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आप इतनी सर्दी की कल्पना कर सकते हैं क्या कि अंडा फोड़ते ही जम जाए और नूडल्स बनाते ही बर्फ बन जाएं? दुनिया भर में सर्दी जोरों पर है। ऐसे में इंटरनेट पर रूस की एक फोटो वायरल हो रही है। इसमें यह दिख रहा है कि ठंड की वजह से अंडा और नूडल्स किस तरह जम गए। इसे सोशल मीडिया पर खूब पसंद किया जा रहा है।
साइबेरिया का नोवोसिबिर्स्क शहर बेहद ठंडे तापमान के लिए प्रसिद्ध है। जिस वक्त अंडे और नूडल्स की तस्वीर ली गई थी, उस वक्त वहां का तापमान माइनस 45 डिग्री सेल्सियस था। यही कारण है कि अंडा फोड़ते ही जम गया। जैसे चम्मच से नूडल्स उठाए, वे बर्फ हो गए। इस खबर को 26 हजार से ज्यादा लाइक्स और 8 हजार बार शेयर किया गया। लोगों ने इस तस्वीर पर कई मजेदार कमेंट्स किए हैं।
बर्गर एक ऐसी डिश है जिसे महंगे रेस्टोरेंट में बड़े शौक से खाया जाता है तो ये फूड स्टॉल पर भी खूब बिकता है। इसे आलू की टिकिया, चीज़, सब्जियों और सॉस डालकर मजेदार बनाया जाता है। बर्गर खाने वाले शौकीनों के लिए एक कोलंबियन रेस्टोरेंट ने 24 कैरेट गोल्ड बर्गर बनाया है। इस बर्गर का नाम ओरो मैककॉय रखा है। उन्होंने इसे बेचने की शुरुआत 27 नवंबर से की थी।
इस बर्गर को बनाने में डबल मीट और डबल चीज़ के साथ 24 कैरेट गोल्ड डाला गया है। ये क्रिएशन कस्टमर को खूब पसंद आ रहा है। कई लोग रेस्टोरेंट में खास तौर से इस बर्गर को देखने आ रहे हैं। यहां जमा लोगों की भारी भीड़ ये भी पूछ रही है कि क्या ये सच में सोने से बना है। सोशल मीडिया पर इस बर्गर का फोटो देखकर कई लोग इसकी कीमत पूछ रहे हैं। इस बर्गर की कीमत 4191 रुपए है। रेस्टोरेंट की शेफ मारिया पाउला का कहना है कि इस बर्गर को पहले प्लास्टिक में पैक किया जाता है। फिर उस पर सोने की परत चढ़ाई जाती है।
तीन बच्चों की मां पूजा देवी जम्मू-कश्मीर की पहली फीमेल पेसेंजर बस ड्राइवर हैं। उन्होंने जम्मू से कठुआ के बीच बस चलाकर कई महिलाओं के लिए मिसाल पेश की है। पूजा ने बताया कि वह हमेशा से बस या ट्रक ड्राइवर बनना चाहती थीं। सच तो यह है कि हैवी व्हीकल्स चलाना उनका सपना था। वे एक गरीब परिवार से ताल्लुक रखती हैं। उनके पिता एक किसान थे और उनकी मां के पास इतना पैसा नहीं था कि वे पूजा की पढ़ाई का खर्च उठा सकें। इसी वजह से वे पढ़ नहीं पाईं। पूजा के पति उनके ड्राइवर बनने के फैसले से पहले तो नाखुश थे। उन्होंने पूजा को समझाया कि महिलाओं के लिए ड्राइविंग एक अच्छा प्रोफेशन नहीं है। लेकिन पूजा ने उन्हें ये कहकर मना लिया कि ड्राइविंग उनका सपना है जिसे वे हर हाल में पूरा करना चाहती हैं।
