यह सबकुछ एक झटके जैसे था, इससे उबरना काफी मुश्किल रहा। मुझे नया नजरिया मिला है, ये सीख बताती है कि आप कुछ भी हल्के में नहीं ले सकते। छोटी से छोटी चीज भी जान को जोखिम में डाल सकती है।



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Woman suffering from toothache spends 5 months in hospital after it developed into a brain infection


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कोरोना पर एक और नई बात सामने आई है। अमेरिकी शोधकर्ता मेसीज बोनी का कहना है कि कोरोनावायस हॉर्सशू चमगादड़ में कई दशकों से सर्कुलेट हो रहा है। लेकिन इस बात से सब बेखबर रहे। इस समय महामारी के जो हालात हैं उसमें कोरोना की वंशावली को समझना बेहद जरूरी है ताकि स्वास्थ्यकर्मियों को इंसानों को बचाने में मदद मिल सके। शोधकर्ताओं के मुताबिक, वर्तमान में जो कोरोनावायरस महामारी फैला रहा है उसके पूर्वज चमगादड़ में 40 से 70 साल पहले से मौजूद थे। धीरे-धीरे ये इंसानों में पहुंचने के लिए तैयार हुए।

कोरोना की लैब में तैयार होने पर सवाल उठाती है रिसर्च
कोरोना और चमगादड़ के कनेक्शन पर दुनियाभर के वैज्ञानिकों ने रिसर्च की है। शोधकर्ताओं ने रिसर्च में सामने आए नतीजे जारी किए हैं। पेन्सिलवेनिया स्टेट यूनिवर्सिटी के शोधकर्ता मेसीज बोनी के मुताबिक, चमगादड़ में दूसरे वायरस की मौजूदगी इंसानों में संक्रमण का खतरा और बढ़ा सकती है। यह रिसर्च कोरोना की उस थ्योरी पर सवाल उठाती है जिसमें कहा गया था कि इसे लैब में तैयार किया है।



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Coronavirus Chinese Horseshoe Bats Latest Research Updates | Coronavirus disease (COVID-19) circulating in bats for decades


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30 जुलाई को इंटरनेशनल फ्रेंडशिप डे मनाया जा रहा है। सबसे पहले फ्रेंडशिप डे की शुरुआत 1958 में हुई थी। हालांकि भारत समेत कई देशों में यह अगस्त के पहले रविवार को मनाया जाता है।

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इंटरनेशनल फ्रेंडशिप डे पर अपने दोस्तों को भेजें ये प्यार भरे वॉलपेपर और शुभकामना संदेश।

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कैटरीना कैफ (Katrina Kaif) के इस डांस वीडियो को द यूनिवर्सल पेगिनेट्री यूट्यूब...

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बॉलीवुड की मशहूर एक्ट्रेस मनीषा कोइराला (Manisha Koirala) अपनी फिल्मों के लिए खूब जानी...

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अब इस वीकेंड दर्शकों को एक और शानदार ट्रीट मिलने वाली है, जहां पॉपुलर कक्कड़...

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Wednesday, July 29, 2020

हाल ही में आए एक नए शोध अध्ययन में शोधकर्ता यह दावा कर रहे हैं कि कोरोना वायरस 72 साल पहले ही चमगादड़ों में पनपा था। सालों बाद भी इसके नए रूप सामने आते रहे हैं। 

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बॉलीवुड एक्ट्रेस सिमी गरेवाल (Simi Garewal) सोशल मीडिया पर काफी एक्टिव रहती हैं और...

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पुलिस के एक अधिकारी ने बुधवार को बताया कि दोपहर जब आशुतोष भाकरे (Aashutosh Bhakre) के...

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फिल्म में श्रुति हासन सुकन्या का किरदार निभा रही हैं. श्रुति हासन (Shruti Haasan) से...

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बच्चों को अनुशासित कैसे किया जाए, शायद सभी अभिभावक इस अजब दुविधा से दो-चार होते होंगे। सवाल कई हैं बच्चों को बाहरी माहौल और टीवी-इंटरनेट जैसे माध्यमों के दुष्प्रभावों से बचाना है, किंतु उन्हें इस सबसे पूरी तरह दूर भी नहीं रखा जा सकता।

बच्चे किससे मिल रहे हैं, दोस्ती कर रहे हैं, अभिभावकों के लिए हर समय निगरानी करते रहना मुमकिन नहीं है।

बच्चे सही दिशा में जाएं इसका एकमात्र तरीक़ा है कि उनमें सकारात्मक अनुशासन और अच्छे संस्कार डाले जाएं। समस्या फिर सामने खड़ी हो जाती है - तरीक़ा कैसा हो? डांट-डपट और सज़ा से उनके मन पर बुरा प्रभाव पड़ता है।

डांट की वजह से बच्चे शुरू-शुरू में बात तो मान जाते हैं, लेकिन कुछ समय बाद इससे उनके मन में खटास पैदा होने लगती है और वे माता-पिता से कटने लगते हैं।

उनके मन में यह सोच पैदा हो जाती है कि बड़े उनकी बात और ज़रूरतें नहीं समझेंगे और उन्हें फिर से चुप करा दिया जाएगा।

इसी से शुरू होता है बच्चों का बातें छुपाना। ऐसा न हो इसके लिए व्यवहार और शब्दों में बदलाव ज़रूरी हैं। जानिए कुछ प्रभावी तरीक़े।

शब्दों को थोड़ा बदलें

किसी को भी नियंत्रण में रहना पसंद नहीं होता, बच्चों को भी नहीं। ज़्यादातर अभिभावक बच्चे को हमेशा ‘क्या नहीं करना है’ बताते हुए देखे जाते हैं। जैसे कि ‘सोफे पर नहीं कूदना है’, ‘बाहर मत खेलो’, ‘रात 9 बजे के बाद कोई टीवी नहीं’।

जब ऐसा किया जाता है तो बच्चे अधिक प्रतिरोध दिखाते हैं। अभिभावक यही बातें दूसरे ढंग से भी कह सकते हैं। ‘बेटा सोफा बैठने के लिए है’, ‘अभी बाहर बहुत गर्मी/बारिश है, हम बाद में बाहर जाएंगे’।

अपने बोलने के तरीक़े में बदलाव करें, और इसका सीधा असर बच्चों की मानसिक स्थिति पर देखें। इससे वे आपकी बात सुनेंगे भी और मानेंगे भी।

लहजे में प्यार घोलें

जब आप प्यार से अपनी बात कहते हैं तो आपकी बात आसानी से पहुंचती है। चिल्लाने या ऊंची आवाज़ में बात करने से बच्चा उस वक़्त डरकर मान तो जाता है, लेकिन लंबे समय में इसका असर उल्टा होने लगता है।

माता-पिता होने के नाते आपको यह समझना होगा कि जब आप ख़ुद ग़ुस्से में होते हैं तो आप किसी को सकारात्मक सीख नहीं दे सकते हैं। इसलिए शांत होकर और प्यार से बैठाकर उसे समझाएं।

भावनाओं को समझें

व्यक्ति को सहजता से सुना जाना बहुत आवश्यक होता है। आप ख़ुद सोचिए, जब आप परेशान हों और आपके आसपास कोई न हो जो आपकी बात सुन सके तो कैसा महसूस होगा?

ऊपर से आपको उदास या चिड़चिड़े होने के लिए बार-बार टोका भी जाए? यही ग़लती हम बच्चों के साथ करते हैं। हम उनकी बात सुने बिना ही उन्हें शरारती, बात न मानने वाला, बुरा बच्चा, आदि कहने लगते हैं।

कुछ समय के लिए बच्चों के पास बैठें और उनकी बात सुनें। जब उन्हें महसूस होता है कि उनकी बात को सुना जा रहा है, तो वे आपसे जुड़ाव महसूस करते हैं।

बच्चों के साथ कनेक्शन होना सकारात्मक पैरेंटिंग का सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा है। कई अध्ययनों से पता चलता है कि जो बच्चे माता-पिता के सामने अपनी भावनाएं सहजता से व्यक्त कर पाते हैं, वे बड़े होने पर अकेलापन महसूस नहीं करते। साथ ही, वे दूसरों की भावनाओं को भी समझ पाते हैं।

दोस्त की भूमिका निभाएं

अगर सकारात्मक अनुशासन की इन तकनीकों पर अमल किया जाए तो निश्चित रूप से परिणाम पुरानी डांट-फटकार की अनुशासन विधियों से कहीं बेहतर मिलेंगे।

हर माता-पिता चाहते हैं कि उनका बच्चा उनसे हर बात साझा कर सके, लेकिन वे ख़ुद एक दोस्त की भूमिका निभाने में कामयाब नहीं हो पाते।

अभिभावक के लिए ज़रूरी है कि वे बच्चे की इच्छाओं और जिज्ञासाओं को समझें और जानें कि वह किस नज़रिए से दुनिया को देख रहा है।

उसे प्रोत्साहित करें कि वह अपने मन की बातों को आपके साथ साझा करे और आप भी खुले दिल और दिमाग़ के साथ उन्हें स्वीकार करें और बिना डांट-फटकार के उसको सही रास्ता दिखाएं।



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To understand children, see them as friends, you can win their hearts by dissolving love in the way you talk.


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पंजाबी सिनेमा की मशहूर एक्ट्रेस नीरू बाजवा (Neeru Bajwa) ने अपने अंदाज और अपने काम...

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बॉलीवुड एक्टर सुशांत सिंह राजपूत (Sushant Singh Rajput) ने 34 वर्ष की उम्र में दुनिया को...

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ट्रांसजेंडर्स को आज भी हमारे समाज में वो सम्मान नहीं मिला है, जिसकी वो हकदार हैं। कई परेशानियों का सामना करने के बाद भी आए दिन हम उन ट्रांसजेंडर्स के बारे में सुनते हैं जो समाज के लिए मिसाल बने हुए हैं।

ऐसी ही ट्रांसजेंडर महिलाओं में से एक हैं राजकुमारी जो जीवन में कड़े संघर्ष के बाद भी आज समाज के लिए मिसाल बनी हुई हैं।

उनके माता-पिता ने उन्हें ये कहकर निकाल दिया था कि वे परिवार पर कलंक हैं। इसके बाद भी राजकुमारी ने हार नहीं मानी और अपने पैरों पर खड़ी हुईं।

घर से निकल जाने के बाद उन्होंने समाज के ताने भी सहे लेकिन लोगों के डर से जिंदगी में कभी निराशा को गले नहीं लगाया। राजकुमारी ने कई अनाथ बच्चों को गोद लिया। उन्होंने कई जरूरतमंदों की शादियां भी करवाईं।

राजकुमारी ने आठ बच्चों को गोद लिया और मां की तरह उनकी जिम्मेदारी संभाली है।

राजकुमारी अपनी मेहनत से इकट्‌ठे किए गए पैसों से गरीबों और जरूरतमंदों की मदद करती हैं। गरीबों के पालन पोषण के लिए अपनी आमदनी से वे 75% हिस्सा दान करती हैं।

वे कभी मदद से पीछे नहीं हटती हैं। राजकुमारी ने अब तक आठ बच्चों को गोद लिया और मां की तरह उनकी जिम्मेदारी संभाली है।

उनका सारा खर्च भी वे खुद ही उठाती हैं। इसके अलावा इस महिला ने 1000 लड़कियों की शादी करवा कर समाज में एक मिसाल कायम की है।
राजकुमारी को लोगों के घर जाकर नाचते या गाते हुए जो गहने मिलते हैं, उन्हें वे आर्थिक रूप से कमजोर लड़कियों को दे देती हैं।

राजकुमारी कोरोना काल में लोगों को 1 लाख का अनाज बांट चुकी हैं।

जब से कोरोना वायरस का प्रकोप शुरू हुआ है तब से आज तक गरीबों के बीच वे 1 लाख का अनाज बांट चुकी हैं। इसी के साथ उन्होंने लोगों को कपड़े भी बांटे।
राजकुमारी के अनुसार मेरी खुद की आर्थिक स्थिति ज्यादा अच्छी नहीं है। इसके बाद भी मैं रोज बीस लोगों का पेट भरती हूं।



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Even after the financial status of the transgender princess is not correct, raising 8 children, raising food, has distributed food grains to 1 lakh people during the Corona period


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बॉलीवुड के महानायक अमिताभ बच्चन (Amitabh Bachchan) इन दिनों हॉस्पिटल में कोरोना वायरस...

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सुशांत सिंह राजपूत (Sushant Singh Rajput) मामले में कथित अभियुक्त रिया चक्रवर्ती ने...

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महिलाओं की ज़िंदगी में दौड़-भाग कभी कम नहीं हो सकती। तो क्यों न इन उलझनों को सुलझाने के कुछ नियम बनाएं ताकि आप तनाव मुक्त रहकर मजे से जिंदगी गुजार सकें। इसकी शुरुआत आज से ही करें।

1. ठहराव के दो पल
इसे पॉज़ कह सकते हैं। कुछ ख़रीदने से पहले, बाहर का कुछ खाने से पहले, किसी भी फ़ैसले से पहले पॉज़ लें और फिर अमल करें। कुछ लोग तो पार्किंग में वाहन खड़ा करके, दो मिनट सोचते हैं फिर बाहर आते हैं। ये दो मिनट का ठहराव उनके कामों की सूची ही दुरुस्त नहीं करता, उन्हें तनाव भुलाने में मदद भी करता है।

2. भोजन व्यवस्था सरल बनाएं
रसोई में जाकर सोच की मुद्रा अपनाने या घर के हर सदस्य के पीछे घूमकर क्या बनाऊं का फ़ैसला कराने के बजाय, सुबह ही तय कर लें कि तीनों समय क्या बनेगा। अपनी रसोई में सामान भी ऐसे ही जमाएं कि जो तय करें, उसकी सामग्री फटाफट मिले और आप भोजन बनाकर चिंतामुक्त हों।

3. दर्द के बिंदु की खोज
हम सबके पास तकलीफ़ पैदा करने वाले काम, लोग या रूटीन होते हैं। अपने दर्द का सिरा पकड़ते हुए, उसकी जड़ तक पहुंचे। एक बार पीड़ा के सिरे को जान लिया, तो समझने की तैयारी कीजिए कि किस काम, इंसान या वजह से आपको तकलीफ़ होती है। उससे बचकर रहें।