पूजा ने अपने ड्राइविंग के सफर के बारे में बताया कि ''सबसे पहले मैंने कार चलाना सीखा। उसके बाद मैं एक स्कूल में ड्राइविंग इंस्ट्रक्टर बनीं। मुझे टैक्सी चलाने की भी आदत थी। उसके बाद मैंने हैवी व्हीकल्स चलाने की शुरुआत की। मेरे मामा ने मुझे बस चलाना सिखाया। इसके लिए वे अपने मामा का अहसान मानती हूं। लेकिन तब मुझे बस चलाने के के लिए कोई नहीं देता था। फिर जम्मू-कश्मीर बस यूनियन ने मुझ पर भरोसा दिखाया और मुझे ड्राइविंग के लिए बस दी गई''।
पूजा के अनुसार, ''जब लोग मुझे बस ड्राइव करते हुए देखते हैं तो तरह-तरह की बातें करने लगते हैं। लेकिन मेरा फोकस ड्राइविंग पर होता है। इसलिए मैं उन्हें इग्नोर कर देती हूं। पूजा उन सब महिलाओं के लिए प्रेरणा हैं जो अपने सपने पूरे करना चाहती हैं लेकिन परिवार के दबाव की वजह से ऐसा नहीं कर पातीं''।
वेडिंग वॉर्डरोब तैयार करते हुए ब्राइड्स को एक खास एसेसरी पर भी ध्यान देना पड़ रहा है, वो हैं मास्क। उनकी पसंद के अनुसार फैशन में इन एंब्रॉयडर्ड, सीक्विंड, प्रिंटेड व प्लेन सिल्क मास्क चुने जा रहे हैं। एक नजर मास्क की ऐसी ही वैरायटी पर :
1. एक्वा ग्रीन लहंगे के साथ मैच करने के लिए ब्राइड प्लेन सिल्क फैब्रिक में लहंगे से मैच करता हुआ एक्वा ग्रीन फेस मास्क पहन सकती हैं। डिजाइन के लिए मास्क पर छोटी गोल्डन बूटियां भी अच्छी लगती हैं।
2. ब्राइड्स पर हेवी एंब्रॉयडरी वाले मैरून लहंगा चुन्नी के साथ हेवी जूलरी अच्छी लगती है। इस हैवी लुक को मैच करने के लिए मास्क भी हैवी ही मैच करें। मास्क पर भी गोल्डन वर्क खूब अच्छा लगता है।
3. रेड सिल्क लहंगे के साथ उसी रंग का मास्क पहन सकती हैं। लहंगे पर डेलिकेट लाइट शेड एंब्रॉयडरी भी खूब फबेगी। वैसा ही डेलिकेट काम मास्क पर भी अच्छा लगता है। लहंगे व मास्क पर ग्लिटर वर्क भी ट्राय कर सकती हैं।
नोट : ब्राइड यदि पारंपरिक लहंगे के बजाय मॉडर्न लहंगा ड्रेस पहन रही है तो उसके साथ प्रिंटेड मास्क खूब सजेगा। पेस्टल शेड मास्क पर एक तरफ खूब सारी पत्तियों वाला गोल्डन प्रिंट भी फैशन में इन है।
असम के नालबाड़ी राज्य से 20 किमी दूर छत्र गांव की वे महिलाएं जो कभी शराब बनाने और बेचने के लिए जानी जाती थी, अब धागा बुनने का काम कर इज्जत की जिंदगी जी रही हैं। वे धागा बुनकर इसे भूटान में बेचती हैं और अच्छी खासी कमाई करती हैं। 2009 तक छत्र को 'लिक्वर डेन' के नाम से जाना जाता था। लेकिन फिर बोडो समुदाय की इन महिलाओं ने धागे की बुनाई का काम शुरू किया। अब इस काम में गांव की कई लड़कियां और महिलाएं दक्ष हैं।
इन महिलाओं को ग्राम्य विकास मंच नामक एक एनजीओ धागा बुनने और कपड़े सीने की ट्रेनिंग देता है। सबसे पहले छत्र से ये ट्रेनिंग पद्मा बोरो नामक एक महिला ने ली। उसने अन्य 30 महिलाओं को भी ये काम करने के लिए प्रोत्साहित किया। यहां रहने वाली अधिकांश महिलाएं विधवा हैं या फिर कई अविवाहित लड़कियां भी ये काम करके आत्मनिर्भर बनी हैं।