4. धीमी प्रगति से दोस्ती करें
ख़ुद पर कामयाबी का या जल्दी-जल्दी काम करने का दबाव न बनाएं। रोज़ जो कुछ सीख रही हैं, उसे कहीं लिखती जाएं। विकास मीलों की छलांग में भी है, तो एक सेंटीमीटर आगे बढ़ने में भी।

5. अपने नियम ख़ुद बनाएं
जीवन को सुलझा हुआ रखने में ये सबसे बड़ी मदद होगी। ख़ुद तय करें कि क्या करेंगी, क्या बिलकुल भी नहीं करेंगी। जैसे एक मां ने तय किया कि जब बच्ची सोएगी, तो वो मौक़े का फ़ायदा उठाकर कपड़े-बर्तन नहीं धोएगी, बल्कि अख़बार या किताब पढ़ेगी।



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5 rules to make women's confused life easier, freedom from stress


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लघुकथा : ऑनलाइन
लेखिका : शर्मिला चौहान

दादा जी को ‘ऑनलाइन’ रहते बच्चों से शिक़ायत थी। लेकिन टाइम पास के लिए ख़ुद ऐसा करना उन्हें बहुत भाया।
कोरोना के चलते पिछले तीन-चार महीनों से बुज़ुर्गों के कट्टा समूह में निराशा छाई हुई थी। पहले रोज़ मिलकर दुनियाभर की बातें करते, एक-दूसरे का सुख-दुख साझा करते और किसी न किसी बहाने से चाय-नाश्ते का लुत्फ़ भी उठाते। अपने जन्मदिन पर घर से बना नाश्ता लाकर सब एक साथ मज़े करते थे।

लेकिन मार्च से सब अपने-अपने घरों में क़ैद हो गए थे। ऐसा बताया गया है कि यह वायरस बच्चों और बुज़ुर्गों को जल्दी चपेट में लेता है, इस कारण सभी अपने-अपने घरों में बंद पड़े थे।
एक शाम, समूह के कुछ लोग अपनी-अपनी बालकनी से एक-दूसरे को देखकर हाथ हिलाकर ख़ुश हो रहे थे ।

गुप्ता जी के पोते अंकित ने देखा तो पूछा, ‘दादाजी... आप लोग बहुत दिनों से मिले नहीं हैं न?’ इस पर दादाजी ने हां में सिर हिलाया।
‘आप सभी के पास फोन है न... आप लोगों ने वॉट्सएप समूह भी बनाया है तो आज आप सब ऑनलाइन वीडियो बातचीत करना,’ यह कहते हुए अंकित ने सभी को सूचना दी।

अब आधे घंटे बाद दादाजी के कमरे से ज़ोर-ज़ोर से बातें करने और खिलखिलाने की आवाज़ें आ रही थीं। सबको ऐसा लग रहा था कि वे आमने-सामने आकर बात कर रहे हैं।

‘क्यों दादाजी, अब कैसा लग रहा है? ऑनलाइन काम अच्छा है कि नहीं...?’ अंकित ने शरारती मुस्कान के साथ पूछा।
‘अरे..!

हम बुड्ढों को तो मज़ा आ गया। पर तू इस पर अपना समय मत बर्बाद किया कर, अपनी पढ़ाई में मन लगा, ये हमारे जैसे ख़ाली बैठे लोगों का टाइम पास है।’
इसके बाद दादा-पोते की हंसी गूंजने लगी और कोरोना का डर थोड़ी देर के लिए छूमंतर हो गया।

लघुकथा : भगवान को भोग
लेखक : नवीन गौतम

अरे! हलवाई का सब सामान आ गया न? मदन ने अपने छोटे भाई उमेश से पूछा। उमेश बोला, ‘हां भैया, आ गया। हलवाई और उसके आदमी भी आ गए हैं, बस अभी 2-3 घंटे में खाना बनाकर दे देंगे।’
आज मदन बहुत ख़ुश था। आज उसके पांच वर्षीय बेटे का मुंडन संस्कार था।

मेहमानों की आवाजाही शुरू हो गई थी। वे दोनों मेहमानों के स्वागत सत्कार में लगे हुए थे। मुंडन का शुभ मुहूर्त सुबह 11 बजे का था, अतः तय समय पर संस्कार पूरा करने नाथू भी आ गया था। पूजा सम्पन्न हुई। उधर नाथू भी अपना उस्तरा लेकर सीढ़ियों पर आ बैठा था।

मुंडन शुरू हुआ तो कामिनी ने अपने बेटे के उतरे हुए सारे केश अपनी झोली में ले लिए। तभी पुजारी जी ने आवाज़ लगाई, ‘श्रीमान! खाना तैयार हो गया हो तो ले आइए, भगवान को भोग लगाएंगे।’ ‘जी पंडित जी’ कहकर मदन भोग लेने के लिए सामने की धर्मशाला की ओर दौड़ पड़ा।

मदन ने दाल-बाटी, चूरमा का भोग पत्तल में रखा और मंदिर की बढ़ गया। वह धीमे-धीमे क़दमों से मंदिर की तरफ़ बढ़ ही रहा था कि तभी किसी ने पीछे से आवाज़ लगाई, ‘बाबूजी! सुबह से भूखा हूं, कुछ खाने को दे दो।’ मदन ने मुड़कर देखा तो एक फटेहाल भिखारी कातर दृष्टि से उसे ताक रहा था।

उसकी दीन-हीन दशा देखकर मदन के मन में करुणा उमड़ पड़ी पर अभी वह असमंजस में था कि भोग कैसे दे दे। लेकिन मदन भावुक हो गया और मन ही मन सोचने लगा कि शायद ईश्वर भी यही चाहते हैं, तभी तो उसके भोग ले जाते समय वह सामने आया।

उसने दाल-बाटी, चूरमा का भोग भिखारी की ओर बढ़ाकर कहा, ‘बाबा! लो खाना खा लो।’ भिखारी बहुत ख़ुश हुआ और जल्दी-जल्दी खाना खाते हुए अपने दोनों हाथ बार-बार ऐसे उठा रहा था मानो वह उसे ढेर सारा आशीर्वाद दे रहा हो।

मदन ख़ुशी के आंसू पोंछते हुए वापस धर्मशाला की ओर बढ़ गया। ‘अरे! इतनी देर से कहां थे आप? भगवान को भोग लग गया क्या?’ कामिनी ने पूछा, तो मदन ने सीढ़ियों पर बैठकर पूरी तन्मयता से भोजन करते उस व्यक्ति को देखकर कहा, ‘हां! लग गया, भगवान को भोग लग गया।’

कविता : सुख-दुःख

लेखक : कपिल कुमार कुर्वे

मैं और वह
घूम रहे थे
समुद्र के तट पर
उसने कहा
सुनाओ
कोई मनभावन कविता
सुख की दु:ख की
अपने जीवन की
मैंने तट की रेत पर
अपनी अंगुली से
लिखा सुख, दुःख
और
कुछ पल बाद
लहरों ने
मिटा दिया
सुख को दुःख को
मैं देख रहा था
पर समझ नहीं पाया
सुख पहले मिटाया गया
या दुःख...।
मैंने जीवन नहीं लिखा था
न ही मैं इसे मिटते देख पाया
उसकी आंखों में देखकर
कहा मैंने,
‘यही कविता थी
और ऐसी ही
होती है कहानी।’



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The short story "Online", depicting the love of grandfather and grandson, how Madan prayed to that beggar, showing the short story "God with impulse"


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रहना है जवान तो दिनचर्या में शामिल करिए ये चार योगासन।

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मलाइका अरोड़ा (Malaika Arora) के इस वीडियो को अब तक 7 लाख से भी ज्यादा बार देखा जा चुका...

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बॉलीवुड के मशहूर एक्टर सुशांत सिंह राजपूत (Sushant Singh Rajput) ने अपने अंदाज से लोगों के...

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जरा सोचिए कि इतना सब करने के बावजूद भी आपका वजन कम नहीं हो रहा है तो इसके क्या कारण हो सकते हैं।

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काला पीलिया की दवा लेने वाले मरीजों में कोरोना का संक्रमण नहीं हुआ। दुनियाभर के कई देशों में भी काला पीलिया यानी हेपेटाइटिस की दवा कोरोना से बचाव करने में मददगार साबित हुई है। यह दावा PGIMS रोहतक की रिसर्च में किया गया है। यहां के गैस्ट्रोएंट्रोलॉजी विभाग और नेशनल वायरल हेपेटाइटिस सेंट्रल प्रोग्राम के मॉडल ट्रीटमेंट सेंटर में डेढ़ हजार मरीजों पर रिसर्च की गई।

5 माह तक मरीजों की हुई मॉनिटरिंग
गैस्ट्रोएंट्रोलॉजी विभाग के हेड और सीनियर प्रोफेसर डॉ. प्रवीण मल्होत्रा ने दावा किया कि काला पीलिया की दवा कोविड-19 में कारगर हैं। 5 माह तक हेपेटाइटिस बी व सी का इलाज कराने वालों में डेढ़ हजार मरीजों को चिह्नित करके मार्च से जुलाई माह तक उनकी हेल्थ मॉनिटरिंग की गई।

रिसर्च में शामिल डेढ़ हजार मरीजों ने नहीं दिखे लक्षण
शोधकर्ताओं के मुताबिक, रिसर्च में पाया गया कि काला पीलिया की दवा लेने वाले डेढ़ हजार मरीजों को कोरोना से मिलते जुलते लक्षण नहीं आए और न ही कोरोना संक्रमित हुए। डॉ. प्रवीण मल्होत्रा के मुताबिक, स्वास्थ्य मंत्रालय की ओर से अगर इसका बड़े स्तर पर ट्रायल किया जाता है तो सकारात्मक परिणाम सामने आएंगे।

ड्रग कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया को भेजा गया प्रपोजल
काला पीलिया में लेडिपसविर और डसाबूविर के साथ सोफासबूबिर का कॉम्बिनेशन दिया जाता है। शोधकर्ताओं के मुताबिक, कोरोना के मरीजों का इलाज करने के लिए यह कॉम्बिनेशन रेमेडेसिविर से ज्यादा बेहतर है। कोरोना के मरीजों पर इसका ट्रायल करने की तैयारी की जा रही है।

PGIMS रोहतक, इंटॉक्स प्राइवेट लिमिटेड और काउंसिल फॉर साइंटिफिक एंड इंस्ट्रियल रिसर्च नेशनल केमिकल लेबारेट्री के साथ मिलकर बड़े स्तर पर ट्रायल करेगा। इसके लिए ड्रग कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया (DCGI) को प्रपोजल भेजा गया है।



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Hepatitis C drugs to treat Covid Rohtak PGIMS moots clinical trials waiting to get nod from DCGI


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विश्व स्वास्थ्य संगठन ने मंगलवार को एक और चेतावनी दी। डब्ल्यूएचओ की वैज्ञानिक मार्गेरेट हैरिस कोरोनावायरस के ट्रांसमिशन पर सवालों का जवाब देते हुए कहा, यह महामारी सीजनल बीमारी नहीं बल्कि एक बड़ी लहर है। लोग अभी तक इसे एक सीजनल बीमारी मान रहे हैं। कोरोना नई तरह का वायरस है यह इंफ्लुएंजा की तरह बर्ताव नहीं करता है जो सिर्फ खास मौसम में होता है। नया कोरोना अलग तरह से बिहैव करता है।

मार्गेरेट हैरिस ने जेनेवा में वर्चुअल कॉन्फ्रेंस के दौरान कहा, बड़े पैमाने पर भीड़-भाड़ वाले समारोह में यह धीमी गति से फैल रहा है, इससे रोकने के साथ अलर्ट होना जरूरी है। महामारी एक बड़ी लहर बनने जा रही है। जिसका ग्राफ बढ़ेगा-घटेगा, बेहतर होगा कि इसे सपाट करने के प्रयास करें।



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Coronavirus Transmission | World Health Organization Coronavirus Latest News Update; WHO Scientist On COVID Transmission, Says Epidemic Is Not A Seasonal Disease


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Tuesday, July 28, 2020

चिराग पासवान (Chirag Paswan) ने एनडीटीवी से बात करते हुए कहा: "मेरा मानना है कि इस मामले...

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तमन्ना (Tamannaah) ने झरने में पानी के साथ अठखेलियां करते हुए इस फोटो को शेयर करने...

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टीवी एक्ट्रेस श्वेता तिवारी (Shweta Tiwari) की बेटी पलक तिवारी (Palak Tiwari) सोशल मीडिया पर...

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खिड़की से देखते हुए लग रहा था मानो पेड़ बेतहाशा दौड़े जा रहे हैं, मगर मंज़िल कहां है, पता नहीं। मेरी ज़िंदगी भी कुछ ऐसी ही है, एक दौड़ है जिसमें मैं भागे जा रहा हूं। भागना कितना आसान है न! जब कुछ समझ नहीं आए तो भाग जाओ। पर तब कहां जाए इंसान, जब ख़ुद से भागना ही ज़रूरी हो। पिछले पांच सालों में ये मेरा तीसरा ट्रांसफ़र है। बस भाग रही है ज़िंदगी और भाग रहा हूं मैं- ख़ुद से, अपनी उन यादों से।

सोचते-सोचते तृष्णा का चेहरा दिमाग़ में आया और एक बार फिर से मैंने आंखें बंद कर लीं। ‘सर, ओ सर, आपका स्टॉपेज आ गया। सो गए क्या?’ कंडक्टर ने झकझोरा तो मैं अपने ख़्यालों से बाहर आया। अपना सामान उतारकर मैं अपने गंतव्य की ओर चल पड़ा। आजकल मुझे ये नए शहर अजनबी-से नहीं लगते, क्योंकि मैंने अपनों को अजनबी होते देखा है।

‘अच्छा, तो तुम हो शिवम?’ मेरी मकान मालकिन ने ऊपर की मंज़िल की चाबी मुझे थमाते हुए कहा। ‘लंबी दूरी से आए हो, थक गए होगे। चाय पीकर जाओ।’ उन्होंने कहा।