नॉर्थ इस्टर्न डेवलपमेंट फायनेंस लिमिटेड ने इन महिलाओं को कोकराझार ले जाकर उन बुनकरों से मिलवाया जो सालों से बुनाई का काम कर रहे हैं। यहां आकर इन महिलाओं को ये भी समझाया गया कि मार्केट की डिमांड क्या है। वहां से आने के बाद फायनेंस लिमिटेड ने इन्हें आठ लूम उपलब्ध कराए। एनजीओ ने इनके लिए शेड बनवाया जहां ये आराम से अपना काम करती हैं। यहां मेखला चादर, टॉवेल, बोडो महिलाओं द्वारा पहनी जाने वाली पारंपरिक पोशाक और भूटान में पहने जाने वाले ट्रेडिशनल कपड़ों की बुनाई की जाती है। इस काम को करते हुए पिछले साल इन महिलाओं को 80,000 का फायदा हुआ था।
लॉकडाउन के शुरुआती दौर में जर्मनी में रहने वाली जिन चार बहनों से बोर्ड गेम बनाकर अच्छी-खासी कमाई की, उनकी खूब तारीफ हो रही है। इन बहनों के नाम रेबेका, लारा, स्टेला और सारा श्वालडरलैप है। इन चार बहनों ने फुर्सत के पलों का सही इस्तेमाल कोरोना वायरस बोर्ड गेम बनाकर किया। इस गेम को चार लोग मिलकर खेल सकते हैं।
इस गेम को जर्मनी के सीनियर सिटीजन ने भी पसंद किया। इसे खेलने वाले प्लेयर्स गेम कार्ड्स कलेक्ट करके फिर उसे बांटते हैं। इसे बनाने वाली सारा ने बताया कि खेल का मकसद एकजुटता है जिसे सबसे ज्यादा पसंद किया जा रहा है। इस गेम के हर मोड़ पर कोरोना वायरस रास्ता रोकता है लेकिन हर खिलाड़ी एक दूसरे की मदद करके राह में आने वाली रूकावट दूर करता है।
लॉकडाउन में इन चारों बहनों ने अपनी शामें बोर्ड गेम को डिजाइन करने में बिताईं। जब इस लगन को उनके पापा ने देखा तो उन्होंने इसे कमर्शियलाइज करने के लिए एक आर्टिस्ट हायर किया जिसने सभी कार्ड, बोर्ड और बॉक्स को डिजाइन किया। अब तक इन चारों बहनों ने मिलकर बोर्ड गेम की 2000 कॉपियां बेच दी। जर्मनी में सभी जगह इस गेम की काफी डिमांड है।
क्रिसमस पर घर के सभी लोग कुछ खास और डिफरेंट पसंद करते हैं। कोरोना की वजह से अगर आप घर पर ही क्रिसमस सेलिब्रेट कर रहे हैं तो क्लाउड ब्रेड या कुछ स्पेशल कुकीज ट्राय करें। इसे बेक करने में समय भी कम लगता है। इस तरह आज के मेन्यू में आप कुछ खास रख पाएंगी और सबको खुश भी करेंगी।
क्लाउड ब्रेड
क्लाउड ब्रेड यानी एक ऐसी ब्रेड जो बादल की तरह फ्लफी दिखती है। इसे बनाने में सिर्फ तीन सामग्री यानी एग व्हाइट्स, कॉर्न स्टार्च और व्हाइट शुगर का इस्तेमाल होता है। ये तब तक फेंटी जाती है जब तक एग व्हाइट फ्लफी न बन जाए। इसे अलग-अलग फूड कलर के साथ मिलाकर भी बनाया जाता है।
स्नोमैन कुकीज