‘नहीं, धन्यवाद।’ और मैं अपनी औपचारिकता वाली मुस्कान देकर चला आया। कितनी अजीब है ये दुनिया, यहां मुखौटे लगाकर घूमना ही पड़ता है, नक़ली हंसी, नक़ली चेहरा और नक़ली प्यार। एक बार न चाहते हुए तृष्णा फिर से याद आ गई। नए घर को सहेजने में शाम हो गई। जब भूख का एहसास हुआ तो नीचे चला गया। सोचा कि आसपास दुकान होगी ही। नीचे कुछ ही दूरी पर एक किराने की दुकान थी, एक लड़की दुकानदार से बहस कर रही थी।

‘अरे भैया, ये तो अच्छी लूट है! इस पर एमआरपी 50 रुपए लिखा है और आंटी जी से आप 60 रुपए ले रहे हो!’ वह बोल रही थी।

‘फ्रिज में रखा है, ठंडा भी तो है। उसके भी तो पैसे लगेंगे।’ दुकानदार ने कहा तो वह बोली, ‘अच्छा अंकल, ये कब से हो गया? ठंडा करने के भी चार्ज करने लगे? अभी बताती हूं, कंज़्यूमर कोर्ट वाले पहचान वाले हैं मेरे, उन्हें फोन लगाती हूं।’

‘अच्छा बिटिया, रहने दो। लो बहन जी आप 50 में ही लो।’ दुकानदार की यह बात सुनकर वो ऐसे मुस्कुराई मानो कोई जंग जीत ली हो उसने। ‘क्या चाहिए?’ दुकानदार ने मेरी तरफ़ देखते हुए पूछा।

‘एक नूडल्स का पैकेट दे दो,’ मैंने कहा तो वह लड़की मेरी तरफ़ देखकर बोली, ‘सुनो, इन्हें एमआरपी देखकर ही देना। पता नहीं ये न कह दें कि दुकान में रखा है तो उसका भी चार्ज लगाएंगे।’ ये कहकर वो मुस्कराती हुई चली गई। अगले दिन में पार्क में टहल रहा था कि किसी ने पीछे से कंधे पर थपथपाया। ये तो वही लड़की थी। ‘तो एमआरपी पर लिया कि ज़्यादा पैसे दिए?’ उसने पूछा।

लोगों से मैं तब ही बात करता हूं, जब मुझे ज़रूरत लगे। एक दूरी बनाना पसंद है मुझे, या यूं कहूं कि मुझे ये रिश्ते नापसंद हैं। ‘एमआरपी पर,’ ये कहकर मैंने अपने क़दम तेज़ कर लिए ताकि उसे पीछे छोड़ सकूं। रविवार का दिन था, सुबह-सुबह हल्की बारिश थी। कॉफ़ी का मग लिए मैं खिड़की पर बैठ गया।

बाहर देखा तो फिर से वही लड़की दिखी। बच्चों के साथ पानी की नाव बनाकर खिलखिला रही थी। न जाने क्यों रश्क़-सा हो गया मुझे। कुछ लोग कितने ख़ुशनसीब होते हैं न, जिनकी ज़िंदगी में कोई दुख नहीं होता। मैं भी क्यों उस जैसा नहीं हूं जो पानी में काग़ज़ की नाव चलाकर भी ख़ुश हो ले।

बारिश मुझे भी कितनी पसंद थी और तृष्णा को भी... वह फिर से याद आ गई। न जाने क्यों कॉफ़ी का स्वाद कसैला हो गया और मैं वहां से हट गया। अगले दिन मेरे नए ऑफिस का पहला दिन था। मैं अपनी सीट पर आकर बैठा ही था कि मेरे सामने वाली सीट पर बैठी वो मुस्करा रही थी।

‘सो, इंट्स योर फर्स्ट डे! बाय द वे, आई एम अनाहिता। लगता है तुम पीछा कर रहे हो मेरा। पहले मेरी ही सोसाइटी में, फिर गार्डन में और अब सेम ऑफिस... कल खिड़की से मुझे ही देख रहे थे।’ उसने मुस्कुराकर कहा।

‘न... नहीं तो।’ मैंने अचकचाते हुए कहा तो वह हंस पड़ी। ‘किडिंग यार, रिलैक्स,’ उसने कहा और चली गई।

लंच टाइम में भी वह मेरे पास आकर खड़ी हो गई। उसका बार-बार आना मुझे पसंद नहीं आ रहा था, अपने अकेलेपन में ख़लल मुझे पसंद नहीं। वह कुछ बोल रही थी और मैं टेबल से उठ खड़ा हुआ। मैं जानता था कि जो मैं कर रहा हूं वो सही नहीं, न ही सभ्यता है, पर ऐसा ही हूं मैं।

अगले दिन वह पार्क में दिखी, मुस्कराई भी मगर मेरे चेहरे पर सन्नाटा ही पसरा रहा। जब भी वह मुझे अपनी सोसाइटी में या पार्क के आसपास दिखती, लोगों से घुलती-मिलती ही दिखती। बच्चे तो उसके आगे-पीछे घूमते थे। ऑफिस में भी सबकी चहेती थी अनाहिता।

तृष्णा... वह भी तो ऐसी ही थी, हंसमुख और सबकी चहेती। सब कहते थे कि मैं बहुत क़िस्मतवाला हूं। क़िस्मतवाला...!! ‘तृष्णा’- ये नाम मेरा सुख-चैन सब ले गया। मेरा सिर घूमने लगा मानो सब कुछ तहस-नहस हो जाएगा। मैंने अपना सिर टेबल पर रख दिया। ‘शिवम, आर यू ऑल राइट?’ पास बैठे कलीग ने पूछा तो मैंने कहा कि बस माइग्रेन की वजह से है।

अनाहिता ने शायद सुन लिया था, एक गोली और पानी की बोतल पकड़ाते हुए कहने लगी, ‘ले लो, आराम मिलेगा। और हां, जितना सोचोगे, दर्द उतना ही बढ़ेगा।’ मैंने उसकी आंखों में झांका। पहली बार उन आंखों में दर्द की वही लकीर दिखी, जिसे वह न जाने कब से जी रही है। ये दर्द मुझे पहचाना-सा लगा।

‘तृष्णा, ये क्या कह रही हो तुम, मैं प्यार करता हूं तुमसे। तुम जानती हो कि मैं नहीं रह पाऊंगा तुम्हारे बिना, मैं मर जाऊंगा तृष्णा।’ मैं गिड़गिड़ाया था उसके सामने।

‘प्लीज़ शिवम, डोंट डू दिस, नथिंग इज़ वर्किंग। हम दोनों अलग हैं, ज़िंदगी से मेरी चाहतें अलग हैं और तुम्हारी अलग। मैं अब इस रिलेशनशिप को और आगे नहीं ले जाना चाहती। मैं और समीर एक-दूसरे के साथ ख़ुश हैं। ट्राई टु अंडरस्टैंड।’

समीर मेरा बॉस, तृष्णा मेरा प्यार। सब कुछ अच्छा था मेरी ज़िंदगी में। फिर न जाने कब ये हो गया।