कुकीज की ये खास वैरायटी बच्चों को खूब पसंद आएगी। इसे कुछ दिनों पहले बनाकर भी रखा जा सकता है। इसके लिए सबसे पहले बाउल में मक्खन और शकर को मिलाएं। अब अंडा, वैनीला एक्सट्रेक्ट और मैदा मिलाकर सॉफ्ट डो बनाकर प्लास्टिक रैप से ढकें और कुछ देर के लिए अलग रख दें। इस डो को छोटे-छोटे बिस्किट का शेप देकर ओवन में बेक करें। इसे आइसिंग और फूड कलर से सजाकर आकर्षक बनाएं।
पुडिंग
इसका लाजवाब टेस्ट हर मौके को खास बना देता है। क्रिसमस पर पुडिंग बनाकर आप मेहमानों को खुश कर सकती हैं। अगर आप कैरेमल ब्रेड पुडिंग बना रही हैं तो बचे हुए ब्रेड के टुकड़ों, कस्टर्ड और कैरेमल सॉस का इस्तेमाल करें। अपने टेस्ट के अनुसार आप फलों का इस्तेमाल करके भी टेस्टी पुडिंग बना सकती हैं।
पैनकेक
इसे बनाने के लिए आप मैदा, शकर, नमक, बेकिंग पाउडर, दूध, तेल, वनीला एसेंस मिलाकर एक बैटर बना लें। नॉनस्टिक तवे को गैस पर रखें। जब यह हल्का गर्म हो जाए तो एक चम्मच घोल लेकर तवे पर डालिये और चम्मच की सहायता से हल्का मोटा गोल पेनकेक फैलाइये। थोड़ा सा घी चम्मच से पैन केक के चारों ओर व केक के ऊपर भी डालिए। इसे दोनों ओर से इसी तरह सेंक लें और शहद या डिफरेंट टॉपिंग के साथ सर्व करें।
आइवरी कोस्ट की प्रसिद्ध लाइमा डॉल ब्रैंड्स ने ब्लैक डॉल लॉन्च की हैं। यह शुरुआत खासतौर पर अफ्रीकी बच्चों को ध्यान में रख कर की गई है। कंपनी ने कहा कि वह पहले 1.50 लाख डॉल्स का उत्पादन करेगी। हेड डिजाइनर सारा कोलिबेली ने कहा, ''हम चाहते हैं कि अफ्रीकी बच्चे इस तथ्य के प्रति सचेत रहें कि उनकी संस्कृति संपन्न है''।
फोटो साभार : REUTERS
पिछले पांच सालों से इस कंपनी की नैमा डॉल्स को लगभग 20 महिलाएं मिलकर बना रही हैं। क्रिसमस पर उन्होंने मिलकर इस तरह की डॉल्स के 32 मॉडल्स बनाए हैं। इन डॉल्स को रंग-बिरंगे वैक्स प्रिंट्स और अफ्रीकन मास्क से सजाया जाता है। आबिदजान के ऑफिस में कार्यरत एक आर्किटेक्ट कोलीबेली ने बताया कि हम चाहते हैं बच्चे अपने जीवन में सही फैसले लेने की क्षमता विकसित करें।
हम बच्चों को इस डॉल के माध्यम से ये बताना चाहते हैं कि अफ्रीकी कल्चर बहुत खूबसूरत है। हाल ही में इस कंपनी ने एक नई मॉडल 'एस्सा' को डिजाइन किया है। इन डॉल्स में सबसे ज्यादा अदजोबा को पसंद किया जा रहा है। आबिदजान के कारफोक सुपरमार्केट के टॉय डिपार्टमेंट में नैमा ब्रांड वाली डॉल को देखा जा सकता है। कोलीबेली के अनुसार, हमें डॉल्स बनाने की प्रेरणा उन लोगों से मिलती है जो हमारे आसपास ही हैं। फिलहाल ये डॉल्स चीन और स्पेन में बनती हैं। लेकिन कोलीबेली को उम्मीद है कि अगले कुछ सालों में उनकी फैक्ट्री भी इन डॉल्स की डिमांड बढ़ने पर इन्हें बनाने लगेगी।
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