तृष्णा चली गई। पांच सालों का वह साथ, जीने-मरने की क़समें, वफ़ाओं की वो बातें, सब झूठ था। आज जब उसे मुझसे बेहतर, उसकी हर इच्छा को पूरा करने वाला मिल गया, वह चली गई मुझे छोड़कर, मेरे प्यार को दुत्कार कर। कुछ टूट गया, कुछ चटक गया है मेरे अंदर। और तब से आज तक मैं भाग रहा हूं।

बादल घिर आए थे। बारिश हो रही थी और शाम भी हो गई। सब ऑफिस से आज पहले ही निकल गए थे। बाहर अनाहिता दिख गई। वह थोड़ी परेशान लग रही थी। मैंने उसे अनदेखा करते हुए अपनी बाइक आगे बढ़ा ली, मगर कुछ सोचकर वापस आ गया।

‘क्या हुआ?’ मैंने पूछा। ‘आई विल मैनेज, तुम जाओ। घर जा रहे थे न?’ उसने अनमने ढंग से कहा।

‘बताओ? सॉरी, मैं थोड़ा अपनी धुन में था।’ शायद उसने मुझे जाते देख लिया था। मुझे शर्मिंदगी महसूस हुई। ‘वो कैब नहीं आ रही और रात भी होने को है।’ अनाहिता ने कहा।

‘चलो, बैठो, मैं छोड़ देता हूं।’ मैंने कहा। ‘आर यू श्योर?’ उसके चेहरे पर वही पुरानी मुस्कान थी और वह बाइक पर बैठ गई।

कुछ तो अलग था इस लड़की में। जितना हंसती है उतना ही गहरा दर्द है उसकी आंखों में। ये दर्द जो सहन करता है, जो महसूस करता है, वही समझ सकता है। हर मुस्कराहट के पीछे ख़ुशी ही हो ये ज़रूरी तो नहीं। कल रात काफ़ी बारिश हुई थी, इसीलिए सुबह मौसम बहुत सुहावना था। मैं पार्क में टहलने के लिए निकल गया।

मैं राउंड लगा ही रहा था कि अचानक से मुझे अनाहिता के चिल्लाने की आवाज़ आई। शायद फिसल गई थी। मैंने उसे सहारा दिया और हॉस्पिटल लेकर पहुंचा। ‘देखिए फ्रैक्चर हुआ है, प्लास्टर चढ़वाना है और चलना-फिरना बिल्कुल बंद। सुनिए मिस्टर, अपनी वाइफ़ का ख़्याल रखिएगा, इन्हें थोड़े दिन कंप्लीट रेस्ट करना है।’ डॉक्टर ने दवाई की पर्ची पकड़ाते हुए कहा।

‘शी इज़ नॉट माय वाइफ़!’ ‘ही इज़ नॉट माय हस्बैंड’

हम दोनों साथ में ही बोले, डॉक्टर मुस्करा दिया। अनाहिता कराह रही थी, मैंने उससे पूछा, ‘सुनो, तुम्हारे घर पर फोन कर देता हूं, तुम्हारी देखभाल के लिए कोई आ जाएगा।’

‘मैं अनाथ हूं, मेरा कोई नहीं है। जिसने जन्म दिया, उसने बचपन में ही कूड़े के ढेर पर फेंक दिया। अनाथालय में बड़ी हुई। और जब बड़ी हुई तो इस जिस्म के लिए गिद्धों ने मुझे नोचने की क़वायद शुरू कर दी। किसी तरह से उनके चंगुल से भाग निकली और तब से आज तक भाग ही रही हूं, एक जगह से दूसरी जगह, जैसे तुम...!! भाग रहे हो न?’

अनाहिता ने मेरी नज़रों में झांकते हुए कहा। मेरा दिल धक् से रह गया, ये लड़की जो पूरा दिन पटर-पटर करती है, जिसकी बातें लोगों को हंसाती रहती हैं, अपने अंदर इतना गहरा घाव लेकर घूम रही है! मुझे आज अपना दर्द छोटा लग रहा था।

मैं अनाहिता को घर ले आया। उसकी दवाइयां सिरहाने रखीं और उससे पूछा, ‘सुनो, तुम्हें भूख लगी है?’ ‘हां, मैं नूडल्स खाऊंगी, बनाने आते हैं तुम्हें। मुझे पता है।’ उसने जिस अंदाज़ में कहा, मुझे हंसी आ गई। थोड़ी देर में मैं नूडल्स की दो प्लेटें लेकर उसके सामने था।

अचानक कुछ टकराने की ज़ोर की आवाज़ आई। खिड़की खुली थी, मैं खिड़की बंद करने गया। बारिश फिर से शुरू हो गई थी। अचानक कुछ याद आ गया, मैंने जेब से पर्स निकाला, उसमें तृष्णा की तस्वीर थी। मैं मुस्कराया और तस्वीर के टुकड़े करके खिड़की से बाहर फेंक दिए। ‘क्या कर रहे थे खिड़की पर?’ अनाहिता ने पूछा।

‘कुछ नहीं, अतीत की खुरचन कुछ बाक़ी थी, आज उसे झाड़ दिया।’ मेरे होंठों पर मुस्कान थी।

‘अच्छा मैं चलता हूं।’ मैंने उसे कहा और सीढ़ियों से उतरने लगा। अचानक कुछ याद आया और मैं फिर से ऊपर चला गया। अनाहिता मुझे लौटता देख हैरान थी।

‘सुनो अनाहिता... तुम सही थीं! और हां, कुछ ज़रूरत हो तो मुझे बुला लेना, अब मैंने भागना छोड़ दिया है, सोच रहा हूं कि अब थोड़ा थम जाऊं।’ और वह फिर मुस्करा दी।



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That rain-girl: how Anahita's fizzle pulled that stranger close to her, know this story


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त्वचा की सफ़ाई को लेकर अक्सर लोग लापरवाही बरत जाते हैं। चेहरा धोना ही काफ़ी समझते हैं या क्लींज़र लेते वक़्त कुछ भी ले आते हैं, यह सोचकर कि ज़रा-सा तो लगाना है। इस तरह की लापरवाही त्वचा से उसकी चमक छीन लेती है।

इसलिए त्वचा की सफ़ाई का ख़्याल रखें। इसके लिए घर के बने क्लींज़र काफ़ी मददगार हैं। ये त्वचा को साफ़ रखने के साथ उसे ठंडक और चमक देते हैं।

1. अनार

अनार का सेवन शरीर की सेहत के लिए जितना फ़ायदेमंद होता है, उतना ही इसका रस रूप को लाभ पहुंचाता है। अनार का रस टैनिंग को काफ़ी हद तक कम कर देता है। अनार का थोड़ा-सा रस ठंडे दूध में मिलाएं और चेहरे पर लगाएं। 10-15 मिनट बाद चेहरे को ठंडे पानी से धो लें। ऐसा हफ्ते भर तक रोज़ करने से त्वचा खिल उठेगी और साफ़ होने के साथ ही टैनिंग भी दूर हो जाएगी।

2. तरबूज़

तरबूज़ त्वचा को एक्सफोलिएट करने के साथ ही उसे मुलायम भी बनाता है। चेहरा धोने के लिए साबुन या फेसवॉश की जगह तरबूज़ का मुलायम हिस्सा 20 मिनट तक चेहरे पर हल्के हाथों से रगड़ें और उसके बाद धो लें। इससे चेहरे की खोई हुई नमी वापस आ जाती है।

3. शक्कर

शक्कर को दरदरा पीसकर पानी या तेल में मिलाकर चेहरे की मसाज करें और फिर धो लें। यह सबसे आसान तरीका है त्वचा को साफ़ और मुलायम बनाने का।

4. नारियल का तेल

नारियल का तेल एंटी फंगल और एंटी बैक्टीरियल है। इसके इस्तेमाल से त्वचा को प्राकृतिक रूप से साफ़ कर सकते हैं। नारियल के तेल को हथेली में रगड़कर थोड़ा गुनगुना कर लें। फिर उसे चेहरे पर लगाकर गोल-गोल घुमाते हुए मालिश कर लें। फिर तौलिये को गुनगुने पानी में भिगोकर चेहरे को क़रीब 1 मिनट के लिए ढंक लें। उसके बाद सूखे तौलिये से पोंछ लें। इससे चेहरा मुलायम भी बनेगा।

5. गुलाबजल

त्वचा पसीने में नमी खो देती है। उसे दोबारा ताज़ादम और नम करने में गुलाबजल मददगार होता है। रुई में थोड़ा-सा गुलाबजल लेकर चेहरे पर लगाएं और 15 मिनट बाद ठंडे पानी से धो लें। ऐसा रोज़ करने से त्वचा में नमी बनी रहेगी और वह साफ़ नज़र आएगी।

6. दही और बेसन

2 बड़े चम्मच बेसन, 1 बड़ा चम्मच दही और चुटकी-भर हल्दी पाउडर को मिलाकर लगाएं और सूखने के बाद धो लें। इस पैक को हफ्ते में 2-3 बार लगा सकते हैं।

7. काबुली चना और हल्दी

2 बड़े चम्मच काबुली चना पाउडर, एक छोटा चम्मच हल्दी पाउडर और थोड़ा-सा दूध लें। इन तीनों का मिश्रण बनाकर चेहरे पर लगाएं और 20 मिनट बाद चेहरा धो लें। यह पैक हफ्ते में 2 बार लगा सकते हैं। ये त्वचा को निखारेगा और दाग़-धब्बे भी दूर करेगा।

8. सेब का सिरका

एक हिस्सा सेब के सिरके को दो हिस्से पानी में मिलाकर रुई से अपने चेहरे पर अच्छी तरह से लगाएं। फिर 15 मिनट बाद चेहरे को ठंडे पानी और फिर गुनगुने पानी से धो लें। इससे त्वचा को तत्काल चमक मिलेगी। रोज़ाना इस प्रक्रिया को दोहराकर देखें, जल्द ही फर्क़ महसूस होगा।

9. दूध

दूध न सिर्फ़ हड्डियों के लिए बल्कि त्वचा के लिए भी बहुत अच्छा है। यह त्वचा की मृत कोशिकाओं को हटाने के साथ ही चेहरे को मुलायम और नम रखता है। थोड़ा दूध हथेलियों पर लेकर चेहरे पर मसाज करें या फिर थोड़ा-सा दूध नहाने के पानी में मिला लें।



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Applying pomegranate on the face will remove tanning, applying chickpea and turmeric will remove stains and brighten the face.


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अपनी शानदार एक्टिंग के अलावा अटपटे फैशन के लिए भी जाने जाते हैं आयुष्मान खुराना। आयुष्मान खुराना के स्टाइल की झलक दिखाने के लिए हम कुछ चुनिंदा फोटोज लाए हैं जिसे देख आप कहेंगे हमारे बस का नहीं है।

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बॉलीवुड एक्टर सुशांत सिंह राजपूत (Sushant Singh Rajput) ने 34 वर्ष की कम उम्र में दुनिया को...

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जाहरा बट ब्रिटेन की बॉक्सिंग कोच हैं। वे नॉटिंघमशायर के एस्प्ले में रहती हैं। जाहरा को प्रेग्नेंसी के बाद डिप्रेशन ने घेर लिया। तब उन्होंने स्पोर्ट्स के जरिये डिप्रेशन दूर करने का प्रयास किया। तीन बच्चों की मां जाहरा घरेलू हिंसा का शिकार हुई महिलाओं को बॉक्सिंग सिखाती हैं।

वे ट्रेनिंग के दौरान भी अपना हिजाब नहीं हटाती हैं। इसकी वजह बताते हुए वह कहती हैं मैं नहीं चाहती कि हिजाब हटाकर लोगों के भद्दे कमेंट्स सुनूं। 40 वर्षीय जारा ने बॉक्सिंग को अपना फुल टाइम करिअर बनाया। एक बॉक्सर के तौर पर उन्हें मिलने वाले पॉजिटिव मैसेज पाकर वे काफी खुश हैं।
वे कहती हैं ये संदेश मुझे लोगों के कमेंट्स का सामना करने की हिम्मत देते हैं। जाहरा को इस बात का दुख है कि हिजाब की वजह से उन्हें लोगों के भेदभाव का सामना करना पड़ता है। वे कहती हैं ये मेरे लिए दुखदायी है। वो भी तब जब मैं आत्मनिर्भर हूं।
लोगों की बातें सुनने से जाहरा की भावनाएं आहत होती हैं। इससे मेरे परिवार को यह लगता है कि मैं एक ऐसा काम कर रही हूं जो कई बार मेरे तनाव की वजह भी बन जाता है। हालांकि जाहरा इन कमेंट्स से दूर अपने काम पर फोकस करना पसदं करती हैं।
वे कहती हैं-मैं कोशिश करती हूं कि लोगों की बातों का असर मेरे काम पर न हो। जारा महिलाओं की मदद करने के लिए उन्हें बॉक्सिंग सीखाना पसंद करती हैं। वे कहती हैं अगर मैं महिलाओं की मदद करूंगी तो हो सकता है बॉक्सिंग सीखकर वे भी किसी की मदद करें।
इससे मेरा आत्मविश्वास बढ़ता है और मेंटल हेल्थ भी अच्छी रहती है। जाहरा के अनुसार अब तक लोगों ने उन्हें सिर्फ स्ट्रीट फाइट करते हुए ही देखा है। जब वे लोगों को अपने इस काम के बारे में बताती हूं तो वे कहते हैं आप तो एक अच्छी महिला हैं। फिर इस मारधाड़ वाले काम को करने की क्या जरूरत है।
जाहरा लॉकडाउन के दौरान वन टू वन क्लासेस लेना चाहती हैं। इसके साथ ही जूम पर ग्रुप सेशन की शुरुआत करना चाहती हैं। 2014 में जाहरा पहली ऐसी कोच बनी जो एमैच्योर बॉक्सिंग एसोसिएशन में हिजाब पहनकर बॉक्सिंग सीखाती है।
लॉकडाउन के शुरू होने के बाद जारा ने 2.6 चैलेंज की शुरुआत की। उन्होंने एक नेशनल स्टॉकिंग चैरिटी पलादिन के लिए 26 दिन के अंदर रोज 6 किमी तक रनिंग करके पैसे जुटाए। जाहरा के तीनों बच्चों को अपनी मां पर गर्व है।


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Zahra Butt is the first woman in Britain to teach boxing wearing a hijab, training women suffering from domestic violence


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हिमाचल भारत की खूबसूरत जगहों में से एक है। दुनियाभर के पर्यटक हिमाचल घूमने के लिए आते हैं। यहां के खूबसूरत नजारे मन मोह लेते हैं। हिमाचल एक पहाड़ी राज्य है, शिमला इस खूबसूरत राज्य की राजधानी है।

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kapalbhati pranayama beneficial for breathing problems

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भाई-बहन का रिश्ता बेहद ही खूबसूरत और प्यारा होता है। हर साल सावन मास की पूर्णिमा के दिन भाई- बहन का पवित्र त्योहार रक्षाबंधन मनाया जाता है। इस साल यह त्योहार 3 अगस्त, सोमवार को मनाया जाएगा। इ

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रक्षाबंधन का पावन पर्व 3 अगस्त, सोमवार को मनाया जाएगा। इस दिन बहन अपने भाई की कलाई में राखी बांधती है और भाई को मीठाई खिलाती हैं। अभी भी कोरोना वायरस का खतरा बना हुआ है, जिस वजह से बाहर की चीजों का कम से कम इस्तेमाल करने की सलाह दी जा रही है।

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विश्व में हो रहे अध्ययनों से पता चलता है कि आम जीवन में तनाव की मात्रा बढ़ गई है। वजह है कोरोनावायरस और उसके चलते पैदा हुए हालात।

अभी बीमारी का भय तो है ही, लगातार सतर्क रहने और सावधानियों का पालन करने की विवशता भी है। शारीरिक गतिविधियां कम हो गई हैं और ज़्यादातर वक़्त घर पर ही कट रहा है।

इन सब कारणों से मन पर तनाव हावी है, जिसकी परिणति बहसबाज़ी, चिड़चिड़ाहट, हताशा और ग़ुस्से के रूप में होती है।अक्सर हम सभी घर से बाहर कहीं घूमकर, दोस्तों से मिलकर तनाव दूर कर लेते हैं, लेकिन अभी इसमें अड़चनें हैं और यही सीमाएं मुश्किलें पैदा कर रही हैं ख़ासकर महिलाओं के लिए।

स्त्रियां क्यों हैं ज़्यादा प्रभावित
दरअसल, महिलाएं ज़्यादा भावुक और संवेदनशील होती हैं, इसलिए वे तनाव भी जल्दी लेती हैं। अपनी ज़िम्मेदारियों, रिश्तों, परिवार की वे अधिक परवाह करती हैं, उनके मन में बहुत कुछ चल रहा होता है। जब तनाव सहनशक्ति के बाहर हो जाता है, तो इसका परिवर्तित रूप शरीर और व्यवहार में दिखाई देने लगता है।

1980 से पहले भावनाओं के अनियंत्रित उबाल को ‘केवल स्त्रियों में होने वाला' हिस्टीरिया नामक मानसिक रोग माना जाता था। सिग्मंड फ्रायड ने इसे खोजा और परखा था।

वे महिलाएं जो तनाव, परेशानी और सदमे को कह नहीं पातीं, उनमें शारीरिक लक्षण उभरने लगते हैं, उसे अब कन्वर्शन डिसऑर्डर कहा जाता है।

कई तरह के तनाव हैं वजह
- पति-पत्नी के रिश्तों में दूरी, कड़वाहट महिलाओं को ज़्यादा प्रभावित करते हैं। इस तनाव के असर से कई दिक़्क़तें होती हैं।
- रिश्तों में शक या जीवनसाथी पहले की तरह ख़्याल नहीं रखता ऐसी निराशा से उपजा लंबा तनाव रोग का कारक बन सकता है।
- घरेलू झगड़े, पति के द्वारा शारीरिक व मानसिक ज़रूरतों की अवहेलना, घर में लगातार दुर्व्यवहार, प्रियजन की मृत्यु, सदमा, धनहानि, गंभीर आघात आदि कई कारण इस बीमारी की वजह बन सकते हैं।

ये हो सकते हैं लक्षण
- अचानक चिल्लाना, चिड़चिड़ाना या जल्दी ग़ुस्सा हो जाना जैसे सामान्य लगने वाले व्यवहार।
- तेज़ प्यास लगना, दिल की धड़कन बढ़ जाना, अजीब-सी घबराहट, सांस लेने में समस्या, मांसपेशियां अकड़ने लगना या एकदम शिथिल पड़ जाना भी लक्षण हैं।
- अचानक ज़ोर-ज़ोर से हंसना या रोना, चक्कर आना, पेट में हवा का गोला घूमता हुआ या गले में दबाव महसूस होता है।
- कई बार हिचकियां आती हैं, हाथ-पैर में ऐंठन होती है। कुछ मामलों में रोगी बेहोश भी हो जाते हैं।
हालांकि ज़रूरी नहीं है कि ये सारे लक्षण एक साथ दिखाई दें। लक्षण समस्या की गंभीरता पर भी निर्भर करते हैं। इन स्थितियों में मनोविशेषज्ञ से परामर्श करना बेहतर है।

शुरुआत में ही ज़रूरी समझ
तनाव के लम्बे समय तक बने रहने की समझ न हो तो ये धीरे-धीरे मानसिक रूप से कमज़ोर कर देता है। इसका याद्दाश्त पर भी असर पड़ सकता है।

भूख धीरे-धीरे कम होने लगती है या ख़त्म हो जाती है। ऐसे में समय रहते रोग प्रबंधन करना बेहद ज़रूरी है। ये मरीज़ की स्थिति के अनुसार दवाइयों, साइकोथैरेपी, काउंसलिंग, हिप्नोथैरेपी से होता है।

हम क्या कर सकते हैं
- अगर कोई परिजन बहुत नाराज़ हो, अजीब-सा व्यवहार करे, तो उसे नाटक समझकर उस पर ग़ुस्सा न करें। इससे उसका तनाव और बढ़ जाएगा। परेशानी को समझने की कोशिश करें।
- इस डिसऑर्डर से पीड़ित व्यक्ति की भूख कम हो जाती है, ऐसे में उसके खान-पान पर नज़र रखें। उसे छोटे-छोटे भाग में हर दो घंटे में खिलाएं और साथ बैठकर खाएं।
- परेशानी, तकलीफ को व्यक्त न कर पाने के फलस्वरूप उपजा तनाव भावनाओं का ऐसा ज्वार लाता है कि पीड़ित उसे संभाल नहीं पाता और अजीबो-ग़रीब व्यवहार करने लगता है।

इसीलिए किसी को भी भावनाएं व्यक्त करने से रोकें नहीं, न ही उसका मज़ाक बनाएं बल्कि उसे संभालकर, बात कहने दें। मन का ग़ुबार निकल जाने दीजिए।



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Constant increasing stress in women can be the cause of mental disorder, psychotherapy and counseling can get relief


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